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परसा थाना परिसर में युवक ने लगाई फांसी, थाने में सुधार की उम्मीद रह गई अधूरी

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बिहार के छपरा जिले के परसा थाना परिसर में एक चौंकाने वाली घटना घटी है, जहाँ एक युवक ने थाने के अंदर ही दरी की रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। युवक को उसके माता-पिता 'सुधार' की नीयत से थाने लेकर आए थे, लेकिन कुछ ही समय बाद वह थाने के खिड़की से लटकता मिला

क्राइम न्यूज़: बिहार के छपरा जिले के परसा थाना परिसर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक युवक ने थाने के अंदर ही दरी की रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया गया है कि युवक को उसके माता-पिता ‘सुधार’ की नीयत से थाने लेकर आए थे, लेकिन कुछ ही समय बाद वह थाने की खिड़की से लटकता हुआ मिला। यह घटना पूरे इलाके में सदमे और चिंता का विषय बनी हुई है, जबकि पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

क्या है पूरा मामला?

मृतक की पहचान सोनू यादव (उम्र 24 वर्ष), निवासी बख्तियारपुर, परसा, के रूप में हुई है। उसके परिजनों के अनुसार, सोनू कुछ महीनों से गलत संगत में पड़ गया था और नशे का आदी हो चुका था। वह घर में झगड़ा करता, चोरी के आरोपों में पहले भी जेल जा चुका था। बुधवार सुबह, माता-पिता उसे परसा थाने लेकर आए ताकि पुलिस की सख्ती से वह डर कर सुधर जाए। पुलिस ने उसे एक खाली कमरे में बैठाया, ताकि माता-पिता अधिकारियों से बात कर सकें। कुछ ही देर में सोनू ने कमरे में रखी दरी की रस्सी से खिड़की की ग्रिल में फंदा बनाकर जान दे दी।

पुलिस की लापरवाही या परिस्थिति की त्रासदी?

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सोनू किसी अपराध में गिरफ्तार नहीं था, इसलिए उसे हवालात में नहीं रखा गया। वह थाने में अपने माता-पिता की मर्जी से लाया गया था। थाने में उसके साथ कोई हथकड़ी या निगरानी नहीं थी। इस वजह से वह कुछ ही पलों में आत्महत्या करने में सफल हो गया। थानाध्यक्ष पंकज कुमार ने बताया, “युवक मानसिक रूप से परेशान लग रहा था, लेकिन ऐसा कदम उठाएगा, इसका अंदेशा नहीं था। जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

माता-पिता का फूट-फूट कर रोना

सोनू की मां बिंदु देवी बेसुध हो गईं, वहीं पिता सुरेंद्र यादव ने कहा, हम उसे सुधारने लाए थे, हमें क्या पता था वह हमारे सामने ही दुनिया छोड़ देगा।” उन्होंने थाने पर निगरानी में लापरवाही का आरोप लगाया और निष्पक्ष जांच की मांग की। स्थानीय लोगों के अनुसार, सोनू पहले भी छेड़खानी और चोरी जैसे मामलों में पकड़ा गया था। कुछ समय पहले जेल से छूटकर आया था, लेकिन दोबारा नशे में उलझ गया। गांव में उसकी छवि ठीक नहीं थी, पर माता-पिता ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी।

मानसिक स्वास्थ्य की जरूरत

यह घटना बिहार के ग्रामीण इलाकों में मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति को दर्शाती है। जहां नशा, बेरोजगारी और असामाजिक तत्व युवाओं को भटकने पर मजबूर करते हैं, वहां न तो कोई काउंसलिंग सुविधा है, न ही परिवारों को कोई मार्गदर्शन मिलता है। पुलिस थानों को भी ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और त्वरित हस्तक्षेप की ज़रूरत है।

सारण एसपी गौरव मंगला ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही थाना परिसर की सुरक्षा व्यवस्था और परिजनों के आरोपों की गहनता से समीक्षा की जा रही है।

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