सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस बीआर गवई ने राष्ट्रपति भवन में शपथ ली। वे भारत के पहले बौद्ध और दलित समुदाय से दूसरे CJI हैं। उनका कार्यकाल छह महीने का होगा।
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस बीआर गवई ने पदभार संभाल लिया है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में उन्हें राष्ट्रपति ने शपथ दिलाई। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा, और 23 नवंबर 2025 को वह सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जस्टिस गवई का पदभार संभालना न सिर्फ उनके लिए, बल्कि न्यायपालिका के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनका नेतृत्व कई महत्वपूर्ण मामलों के फैसले के साथ न्यायपालिका की दिशा तय करेगा।
भारत के पहले बौद्ध CJI, जस्टिस गवई का ऐतिहासिक योगदान
जस्टिस बीआर गवई भारत के पहले बौद्ध CJI हैं, और आजादी के बाद दलित समुदाय से आने वाले दूसरे चीफ जस्टिस हैं। उनकी नियुक्ति न केवल न्यायपालिका में समावेशिता का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समानता के प्रति एक मजबूत संदेश भी है। उनके कार्यकाल के दौरान, उनकी प्राथमिकता न केवल कानूनी फैसले होंगे, बल्कि वह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी कार्य करेंगे।
जस्टिस गवई के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई
जस्टिस बीआर गवई का कार्यकाल कई अहम मामलों के फैसले के साथ शुरू हुआ है। उन मामलों में वक्फ मामले की सुनवाई, नागरिकों के अधिकार, और संवैधानिक मुद्दे शामिल हैं। उनके नेतृत्व में देश को उम्मीद है कि वह न्यायपालिका में सकारात्मक बदलाव लाएंगे और अपने फैसलों से न्यायिक व्यवस्था को और मजबूत करेंगे।
संविधान पीठ का हिस्सा रहे हैं जस्टिस गवई
सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, जस्टिस गवई कई महत्वपूर्ण संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं। इनमें वह पीठ भी शामिल है जिसने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को वैध ठहराया था। इसके अलावा, उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया और 2016 में हुए नोटबंदी के फैसले को संवैधानिक मानते हुए बहुमत से पक्ष लिया था।
जस्टिस गवई का न्यायिक अनुभव और कार्यकाल
जस्टिस बीआर गवई का सुप्रीम कोर्ट में छह साल से अधिक का अनुभव रहा है। इस दौरान उन्होंने लगभग 700 पीठों का हिस्सा होकर कई अहम मामलों की सुनवाई की।
उन्होंने लगभग 300 फैसले लिखे हैं, जिनमें संवैधानिक मुद्दे, नागरिक अधिकार, और कानून के शासन से जुड़े मामले शामिल हैं। उनके फैसलों में न्याय और कानून के शासन की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं।
जस्टिस गवई का कार्यकाल: छवि और प्रभाव
जस्टिस बीआर गवई ने बुलडोजर कार्रवाई पर निंदा करते हुए यह स्पष्ट किया कि यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। उनके फैसले में आश्रय के अधिकार और प्राकृतिक न्याय की बात की गई थी। इसके अलावा, वह उन निर्णयों में भी शामिल रहे हैं जो समाज में समानता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए थे। उनका कार्यकाल न्यायिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण रहेगा, और न्यायपालिका की दिशा तय करने में उनका योगदान सराहनीय होगा।