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भारत की वायुसेना बनी 'आसमान की शेरनी': जानिए वो 5 हाईटेक तकनीकें जो दुश्मनों के लिए हैं खतरे की घंटी

भारतीय वायुसेना आज तकनीक और शक्ति के मामले में दुनिया की शीर्ष वायुसेनाओं में से एक बन चुकी है। आधुनिक तकनीकों और स्मार्ट सिस्टम्स के साथ यह वायुसेना न केवल देश की सुरक्षा के लिए तैयार है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रही है।

Technology: भारत की वायुसेना आज सिर्फ एक सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि तकनीक और रणनीति का एक सटीक संगम बन चुकी है। भारतीय वायुसेना ने पिछले एक दशक में जिस तेजी से खुद को आधुनिक तकनीकों से लैस किया है, वह इसे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी और सबसे ताकतवर वायु सेनाओं में शामिल करता है। 

लड़ाकू विमानों से लेकर निगरानी ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम तक, हर मोर्चे पर भारतीय वायुसेना आज दुश्मन के लिए ‘डरावना सपना’ बन चुकी है। आइए जानते हैं वे पाँच आधुनिक तकनीकी ताकतें, जिनके दम पर भारतीय वायुसेना आज दुश्मनों के हौसले पस्त कर रही है।

1. राफेल: आसमान में बिजली की तरह कड़कता योद्धा

राफेल फाइटर जेट को भारतीय वायुसेना की ‘गेम चेंजर’ ताकत कहा जाए तो गलत नहीं होगा। फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए इस मल्टीरोल लड़ाकू विमान ने भारतीय वायुसेना को तकनीकी रूप से एक नई ऊंचाई दी है। इसकी सबसे बड़ी खूबी इसकी बहु-भूमिका क्षमता है—हवा से हवा में हमला, हवा से ज़मीन पर वार और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, सब कुछ यह अकेला विमान कर सकता है।

राफेल में लगे RBE2 AESA रडार, SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, और मेटेओर मिसाइल जैसी टेक्नोलॉजी इसे बेजोड़ बनाते हैं। मेटेओर मिसाइल 150 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है, वहीं इसका SPECTRA सिस्टम दुश्मन के रडार को गुमराह कर देता है। 3700 किलोमीटर की रेंज वाला राफेल किसी भी युद्ध के मैदान में भारत के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

2. सुखोई-30 MKI: भारतीय ताकत और रूसी तकनीक का विस्फोटक मेल

सुखोई-30 MKI भारतीय वायुसेना का सबसे भरोसेमंद और सबसे अधिक तैनात किया जाने वाला लड़ाकू विमान है। रूस के सहयोग से बने इस विमान को भारत ने अपनी जरूरतों के मुताबिक अपग्रेड किया है। इसकी खासियत है कि यह एक साथ कई मिशनों को अंजाम दे सकता है—चाहे वो एयर डिफेंस हो या ग्राउंड अटैक।

इसमें लगाए गए फेज्ड ऐरे रडार, थ्रस्ट वेक्टरिंग इंजन और ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल इसे अत्याधुनिक बनाते हैं। ब्रह्मोस मिसाइल की आवाज से तेज़ रफ्तार इसे दुश्मनों के लिए अप्रत्याशित खतरा बना देती है।

3. AWACS और नेट्रा: आसमान की आंख जो हर चाल पर नजर रखती है

AWACS (Airborne Warning and Control System) को ‘आसमान की आंख’ कहा जाता है। यह एक ऐसा एयरक्राफ्ट है जिसमें 360 डिग्री कवरेज देने वाला शक्तिशाली रडार लगा होता है। इससे 400 किलोमीटर तक की दूरी में दुश्मन के फाइटर जेट, ड्रोन या मिसाइल की गतिविधि का पता लगाया जा सकता है।

भारत के पास IL-76 पर आधारित फाल्कन AWACS और DRDO का स्वदेशी 'Netra' सिस्टम है। ये दोनों सिस्टम भारतीय वायुसेना को रीयल टाइम खुफिया जानकारी देने में सक्षम हैं, जिससे किसी भी ऑपरेशन को पहले से प्लान कर सफलता के साथ अंजाम दिया जा सकता है। मौसम की कोई भी स्थिति हो, यह प्रणाली हर हाल में दुश्मन की निगरानी करती रहती है।

4. S-400 ट्रायम्फ: आकाश में दुश्मन के लिए अपराजेय दीवार

S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को रूस से खरीदा गया है और यह फिलहाल दुनिया का सबसे शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। इसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर तक है और यह एक साथ 36 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है।

इसमें चार अलग-अलग प्रकार की मिसाइलें होती हैं, जो विभिन्न ऊंचाइयों और दूरी तक हमला कर सकती हैं। इसकी मल्टी लेयर डिफेंस स्ट्रक्चर की वजह से दुश्मन की कोई भी मिसाइल या फाइटर जेट भारत की सीमा में घुसने से पहले ही नष्ट हो जाता है। भारत के पास अब तक 5 S-400 सिस्टम हैं, जिससे पूरे देश की एयरस्पेस को एक अभेद्य कवच मिला है।

5. हेरॉन और रुस्तम ड्रोन: बिना पायलट के दुश्मन पर पैनी नजर

भारतीय वायुसेना अब सिर्फ फाइटर जेट्स पर निर्भर नहीं है। इजराइली हेरॉन ड्रोन और भारत में विकसित रुस्तम ड्रोन भारत की आसमानी निगरानी क्षमता को कई गुना बढ़ा चुके हैं। हेरॉन हाई-एल्टीट्यूड और लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन है, जो लगातार कई घंटों तक उड़ सकता है और दुश्मन की हर हलचल पर नजर रख सकता है।

वहीं रुस्तम ड्रोन DRDO की देन है और इसमें लगे हैं हाई-रेजोल्यूशन कैमरे, इन्फ्रारेड सेंसर, और डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम, जिससे यह लाइव तस्वीरें भेज सकता है। आवश्यकता पड़ने पर इन ड्रोन को हथियारों से भी लैस किया जा सकता है, जिससे ये टारगेट पर हमला भी कर सकते हैं।

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