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भारत में सेमीकंडक्टर उत्पादन को नया impulso: SEZ नियमों में बड़ा सुधार, छोटे प्लॉट पर फैक्ट्री की मंजूरी आसान

भारत में सेमीकंडक्टर उत्पादन को नया impulso: SEZ नियमों में बड़ा सुधार, छोटे प्लॉट पर फैक्ट्री की मंजूरी आसान

भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) के नियमों में अहम बदलाव किए हैं। अब कंपनियां छोटे प्लॉट पर भी फैक्ट्री स्थापित कर सकेंगी, जिससे ‘Made in India’ अभियान को मजबूती मिलेगी।

Made in India: भारत सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को मजबूत बनाने के लिए स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये नए नियम खास तौर पर सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने वाली कंपनियों के लिए बनाए गए हैं, जिनसे छोटे प्लॉट पर भी फैक्ट्री स्थापित करना संभव हो सकेगा। इस पहल से ‘Made in India’ अभियान को एक बड़ा समर्थन मिलेगा और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर अपनी स्थिति और मज़बूत करेगा।

SEZ नियमों में बदलाव: जमीन की जरूरतों में भारी कमी

पहले सेमीकंडक्टर उत्पादक कंपनियों के लिए कम से कम 50 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होती थी। यह सीमा कई नवोदित कंपनियों के लिए भारी पड़ती थी, खासकर उन स्टार्टअप्स और छोटे-बीचले उद्यमों के लिए जो बड़ी जमीन का प्रबंध नहीं कर पाते। अब सरकार ने इस बाधा को दूर करते हुए नियमों में संशोधन किया है, जिसके तहत सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए न्यूनतम ज़मीन की आवश्यकता घटाकर 10 हेक्टेयर कर दी गई है।

सिर्फ सेमीकंडक्टर ही नहीं, बल्कि मल्टी-प्रोडक्ट SEZ के लिए भी न्यूनतम जमीन की मांग 20 हेक्टेयर से घटाकर 4 हेक्टेयर की गई है। यह कदम देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू होगा, जिनमें गोवा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम, लद्दाख, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दमन-दीव, और दादरा-नगर हवेली शामिल हैं।

इस बदलाव से छोटे प्लॉट पर भी सेमीकंडक्टर फैक्ट्री लगाना संभव हो जाएगा, जो निवेशकों को आकर्षित करने और रोजगार सृजन में मददगार साबित होगा। छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए यह बदलाव खासा लाभकारी होगा, क्योंकि उन्हें अब भारी जमीन की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादन में छूट और सुविधा

सरकार ने न केवल जमीन की सीमाएं कम की हैं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादन संबंधी नियमों को भी आसान बनाया है। स्मार्ट वॉच, ईयरबड्स, डिस्प्ले मॉड्यूल, बैटरी, कैमरा मॉड्यूल, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB), मोबाइल और आईटी हार्डवेयर जैसे छोटे हिस्सों को अब इलेक्ट्रॉनिक घटकों के रूप में मान्यता दी गई है।

इस कदम से इन उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक अनुमति और लाइसेंसिंग प्रक्रिया सरल होगी, जिससे उत्पादन की गति बढ़ेगी और लागत में कमी आएगी। इससे भारत में इन उच्च तकनीकी उत्पादों का उत्पादन बढ़ेगा और विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी।

माल स्टोरेज और बिक्री में नयी छूट

कंपनियों को अब माल की स्टोरेज और बिक्री के लिए भी अधिक स्वतंत्रता दी गई है। वे अपनी उत्पादन सामग्री को भारत में ही स्टोर कर सकते हैं और या तो सीधे निर्यात कर सकते हैं या टैक्स दे कर घरेलू बाजार में बेच भी सकते हैं। इस सुविधा से सप्लाई चेन की मजबूती बढ़ेगी और व्यापार करने की प्रक्रिया में आसानी आएगी।

सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत का भविष्य

इंडस्ट्री विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत का सेमीकंडक्टर मार्केट वर्तमान में लगभग 45 बिलियन डॉलर का है, जो 2030 तक 100 बिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच सकता है। यह वृद्धि स्मार्टफोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन, मेडिकल उपकरण और रक्षा उपकरणों की बढ़ती मांग से जुड़ी है। वैश्विक सप्लाई चेन की अनिश्चितताओं और राजनीतिक तनाव के बीच, भारत में सेमीकंडक्टर उत्पादन को प्रोत्साहित करना राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।

मेक इन इंडिया को नई उड़ान

केंद्र सरकार का यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ के सपने को हकीकत में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि घरेलू कंपनियों को भी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का अवसर मिलेगा। छोटे प्लॉट पर फैक्ट्री लगाने की अनुमति से प्रदेशों में औद्योगिक विकास होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। साथ ही, देश में तकनीकी कौशल का विकास भी होगा, जो भविष्य में और अधिक नवाचार और उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देगा।

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