शाहरुख खान और गौरी की लव स्टोरी में कई संघर्ष और चुनौतियां थीं, खासकर गौरी के भाई विक्रांत की पजेसिविटी और धमकियों के बीच। लेकिन उनके सच्चे प्यार ने हर बाधा को पार कर शादी को सफल बनाया।
बॉलीवुड के रोमांस किंग शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान की लव स्टोरी जितनी फिल्मी लगती है, असल में उससे कहीं ज्यादा रोमांचक और भावनात्मक रही है। इस प्रेम कहानी में सिर्फ गुलाब और प्यार नहीं था, बल्कि डर, धमकी और बंदूक जैसे डरावने मोड़ भी शामिल थे। जी हां, बहुत कम लोग जानते हैं कि जब शाहरुख खान गौरी से मिलने जाया करते थे, तो उन्हें खुद उनकी फैमिली से खतरे का सामना करना पड़ता था — खासकर गौरी के भाई विक्रांत छिब्बर से।
जब इश्क़ बना जानलेवा
शाहरुख खान ने कई इंटरव्यूज़ में यह बात साझा की है कि जब वह सिर्फ 18 साल के थे, तभी उन्हें गौरी से प्यार हो गया था। उस वक्त वह न तो कोई फिल्म स्टार थे, न ही कोई बड़ा नाम। वह दिल्ली के एक साधारण परिवार के लड़के थे, जिनके सपनों में सितारे थे। लेकिन उनके रास्ते में एक बड़ी रुकावट थी — गौरी का परिवार। खासतौर पर उनका भाई, जो उनकी बहन के लिए बहुत पजेसिव थे।
शाहरुख ने खुद बताया है कि एक बार गौरी के भाई ने उन्हें बंदूक की नोक पर धमकाया था कि वह उनकी बहन से दूर रहें। यह कोई फिल्मी सीन नहीं था, बल्कि एक हकीकत थी, जिसे शाहरुख आज भी मुस्कराते हुए याद करते हैं।
कपिल शर्मा शो में किया खुलासा
शाहरुख खान ने कपिल शर्मा के शो में इस किस्से को बेहद मजाकिया अंदाज़ में सुनाया था। उन्होंने कहा, 'जब मैं गौरी से मिलने जाया करता था, तो उसका भाई विक्रांत मुझे आंख दिखाता था और कहता था – 'अगर बहन से ज्यादा बात की तो अच्छा नहीं होगा।' एक बार तो उसने गुस्से में बंदूक ही तान दी थी।'
उस वक्त दिल्ली जैसे शहर में इस तरह का व्यवहार आम नहीं था, लेकिन विक्रांत का रवैया बेहद रक्षात्मक था। वह नहीं चाहते थे कि कोई भी लड़का उनकी बहन के करीब आए, और जब शाहरुख जैसे महत्वाकांक्षी युवक ने गौरी को पसंद किया, तो भाई को यह बात बिल्कुल नहीं भाई।
धर्म की दीवार भी बनी चुनौती
गौरी और शाहरुख की लव स्टोरी में सिर्फ पारिवारिक विरोध ही नहीं था, धर्म भी एक बड़ी रुकावट थी। शाहरुख मुस्लिम हैं और गौरी हिंदू। 1980 और 90 के दशक में इस तरह के रिश्ते को समाज इतनी आसानी से नहीं स्वीकारता था। गौरी के घरवालों को यह रिश्ता शुरू से ही खटकता था।
गौरी ने 1994 में एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके भाई विक्रांत बहुत पजेसिव थे और इसलिए वह कभी भी शाहरुख को स्वीकार नहीं कर पाए। शुरू में उन्होंने पूरी तरह इस रिश्ते का विरोध किया। लेकिन वक्त के साथ शाहरुख ने अपने स्वभाव, लगन और सच्चे प्यार से सबको मना लिया।
शाहरुख का जज्बा: 'अगर गौरी को चुनना हो तो फिल्में छोड़ दूंगा'
शाहरुख ने कई बार मीडिया के सामने कहा है कि अगर उन्हें कभी अपनी पत्नी गौरी और फिल्मों के बीच किसी एक को चुनना हो, तो वह बिना झिझक फिल्मों को छोड़ देंगे। यह बयान उस इंसान का है जिसने बॉलीवुड में बिना किसी गॉडफादर के सिर्फ अपनी मेहनत के दम पर किंग खान की पहचान बनाई।
यह गौरी ही थीं जिन्होंने मुंबई आने के बाद शाहरुख के संघर्ष के दिनों में उनका हौसला बढ़ाया। वह उनके हर अच्छे-बुरे वक्त में साथ रहीं, और आज भी उनके लिए एक मज़बूत सपोर्ट सिस्टम हैं।
शादी के लिए लगानी पड़ी लंबी दौड़
शाहरुख और गौरी का रिश्ता कई सालों तक छुप-छुपकर चला। दोनों के बीच अटूट प्रेम था, लेकिन परिवार की सहमति मिलना आसान नहीं था। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि गौरी नाराज़ होकर मुंबई से कहीं चली गईं और शाहरुख उन्हें ढूंढ़ते रहे।
आखिरकार 25 अक्टूबर 1991 को, शाहरुख और गौरी ने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी कर ली। यह शादी केवल दो दिलों का मिलन नहीं थी, बल्कि दो अलग-अलग संस्कृतियों का संगम भी थी।
आज भी है वही प्यार
शाहरुख और गौरी आज तीन बच्चों — आर्यन, सुहाना और अबराम — के माता-पिता हैं। उनकी जोड़ी आज भी फैंस के लिए ‘परफेक्ट कपल’ की मिसाल है। भले ही समय के साथ बॉलीवुड में कई जोड़ियां आईं और टूट गईं, लेकिन शाहरुख और गौरी की बॉन्डिंग सालों बाद भी वैसी ही मजबूत दिखती है।
विक्रांत और शाहरुख का रिश्ता अब
आज शाहरुख और विक्रांत छिब्बर के बीच किसी तरह की नाराज़गी नहीं है। बल्कि दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। विक्रांत को भी शाहरुख के समर्पण और ईमानदारी ने प्रभावित किया है। समय के साथ रिश्ते भी परिपक्व हुए हैं और अब विक्रांत शाहरुख को सिर्फ ‘बहनोई’ नहीं, एक अच्छे इंसान के तौर पर देखते हैं।