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UBS का भरोसा भारत पर, FY26 के लिए बढ़ाया GDP अनुमान

UBS का भरोसा भारत पर, FY26 के लिए बढ़ाया GDP अनुमान
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UBS ने भारत की FY26 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6% से बढ़ाकर 6.4% किया। बेहतर तिमाही ग्रोथ, घरेलू मांग और घटती तेल कीमतें प्रमुख कारण हैं।

Economy: भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक नई पॉजिटिव रिपोर्ट सामने आई है। ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस कंपनी UBS ने वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 6% से बढ़ाकर 6.4% कर दिया है। चौथी तिमाही में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन, घरेलू मांग में तेजी, वैश्विक व्यापार तनाव में नरमी और कच्चे तेल की गिरती कीमतें इसके पीछे मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। यह खबर नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है, खासकर ऐसे समय में जब नई सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

चौथी तिमाही में GDP ग्रोथ ने चौंकाया

भारत सरकार ने हाल ही में वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के GDP आंकड़े जारी किए, जो अनुमानों से कहीं बेहतर निकले। सरकार के मुताबिक, Q4 में GDP ग्रोथ रेट 7.4% रही, जो पिछले तिमाही (Q3) के 6.2% से कहीं ज्यादा है। इस मजबूत प्रदर्शन का मुख्य कारण घरेलू डिमांड, निवेश और कृषि उत्पादन में आई मजबूती है। इस सकारात्मक ट्रेंड को देखते हुए UBS ने भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान में संशोधन किया है।

UBS ने FY26 के लिए बढ़ाया GDP अनुमान

UBS ने भारत की FY26 की वास्तविक GDP ग्रोथ दर के अनुमान को 6% से बढ़ाकर 6.4% कर दिया है। यानी कंपनी ने 40 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की है। UBS का मानना है कि भारत की इकोनॉमी में लचीलापन है और कई सकारात्मक कारकों के चलते आने वाले सालों में यह रफ्तार बनाए रखेगी। UBS की रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि भारत की आर्थिक गतिविधियां स्थिर बनी हुई हैं और आगे भी इनका विस्तार होता रहेगा।

डिमांड में तेजी और तेल की कीमतों में गिरावट बनी सहायक

UBS के India Composite Economic Indicator (CEI) के अनुसार, अप्रैल 2025 में देश की आर्थिक गति बरकरार रही है। मौसमी आधार पर समायोजित आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में CEI इंडेक्स में 1.1% की मासिक बढ़त दर्ज की गई। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत में डिमांड मजबूत बनी हुई है।

साथ ही, वैश्विक व्यापार तनाव में नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी GDP ग्रोथ के लिए सहायक साबित हो रहे हैं। UBS को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-26 में कच्चे तेल की औसत कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहेगी, जिससे भारत के आयात बिल में राहत मिलेगी और ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा।

ग्रामीण मांग और शहरी डिमांड में उछाल की उम्मीद

UBS सिक्योरिटीज की चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन के मुताबिक, ग्रोथ अनुमान में यह संशोधन कई फैक्टर्स पर आधारित है। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा मॉनसून, खाद्य पदार्थों की कीमतों में स्थिरता, और शहरी डिमांड में बढ़ोतरी शामिल है। यदि सरकार टैक्स में राहत या महंगाई नियंत्रण जैसे कदम उठाती है, तो घरेलू खपत और तेज हो सकती है।

जैन का कहना है कि इन सभी पॉजिटिव इंडिकेटर्स को ध्यान में रखते हुए भारत की ग्रोथ रफ्तार को लेकर नजरिया अब पहले से कहीं अधिक मजबूत है।

RBI से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद

UBS की रिपोर्ट में यह भी उम्मीद जताई गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी मौद्रिक नीति में नरमी दिखा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, RBI FY26 में रेपो रेट में 50 से 75 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। इससे रेपो रेट घटकर 5.5% तक आ सकता है।

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 4 जून को होनी है, जिसमें ब्याज दरों पर निर्णय लिया जाएगा। अगर रेपो रेट में कटौती होती है, तो इससे लोन सस्ते होंगे और कर्ज लेने की प्रवृत्ति बढ़ेगी, जो निवेश और खपत को बढ़ावा दे सकती है। यह कदम भी भारत की GDP ग्रोथ को सपोर्ट करेगा।

ग्लोबल अनिश्चितता के बावजूद भारत बना मजबूत खिलाड़ी

UBS की रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बनी रहने के बावजूद भारत एक मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। चाहे अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव हो या यूरोपीय बाजारों में सुस्ती, भारत ने अपनी घरेलू मजबूती और नीतिगत स्थिरता के दम पर ग्रोथ को बनाए रखा है।

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