अन्ना यूनिवर्सिटी में 19 वर्षीय छात्रा के साथ दुष्कर्म मामले में आरोपी ज्ञानशेखरन को आजीवन कारावास की सजा मिली। कोर्ट ने 90,000 रुपये जुर्माना भी लगाया और कम से कम 30 साल जेल में रहने का आदेश दिया।
New Delhi: चेन्नई की महिला अदालत ने अन्ना यूनिवर्सिटी में हुए यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी बिरयानी वेंडर ज्ञानशेखरन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही आरोपी पर 90,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि दोषी को कम से कम 30 साल जेल में रहना होगा। यह फैसला इस बात का उदाहरण है कि गंभीर अपराधों के खिलाफ न्याय व्यवस्था सख्ती से कदम उठा रही है।
क्या है मामला?
यह घटना दिसंबर 2024 की है, जब ज्ञानशेखरन ने विश्वविद्यालय परिसर में एक 19 वर्षीय छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न किया। पीड़िता अपने एक पुरुष मित्र के साथ थी, तभी आरोपी ने उस युवक से मारपीट की और बाद में छात्रा पर हमला किया। आरोपी ने इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया, जिसे ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की गई। इस घटना के तुरंत बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था।
अदालत का फैसला और सजा
चेन्नई की महिला अदालत ने सभी 11 आरोपों में आरोपी को दोषी ठहराया, जिनमें यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म, धमकी और अपहरण शामिल थे। जज एम राजलक्ष्मी ने कहा कि इस प्रकार के गंभीर अपराधों के लिए न्यूनतम सजा भी कम होती है। इसलिए, आरोपी को कम से कम 30 साल की कैद सुनाई गई और 90,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
गवाहों और पुलिस की भूमिका
इस मामले में करीब 29 गवाहों ने अदालत में अपनी गवाही दी। पुलिस ने घटना के सबूतों सहित 100 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसने अदालत के निर्णय में अहम भूमिका निभाई। गवाहों की स्पष्ट गवाही और ठोस सबूतों ने आरोपी की सजा को सुनिश्चित किया।
आरोपी की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया
अदालत में आरोपी ने अपनी बुजुर्ग मां और आठ साल की बेटी की देखभाल का हवाला देते हुए कम सजा की गुहार लगाई। लेकिन अदालत ने कहा कि इस प्रकार के अपराध में परिवार की जिम्मेदारियों को प्राथमिकता नहीं दी जा सकती। अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को सख्त सजा दी गई है।
विशेष जांच टीम की जांच
इस मामले की जांच के लिए केवल महिलाओं की विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई थी। SIT ने 24 फरवरी को अपनी जांच पूरी कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। इसके बाद 7 मार्च को मामला महिला अदालत में ट्रांसफर किया गया। अदालत ने पीड़िता की सुरक्षा के लिए सरकार को 25 लाख रुपये की अंतरिम सहायता देने का भी आदेश दिया।