आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में स्थित जोन्नागिरी गोल्ड माइन्स को सरकार से अंतिम मंजूरी मिल गई है। डेक्कन गोल्ड माइन्स लिमिटेड इस खदान को चलाएगी। पहले साल में 400 किलो और बाद में हर साल 750 किलो सोने का उत्पादन होगा।
आंध्र प्रदेश: आज़ादी के बाद पहली बार भारत में एक नई सोने की खदान खोलने की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में स्थित जोन्नागिरी क्षेत्र में सोने की खदान को सरकार की अंतिम मंजूरी मिल चुकी है। यह खदान डेक्कन गोल्ड माइन्स लिमिटेड द्वारा संचालित की जाएगी। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, इस खदान से पहले साल में लगभग 400 किलो सोना निकाला जाएगा, और उसके बाद उत्पादन बढ़कर हर साल 750 किलो तक पहुंच जाएगा।
यह खदान न केवल देश की सोने की आपूर्ति बढ़ाएगी बल्कि भारत की सोने पर आयात निर्भरता को भी काफी हद तक कम करेगी। आजादी के बाद देश में पहली बार एक नई सोने की खदान शुरू होने जा रही है।
जोन्नागिरी को मिली मंजूरी
आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित जोन्नागिरी गोल्ड माइन्स को अब चालू करने की हरी झंडी मिल गई है। डेक्कन गोल्ड माइन्स लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनी जियोमैसूर सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड इस खदान को मिलकर चलाएंगी। डेक्कन गोल्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर हनुमा प्रसाद मोदली ने बताया कि यह भारत की आजादी के बाद बनने वाली पहली नई सोने की खदान है। उन्होंने कहा कि खदान और प्रोसेसिंग प्लांट को शुरू करने में कुछ महीने लग सकते हैं क्योंकि पहले ट्रायल रन किया जाएगा।
400 किलो से शुरू, 750 किलो का लक्ष्य
कंपनी के मुताबिक, पहले साल में खदान से करीब 400 किलो सोना निकाला जाएगा। फिर जब खदान पूरी क्षमता से काम करने लगेगी, तब हर साल लगभग 750 किलो सोना उत्पादन होगा। मोदली के अनुसार, पहले साल में कंपनी को 300 से 350 करोड़ रुपये तक की कमाई होने की उम्मीद है। ईबीआईटीडीए (EBITDA) मार्जिन यानी मुनाफे की दर लगभग 60% रहने की संभावना है। खदान से निकला सोना पास की रिफाइनरियों को भेजा जाएगा, जहां उसे शुद्ध किया जाएगा।
शेयर में उछाल, निवेशकों में भरोसा
जैसे ही खदान को मंजूरी मिलने की खबर आई, डेक्कन गोल्ड के शेयरों में तेज़ उछाल देखा गया। कंपनी का शेयर 14.28% बढ़कर ₹170.50 तक पहुंच गया, जो पिछले 10 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है। हालांकि दिन खत्म होने तक शेयर थोड़ा फिसला और ₹163.70 पर बंद हुआ, फिर भी इसमें कुल 9.72% की बढ़त रही। पिछले एक साल में डेक्कन गोल्ड के शेयरों में 58% से ज़्यादा का फायदा हुआ है।
देश में सोना खनन को मिलेगी रफ्तार
भारत में सोने की खपत काफी ज़्यादा है, लेकिन उत्पादन बहुत कम होता है। ज्यादातर सोना विदेशों से आयात किया जाता है, जिससे विदेशी मुद्रा पर दबाव पड़ता है। जोन्नागिरी प्रोजेक्ट जैसे कदम से देश को खुद का सोना निकालने में मदद मिलेगी और विदेशों से आयात पर निर्भरता घटेगी। इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलेगा और खनिज क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
डेक्कन गोल्ड माइन्स: एक झलक
डेक्कन गोल्ड माइन्स लिमिटेड की शुरुआत 2003 में हुई थी और इसका दफ्तर बेंगलुरु में है। कंपनी का फोकस भारत में सोने और अन्य खनिजों की खोज और खनन पर है। यह पहली भारतीय कंपनी है जिसे सोने के खनन के लिए लिस्टेड दर्जा मिला हुआ है। कंपनी आधुनिक तकनीक और पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखकर काम करने का दावा करती है।