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बांके बिहारी कॉरिडोर का संचालन: PWD को मिली जिम्मेदारी, 18 सदस्यीय न्यास करेगा निगरानी

बांके बिहारी कॉरिडोर का संचालन: PWD को मिली जिम्मेदारी, 18 सदस्यीय न्यास करेगा निगरानी
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उत्तर प्रदेश के मथुरा में बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। वाराणसी और अयोध्या के बाद मथुरा के कायाकल्प की पहल को प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार प्राथमिकता दे रही है।

Mathura Banke Bihari Corridor: उत्तर प्रदेश सरकार ने मथुरा में स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर क्षेत्र के कायाकल्प के लिए एक नई पहल शुरू की है। इस पहल के अंतर्गत एक भव्य 'बांके बिहारी कॉरिडोर' का निर्माण किया जाएगा, जिसका कार्यभार लोक निर्माण विभाग (PWD) को सौंपा गया है। यह परियोजना न केवल तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाएगी, बल्कि मथुरा को धार्मिक पर्यटन के एक नए केंद्र के रूप में भी उभारने का काम करेगी। 

इसके साथ ही मंदिर संचालन के लिए एक नया 18 सदस्यीय मंदिर न्यास गठित किया जा रहा है, जो कॉरिडोर के विकास और मंदिर की पारंपरिक व्यवस्था के बीच सामंजस्य बनाए रखेगा।

योगी सरकार की प्राथमिकता में मथुरा

वाराणसी और अयोध्या के बाद अब मथुरा का नाम राज्य सरकार की धार्मिक नगरी पुनरुत्थान योजना में प्रमुखता से शामिल हो चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि मथुरा और वृंदावन का गौरव पुनर्स्थापित करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसके तहत बांके बिहारी मंदिर परिसर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने के लिए एक सुव्यवस्थित कॉरिडोर का निर्माण प्रस्तावित है।

पीडब्ल्यूडी को मिला निर्माण का जिम्मा

प्रदेश सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए अधिसूचना पहले ही जारी कर दी थी। अब प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति, मुकेश कुमार मेश्राम द्वारा जारी एक नए आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि बांके बिहारी कॉरिडोर का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा कराया जाएगा। विभाग को जल्द से जल्द डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने और आवश्यक स्वीकृतियों की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।

PWD के पास वाराणसी में विश्वनाथ कॉरिडोर और अयोध्या में राम पथ जैसे बड़े धार्मिक परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने का अनुभव है। ऐसे में सरकार को भरोसा है कि मथुरा में भी यह विभाग समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण काम करके श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय अनुभव दे सकेगा।

18 सदस्यीय मंदिर न्यास का गठन

कॉरिडोर निर्माण के साथ-साथ मंदिर की पारंपरिक व्यवस्था और धार्मिक रीति-रिवाजों को भी संरक्षित करने की योजना तैयार की गई है। इसके लिए एक 18 सदस्यीय मंदिर न्यास गठित किया जा रहा है। इस न्यास में मंदिर से जुड़े सेवायत, प्रशासनिक अधिकारी, धार्मिक विद्वान और स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। इस न्यास का कार्य मंदिर संचालन से जुड़े निर्णयों पर नज़र रखना, निर्माण कार्य में धार्मिक मर्यादाओं का पालन सुनिश्चित करना और श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित करना होगा।

सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि निर्माण कार्य के दौरान मंदिर के पारंपरिक सेवायतों की भूमिका और सम्मान में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। न्यास में इन्हें भी प्रमुख रूप से शामिल किया गया है ताकि परियोजना में कोई सामाजिक या धार्मिक टकराव न हो।

श्रद्धालुओं को मिलेंगी ये सुविधाएं

बांके बिहारी कॉरिडोर के तहत श्रद्धालुओं को निम्नलिखित प्रमुख सुविधाएं मिलने की उम्मीद है:

  • चौड़ा, वातानुकूलित दर्शन मार्ग
  • अलग प्रवेश और निकास द्वार
  • जलपान और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र
  • वृद्ध और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था
  • डिजिटल सूचना पटल और बहुभाषीय सहायता

यह परियोजना सिर्फ मंदिर परिसर तक सीमित नहीं है, बल्कि मथुरा के समग्र पर्यटन विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। स्थानीय व्यापार, हस्तशिल्प, और होटल व्यवसाय को इससे नया जीवन मिलेगा। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सांस्कृतिक विरासत को मजबूती से प्रस्तुत करने का अवसर भी मिलेगा।

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