जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र सरकार के कदम पर सियासत तेज हो गई है। इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा कर तीखा हमला बोला है।
Caste Census: जातीय जनगणना को लेकर देश की सियासत में हलचल तेज हो गई है। केंद्र सरकार के हालिया ऐलान के बाद जहां विपक्ष और सत्ता पक्ष इसका श्रेय लेने की होड़ में जुटे हैं, वहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने इस मुद्दे पर दो टूक बयान दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए दोनों दलों को "एक ही थाली के चट्टे-बट्टे" करार दिया है। मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपनी बात रखते हुए दोनों दलों की नीयत और नीति पर सवाल उठाए।
भाजपा और कांग्रेस दोनों बहुजन समाज के विरोधी
मायावती ने अपने पोस्ट में लिखा कि 1931 के बाद अब पहली बार जातीय जनगणना की बात हो रही है, लेकिन कांग्रेस भूल गई कि उसने ही आजादी के बाद दलितों और ओबीसी समाज को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इसी "काले इतिहास" की वजह से उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा।
मायावती ने कांग्रेस के ओबीसी प्रेम को मतलबपरस्त और छलावा"करार देते हुए कहा कि सत्ता से बाहर होने के बाद अब बहुजन समाज के वोट हासिल करने के लिए कांग्रेस नाटक कर रही है। वहीं बीजेपी पर भी मायावती ने तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि भाजपा भी संविधान और आरक्षण विरोधी नीतियों में कांग्रेस से पीछे नहीं है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल आरक्षण व्यवस्था को निष्क्रिय करने और अंततः उसे समाप्त करने की मंशा रखते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये दोनों दल बाबा साहेब अंबेडकर के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान मिशन को विफल करने का प्रयास करते रहे हैं।
जनाकांक्षा के आगे झुकी भाजपा, स्वागत है
हालांकि जातीय जनगणना के फैसले पर मायावती ने सकारात्मक प्रतिक्रिया भी दी। उन्होंने कहा कि जनता की मजबूत मांग और दबाव के आगे आखिरकार भाजपा को झुकना पड़ा है। मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह बहुजन समाज की एक लंबे समय से चली आ रही मांग रही है, लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी चेताया कि इस निर्णय के पीछे की सच्चाई को समझना जरूरी है।
उन्होंने जनता से अपील की कि बहुजन समाज इस जातीय जनगणना को लेकर केवल घोषणाओं में उलझ कर न रह जाए, बल्कि उसे इस बात का सजग रूप से मूल्यांकन करना चाहिए कि यह प्रक्रिया किस हद तक सही मायनों में लागू की जाएगी।
ओबीसी के हक पर अब भी पर्दा, अगर नीयत साफ होती तो…
मायावती ने आगे लिखा कि यदि भाजपा और कांग्रेस की नीयत व नीति वाकई बहुजन हितैषी होती तो आज ओबीसी समाज देश के विकास में उचित भागीदारी पा चुका होता। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बाबा साहेब अंबेडकर का आत्म-सम्मान और स्वाभिमान का मिशन वास्तव में साकार हो पाया है? उन्होंने कहा कि इन राजनीतिक दलों ने बाबा साहेब को भारत रत्न देकर केवल प्रतीकात्मक सम्मान दिया है, जबकि उनके विचारों और मूल्यों की उपेक्षा की जाती रही है।
मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अब जातीय जनगणना के बहाने ओबीसी समाज को लुभाने की कोशिश कर रही हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव करीब हैं। उन्होंने कहा कि यह जातीय गणना भी राजनीति का एक हथियार बन चुकी है, जिससे दोनों पार्टियां अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहती हैं।