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IIT इंजीनियर से यूपी के डीजीपी बनने तक का सफर: जानिए राजीव कृष्ण की स्टोरी

IIT इंजीनियर से यूपी के डीजीपी बनने तक का सफर: जानिए राजीव कृष्ण की स्टोरी

IIT रुड़की से इंजीनियरिंग करने वाले 1991 बैच के आईपीएस राजीव कृष्ण को यूपी का नया DGP नियुक्त किया गया है। उन्होंने कई जिलों में पुलिस कप्तान के रूप में बेहतरीन काम किया है।

DGP IPS Rajeev Krishna: राजीव कृष्ण, 1991 बैच के आईपीएस अफसर, उत्तर प्रदेश के नए DGP बनाए गए हैं। IIT रुड़की से इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने पुलिस सेवा में करियर चुना। उनका सफर प्रेरणादायक है, जिसमें मथुरा, लखनऊ, नोएडा, BSF जैसे बड़े पदों पर शानदार योगदान शामिल है। आइए, जानते हैं उनकी कहानी।

यूपी को मिला नया DGP: राजीव कृष्ण

उत्तर प्रदेश पुलिस को नया नेतृत्व मिल गया है। 1991 बैच के सीनियर आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया है। उनके कार्यभार संभालते ही पुलिस महकमे में नई ऊर्जा और उत्साह देखने को मिला। पुराने डीजीपी प्रशांत कुमार के रिटायरमेंट के बाद राजीव कृष्ण का चयन राज्य सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।

IIT रुड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री, फिर यूपीएससी का सफर

राजीव कृष्ण की कहानी काफी प्रेरणादायक है। उनका जन्म 26 जून 1969 को गौतमबुद्ध नगर जिले में हुआ। पढ़ाई में शुरू से ही होशियार राजीव ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT रुड़की से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री ली। उन्होंने 1985 से 1989 तक अपनी पढ़ाई पूरी की। इंजीनियर बनने के बाद भी उनका सपना कुछ और था। उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की और 1991 में आईपीएस के रूप में चयनित हुए।

30 साल की शानदार और बेदाग सेवा

राजीव कृष्ण ने 15 सितंबर 1991 को उत्तर प्रदेश पुलिस में अपनी सेवा की शुरुआत की। अपने तीन दशकों के करियर में उन्होंने कई जिलों में पुलिस कप्तान की जिम्मेदारी संभाली। मथुरा, इटावा, फर्रुखाबाद, बुलंदशहर, आगरा, नोएडा और लखनऊ जैसे बड़े जिलों में उन्होंने कानून व्यवस्था को बेहतर करने में अहम योगदान दिया। इसके अलावा वह लखनऊ के एसपी, आगरा के डीआईजी, मेरठ के आईजी और आईजी पीएसी मुख्यालय जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी तैनात रहे।

BSF में भी निभाई अहम भूमिका

राजीव कृष्ण का योगदान केवल उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) में भी बड़ी जिम्मेदारियां संभालीं। वह इंडो-पाक और इंडो-बांग्लादेश बॉर्डर पर चार साल तक तैनात रहे। जम्मू-कश्मीर में BSF के आईजी के रूप में उन्होंने खास भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में 'सेंसर बेस्ड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम' की शुरुआत की गई, जिससे बॉर्डर पर निगरानी और सुरक्षा को और मजबूत किया गया।

एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड (ATS) की शुरुआत में अहम योगदान

राजीव कृष्ण की अगुवाई में उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड (ATS) की स्थापना की गई। आतंकवाद के खिलाफ उनकी कार्यशैली और रणनीति को काफी सराहा गया। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें दो बार राष्ट्रपति के गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह उनके समर्पण और प्रोफेशनल अप्रोच का प्रमाण है।

11 सीनियर अफसरों को पीछे छोड़कर बने DGP

राजीव कृष्ण को उत्तर प्रदेश का डीजीपी बनाने के फैसले ने सभी को चौंका दिया। राज्य सरकार ने 11 सीनियर अफसरों को पीछे छोड़कर उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी। उनकी ईमानदार छवि, तेज फैसले लेने की क्षमता और मजबूत नेतृत्व कौशल ने उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाया। वर्तमान में उनकी सेवानिवृत्ति में करीब 4 साल 1 महीना बाकी है। यानी वे जून 2029 तक उत्तर प्रदेश पुलिस की कमान संभाल सकते हैं।

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