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IPL 2025 Final: शोर विराट का, मगर जज़्बा शशांक का, ‘वन मैन आर्मी’ ने लड़ी अकेले जंग

IPL 2025 Final: शोर विराट का, मगर जज़्बा शशांक का, ‘वन मैन आर्मी’ ने लड़ी अकेले जंग

विराट कोहली के आंसू जीत के थे, 18 साल की तपस्या का फल थे, और वो पल हर क्रिकेट प्रेमी की आंखों में भी चमक लेकर आया। लेकिन वहीं, एक और खिलाड़ी था जो उस रात हार की पीड़ा से टूटा जरूर, पर जिसने दिल जीत लिया — शशांक सिंह।

स्पोर्ट्स न्यूज़: आईपीएल 2025 का फाइनल हमेशा के लिए याद रखा जाएगा। विराट कोहली की आँखों में छलकते आँसू, आरसीबी की ऐतिहासिक जीत और 18 साल की तपस्या का फल। लेकिन, इस रात एक और कहानी भी लिखी गई. चुपचाप, बिना सुर्खियों के। एक ऐसी कहानी, जिसमें जुनून था, संघर्ष था और सबसे बढ़कर वो जिद थी जो कहती है – जब तक आखिरी गेंद बची है, तब तक मैच जिंदा है। इस कहानी का नायक कोई और नहीं, पंजाब किंग्स का बल्लेबाज शशांक सिंह था।

जब पूरी दुनिया विराट कोहली की ट्रॉफी जीतने की कहानी में मग्न थी, तब शशांक सिंह ने अपने बल्ले से कुछ ऐसा रच दिया, जिसे अगर पंजाब जीत जाती तो आज हर हेडलाइन सिर्फ उन्हीं की होती।

शशांक सिंह: एक योद्धा जो अकेला नहीं टूटा

आईपीएल 2025 फाइनल में आरसीबी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और स्कोरबोर्ड पर 190 रन का मजबूत लक्ष्य टांग दिया। विराट कोहली (64) और ग्लेन मैक्सवेल (47) की आतिशी पारियों के दम पर RCB ने फाइनल को बड़े मुकाबले में बदल दिया। जवाब में पंजाब किंग्स की शुरुआत धमाकेदार रही, लेकिन जैसे ही जोश इंगलिस और श्रेयस अय्यर का विकेट गिरा, टीम पिच पर लड़खड़ाने लगी। विकेटों की झड़ी लग गई और एक वक्त ऐसा लगा कि मुकाबला अब पूरी तरह आरसीबी के पक्ष में चला गया है।

शुरुआत धीमी, लेकिन इरादे फौलादी

शशांक ने पहले छह गेंदों पर सिंगल-डबल लेकर अपनी आंखें जमाईं। सातवीं गेंद पर उन्होंने शॉट खेला, जो दर्शकों को संदेश देता था — "मैं यहां सिर्फ खेलने नहीं, जीतने आया हूं। उसके बाद से उन्होंने RCB के सबसे भरोसेमंद गेंदबाज़ों की लय को बिगाड़ना शुरू कर दिया। उन्होंने 17वें ओवर में हेजलवुड पर दो लंबे छक्के लगाए। फिर 19वें ओवर में भुवनेश्वर कुमार पर चौका और छक्का जड़कर रन रेट को और नीचे लाया।

20वें ओवर में मैच बना या बिगड़ा?

अंतिम ओवर करने आए जोश हेजलवुड। पहली दो गेंद डॉट। दर्शकों की धड़कनें तेज़। तीसरी गेंद पर शशांक ने सिक्स मारा। फिर चौथी गेंद पर चौका, और आखिरी दो गेंदों पर लगातार दो छक्के जड़ दिए। सिर्फ छह रन की दूरी रह गई थी। शशांक ने इस ओवर में 22 रन बना दिए और पंजाब को जीत की दहलीज पर ला खड़ा किया। मगर अफ़सोस... सिर्फ एक गेंद और अगर उनके पास होती, तो आज आईपीएल की ट्रॉफी का रंग शायद लाल-गुलाबी नहीं, लाल-सुनहरा होता।

30 गेंद में 61 रन – अकेले की पूरी लड़ाई

शशांक ने अपनी पारी में 30 गेंदों पर नाबाद 61 रन बनाए। इसमें 3 चौके और 6 छक्के शामिल थे। उनकी यह पारी कोई साधारण स्कोर नहीं थी. यह एक संघर्ष की गाथा थी, जो तब भी जारी रही जब सामने हार खड़ी थी। वह अकेले थे, मगर झुके नहीं। उनकी आंखों में आँसू नहीं थे, मगर दिल के भीतर फूट-फूट कर बहती पीड़ा साफ दिख रही थी। स्टेडियम में हजारों की भीड़ थी, पर वो तन्हा लड़ रहा था जैसे कोई सेनापति आखिरी मोर्चा संभाले खड़ा हो।

इस मैच के बाद मीडिया, सोशल मीडिया और क्रिकेट की दुनिया विराट कोहली की कहानी में मशगूल हो गई। लेकिन शशांक सिंह की लड़ाई भी किसी महाकाव्य से कम नहीं थी। उन्होंने न केवल पंजाब की उम्मीदें जिंदा रखीं, बल्कि क्रिकेट को यह याद भी दिलाया कि मैच सिर्फ जीत या हार नहीं होता — कभी-कभी जज़्बा ही सबसे बड़ी जीत होती है।

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