Tariff Battle:अमेरिका ने 5 जून 2025 से स्टील और एल्युमिनियम पर लगने वाला आयात शुल्क 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारत पर पड़ सकता है, क्योंकि भारत अमेरिका को इन धातुओं का बड़ा निर्यातक है।
भारत ने भी जवाब में अपने टैरिफ बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि ब्रिटेन को इस नियम से छूट मिल गई है क्योंकि उसका पहले से ही अमेरिका के साथ व्यापार समझौता है।
भारत का बड़ा स्टील और एल्युमिनियम निर्यात
भारत, अमेरिका को हर साल बड़ी मात्रा में स्टील और एल्युमिनियम बेचता है। ये धातुएं औद्योगिक कामों, निर्माण, ऑटोमोबाइल और मशीनों के लिए बहुत जरूरी होती हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने अमेरिका को करीब 4.56 अरब डॉलर, यानी लगभग 38 हजार करोड़ रुपये की स्टील और एल्युमिनियम एक्सपोर्ट की थी।
इसका मतलब है कि अमेरिका, भारत के लिए एक बड़ा ग्राहक देश है। ऐसे में अगर अमेरिका इन धातुओं पर टैरिफ यानी आयात शुल्क बढ़ा देता है, तो इससे भारत के इस व्यापार को सीधा झटका लग सकता है। इससे भारतीय कंपनियों को नुकसान और रोजगार पर असर पड़ने की भी आशंका है।
अब जब अमेरिका ने आयात शुल्क दोगुना कर दिया है, तो भारतीय माल वहां महंगे हो जाएंगे। इससे अमेरिका में हमारी कंपनियों की पकड़ कमजोर हो सकती है और निर्यात घट सकता है।
ब्रिटेन को राहत, भारत ने दी सख्त प्रतिक्रिया
जहां कई देश इस फैसले से परेशान हैं, वहीं ब्रिटेन को राहत मिली है। उसे पहले से हुए समझौते के चलते छूट दी गई है, और वहां पुराना 25% टैरिफ ही लागू रहेगा।
भारत ने इस फैसले के विरोध में WTO को नोटिस भेजा है और कहा है कि वह अमेरिका से आने वाले सामानों पर जवाबी टैरिफ लगा सकता है। हालांकि भारत ने अब तक यह नहीं बताया कि यह शुल्क कब से और किन चीजों पर लगेगा।
चुनाव से पहले ट्रंप का घरेलू कार्ड
डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले पेंसिल्वेनिया के एक स्टील प्लांट में कहा कि वह घरेलू उद्योग को बचाने के लिए टैरिफ बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, "अब कोई भी आपकी इंडस्ट्री को चुरा नहीं पाएगा।"
इस बयान को अमेरिका में चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि ट्रंप मजदूरों और उद्योगों का समर्थन पाने के लिए यह कदम उठा रहे हैं।
दुनिया भर पर असर, स्टील महंगा हो सकता है
भारत ही नहीं, चीन, जापान, जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे देशों पर भी इस टैरिफ का असर पड़ेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे वैश्विक बाजार में स्टील की कीमतें बढ़ सकती हैं और अमेरिका में निर्माण, गाड़ियाँ और फैक्ट्रियों से जुड़ा काम भी महंगा हो सकता है।