भारत ने FATF को पाकिस्तान के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी फंडिंग के सबूतों वाला डोजियर भेजा है। जून में FATF की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी, जिससे पाकिस्तान की ग्रे लिस्ट में वापसी हो सकती है।
New Delhi: भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान की दोहरी नीति और आतंक के पनाहगाह होने के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। मोदी सरकार अब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने की मांग करने जा रही है। इसके लिए भारत की ओर से FATF को एक विस्तृत डोज़ियर सौंपा जाएगा जिसमें आतंकवाद की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े सबूत शामिल हैं।
डोज़ियर में उन संस्थाओं और लोगों की जानकारी होगी जो पाकिस्तान में खुलेआम आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं और उन्हें आर्थिक सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
जून में होगी FATF की अहम बैठक, भारत उठाएगा मुद्दा
FATF की अगली बड़ी बैठक जून 2025 में होने वाली है, जिसमें भारत के अधिकारी शामिल होकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे। भारत अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के तहत इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएगा और FATF से सख्त जांच के साथ पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने का आग्रह करेगा।
सूत्रों के मुताबिक, भारत इस बार कोई कसर नहीं छोड़ेगा और मजबूत दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ पाकिस्तान की पोल खोलेगा।
क्यों ज़रूरी है पाकिस्तान को दोबारा ग्रे लिस्ट में डालना?
पाकिस्तान पिछले कई वर्षों से दुनिया को दिखाने के लिए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा करता रहा है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है। कई प्रतिबंधित आतंकी संगठन आज भी पाकिस्तान में खुलेआम काम कर रहे हैं। भारत ने अपने डोज़ियर में यह साबित करने के लिए काफ़ी डेटा जुटाया है कि पाकिस्तान इन संगठनों को आर्थिक रूप से मदद करता है।
यदि FATF पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालता है, तो इससे पाकिस्तान की विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग पर असर पड़ेगा, जिससे उसे बड़ा आर्थिक झटका लग सकता है।
FATF और पाकिस्तान: अब तक का इतिहास
- पाकिस्तान को पहली बार 2008 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था।
- 2009 में इसे अस्थायी रूप से लिस्ट से हटा दिया गया था।
- 2012 से 2015 के बीच इस पर फिर निगरानी रखी गई।
- 2018 में, पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया।
- 2022 में, FATF प्लेनरी की बैठक में पाकिस्तान को शर्तों के साथ ग्रे लिस्ट से बाहर किया गया, लेकिन चेतावनी दी गई कि वह एशिया-पैसिफिक ग्रुप के साथ मिलकर काउंटर टेरर फाइनेंसिंग सिस्टम को मजबूत करे।
क्या है FATF और इसका काम?
FATF यानी Financial Action Task Force एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग को रोकने के लिए बनी है। इसमें 39 देश सदस्य हैं। इसका उद्देश्य है कि किसी भी देश में ऐसे आर्थिक नेटवर्क का पता लगाना और रोकथाम करना जो आतंकवाद या अवैध गतिविधियों को आर्थिक रूप से समर्थन दे रहे हों।
FATF की ग्रे लिस्ट में आने से किसी देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचता है, आर्थिक निवेश घटता है, और विदेशी कर्ज़ मिलना मुश्किल हो जाता है।
भारत का लक्ष्य साफ – आतंक के संरक्षक को बेनकाब करना
भारत का मकसद साफ है – पाकिस्तान को फिर से उस स्थिति में लाना जहाँ उसे आतंकवाद के खिलाफ असली कार्रवाई करनी पड़े, न कि केवल दिखावा। मोदी सरकार इस बार कोई चूक नहीं करना चाहती, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह दिखाना चाहती है कि पाकिस्तान किस तरह से दुनिया को धोखा दे रहा है।
भारत पहले भी पाकिस्तान द्वारा किए गए झूठे दावों और फर्जी कार्रवाईयों को बेनकाब करता रहा है। इस बार सबूतों के साथ FATF में आवाज़ उठाकर भारत एक बार फिर कूटनीतिक रूप से बढ़त लेना चाहता है।