11 घंटा पहलेमणिपुर में बीजेपी का बड़ा दावा, 44 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने की तैयारी
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मणिपुर में बीजेपी नेता राधेश्याम सिंह ने 44 विधायकों के समर्थन का दावा किया। राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने की प्रक्रिया पर चर्चा हुई। जनता को स्थिर सरकार की उम्मीद, फैसला जल्द आने की संभावना।
Manipur: मणिपुर में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बीजेपी नेता थोकचोम राधेश्याम सिंह ने बुधवार को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर 44 विधायकों के समर्थन का दावा पेश किया है। उनका कहना है कि प्रदेश में जल्द से जल्द एक नई सरकार का गठन करना जरूरी है ताकि जनता की समस्याओं का समाधान हो सके।
44 विधायकों के समर्थन के साथ बीजेपी का दावा
राज्यपाल से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में राधेश्याम सिंह ने कहा, "लोगों की इच्छा है कि मणिपुर में एक स्थायी और मजबूत सरकार बने। हमने राज्यपाल महोदय को बताया कि हमारे पास 44 विधायकों का समर्थन है। राज्य की जनता पिछले कई सालों से संघर्ष और अनिश्चितता से जूझ रही है। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द सरकार बने और मणिपुर को स्थिरता और विकास की ओर बढ़ाया जाए।"
उन्होंने कहा कि इन 44 विधायकों में 32 मैतेई, 3 मणिपुरी मुस्लिम और 9 नागा विधायक शामिल हैं। इसके अलावा 9 अन्य विधायकों ने भी राज्यपाल से मुलाकात की है। उन्होंने साफ किया कि किसी ने भी नई सरकार के गठन का विरोध नहीं किया है।
राज्यपाल से मुलाकात में क्या हुआ?
बीजेपी नेता राधेश्याम सिंह ने बताया कि राज्यपाल ने उनकी बातों को ध्यान से सुना और आश्वस्त किया कि लोगों के हित में जल्द से जल्द निर्णय लिया जाएगा। राधेश्याम सिंह ने कहा, "हमने राज्यपाल को मणिपुर के हालात के बारे में विस्तार से बताया और उनसे आग्रह किया कि वे नई सरकार बनाने की प्रक्रिया को शुरू करें। राज्य के लोग बहुत परेशान हैं और स्थिरता चाहते हैं।"
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से सलाह
बीजेपी नेताओं का कहना है कि अंतिम फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व करेगा। यानी, बीजेपी के दिल्ली स्थित बड़े नेता तय करेंगे कि मणिपुर में सरकार बनाने की प्रक्रिया को कैसे आगे बढ़ाना है। हालांकि, स्थानीय नेताओं ने अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर ली है और समर्थन भी जुटा लिया है।
विरोध नहीं, सब समर्थन में
बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि स्पीकर सत्यव्रत ने व्यक्तिगत रूप से और समूह में 44 विधायकों से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, "कोई भी विधायक नई सरकार के गठन का विरोध नहीं कर रहा है। सबका यही कहना है कि मणिपुर को एक स्थायी सरकार की जरूरत है।"
मणिपुर की मौजूदा राजनीतिक स्थिति
गौरतलब है कि मणिपुर में पिछले साल मई 2023 से जातीय संघर्ष की वजह से हालात बेहद खराब हैं। मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच संघर्ष के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है।
मौजूदा विधानसभा में 60 सीटें हैं, लेकिन एक विधायक की मृत्यु के कारण 59 सदस्य ही हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास कुल 44 विधायक हैं, जिनमें 32 मैतेई, 3 मणिपुरी मुस्लिम और 9 नागा विधायक शामिल हैं। कांग्रेस के पास 5 विधायक हैं, जबकि 10 कुकी विधायक अलग-अलग पार्टियों से हैं, जिनमें 7 ने पिछला चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़ा था, 2 कुकी पीपुल्स अलायंस से और 1 निर्दलीय है।
मणिपुर की जनता की उम्मीदें
मणिपुर के लोग पिछले कई महीनों से राजनीतिक अनिश्चितता, हिंसा और संघर्ष के साये में जी रहे हैं। लंबे समय से स्थिर सरकार नहीं होने के कारण विकास कार्य रुके हुए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी योजनाएं भी ठप हैं। ऐसे में बीजेपी की तरफ से सरकार बनाने का दावा जनता के लिए राहत की खबर हो सकती है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द एक स्थायी सरकार बने, ताकि प्रदेश में शांति लौटे और विकास की गति तेज हो।
केंद्र से हरी झंडी मिलने का इंतजार
अब सभी की नजरें बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर टिकी हैं। क्या केंद्रीय नेतृत्व मणिपुर में सरकार बनाने की मंजूरी देगा? क्या जल्द ही बीजेपी एक नई सरकार का गठन कर पाएगी? इन सभी सवालों का जवाब आने वाले दिनों में मिल सकता है।
14 घंटा पहलेPunjab Election: बलकौर सिंह करेंगे राजनीति में एंट्री, 2027 में पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान
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सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने 2027 में पंजाब के मानसा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया। उनका मकसद बेटे को न्याय दिलाना और राज्य की बिगड़ी कानून व्यवस्था सुधारना है।
Punjab Election: पंजाबी सिंगर और पूर्व उम्मीदवार सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने पंजाब में 2027 के विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। यह एलान उन्होंने जिला कांग्रेस द्वारा आयोजित 'संविधान बचाओ रैली' के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान किया। बलकौर सिंह का कहना है कि वे अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए चुनाव मैदान में उतरेंगे क्योंकि पंजाब में कानून व्यवस्था बेहद खराब हो चुकी है।
बलकौर सिंह का चुनाव लड़ने का फैसला: एक पिता की आवाज
बलकौर सिंह का कहना है कि उनके बेटे सिद्धू मूसेवाला को न्याय नहीं मिला है। उन्होंने साफ किया कि पंजाब की कानून व्यवस्था इतनी खराब हो चुकी है कि उन्हें अपने बेटे के हत्यारों के खिलाफ न्याय पाने के लिए राजनीति में उतरना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “मेरे बेटे की हत्या के आरोपित अभी भी जेल में नहीं हैं। पंजाब में दिनदहाड़े हत्या होती है, और ऐसा माहौल संविधान के लिए खतरनाक है। इसलिए मुझे जनता के बीच जाकर लड़ना होगा।”
यह पहली बार नहीं है जब बलकौर सिंह ने बेटे की हत्या के बाद राजनीतिक कदम उठाया हो, लेकिन इस बार उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वह मानसा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। मानसा वही सीट है जहां 2022 में सिद्धू मूसेवाला ने भी चुनाव लड़ा था।
पंजाब की कानून व्यवस्था पर सवाल
बलकौर सिंह ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पंजाब में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। उन्होंने कहा, "AAP सरकार के दौरान पंजाब में कई बड़ी घटनाएं हुई हैं, जिसमें आम जनता की सुरक्षा दांव पर लगी हुई है। मेरे बेटे को भी खुली हत्या का शिकार बनाया गया और जिम्मेदारों को पकड़ना अभी बाकी है।"
उनका यह भी कहना था कि कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने से संविधान की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है, इसलिए प्रदेश की जनता को अपने अधिकारों और संविधान के लिए खड़ा होना होगा।
सिद्धू मूसेवाला का राजनीतिक सफर
सिद्धू मूसेवाला ने 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मानसा सीट से चुनाव लड़ा था। उस समय पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू थे। हालांकि, सिद्धू मूसेवाला आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार विजय सिंगला से हार गए थे।
सिद्धू मूसेवाला की लोकप्रियता केवल एक पंजाबी गायक के रूप में ही नहीं थी, बल्कि उनकी राजनीति में भी अच्छी पकड़ थी। उनकी युवा पीढ़ी में काफी फैन फॉलोइंग थी, जिसने उन्हें एक लोकप्रिय चेहरा बना दिया था।
2022 में हुई थी सिद्धू मूसेवाला की हत्या
29 मई 2022 को मानसा जिले के जवाहरके गांव में कुछ अज्ञात हमलावरों ने सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने इस मामले में लॉरेंस बिश्नोई नामक गिरोह को मुख्य संदेहियों में बताया। इस गिरोह ने सोशल मीडिया पर हत्या की जिम्मेदारी स्वीकार करने की बात कही थी, लेकिन बाद में इस दावे से इनकार भी कर दिया था।
लॉरेंस बिश्नोई जून 2022 तक पुलिस की हिरासत में था और इसे हत्या का मास्टरमाइंड माना जाता है। सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने पंजाब और पूरे देश को हिला कर रख दिया था।
14 घंटा पहलेमोदी कैबिनेट के बड़े फैसले: किसानों को बड़ी राहत, खरीफ फसलों की MSP बढ़ी
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मोदी सरकार ने खरीफ फसलों की MSP बढ़ाई। 14 फसलों में नाइजरसीड, रागी, कपास, तिल का MSP ज्यादा बढ़ा। किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिलेगी। केसीसी योजना भी जारी रखने का फैसला हुआ।
Cabinet Meeting: मोदी सरकार ने देश के किसानों को बड़ी राहत दी है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में इजाफा करने का फैसला लिया गया है। यह फैसला 2025-26 के विपणन सत्र के लिए लागू होगा। सरकार ने 14 खरीफ फसलों के MSP में वृद्धि की है, जिसमें नाइजरसीड, रागी, कपास और तिल में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह कदम किसानों को उनकी उपज के लाभकारी मूल्य दिलाने और उनकी आय बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
किस फसल के MSP में कितनी बढ़ोतरी हुई?
सरकार के अनुसार, नाइजरसीड का MSP 820 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। रागी का MSP 596 रुपये प्रति क्विंटल, कपास का 589 रुपये प्रति क्विंटल और तिल का 579 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। बाजरा, मक्का, तुअर और उड़द जैसी फसलों पर भी किसानों को उनकी लागत पर 50% से ज्यादा मुनाफा मिलने का अनुमान है। खासकर बाजरा पर 63% तक का लाभ मिलेगा।
किसान क्रेडिट कार्ड योजना को लेकर भी राहत
कैबिनेट ने किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना को भी जारी रखने का फैसला लिया है। इसके तहत किसानों को 7% की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक ऋण मिलेगा। अगर किसान समय पर ऋण चुकाते हैं तो उन्हें 3% का अतिरिक्त प्रोत्साहन (प्रॉम्प्ट रिपेमेंट इंसेंटिव) भी मिलेगा, जिससे उनकी प्रभावी ब्याज दर 4% हो जाएगी। यह योजना देशभर के 7.75 करोड़ किसानों के लिए राहत लेकर आई है।
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को भी मंजूरी
कैबिनेट ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है। इसमें आंध्र प्रदेश के कृष्णापट्टनम पोर्ट को जोड़ने वाला 4 लेन हाईवे, बाडवेल से नेल्लौर तक नया हाईवे और तरलाम से नागदा तक रेलवे की 4 लाइनिंग शामिल है। इन परियोजनाओं से देश की लॉजिस्टिक्स व्यवस्था और कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
रेलवे की दो बड़ी मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएं भी स्वीकृत
रेलवे के विकास को लेकर भी महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। कैबिनेट ने रतलाम-नागदा तीसरी और चौथी लाइन और वर्धा-बल्हारशाह चौथी लाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन दोनों प्रोजेक्ट्स पर लगभग 3,399 करोड़ रुपये खर्च होंगे और 2029-30 तक इन्हें पूरा किया जाएगा। इससे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के चार जिलों में लगभग 176 किलोमीटर का नया रेलवे नेटवर्क तैयार होगा। इन परियोजनाओं से करीब 19.74 लाख लोगों को सीधा लाभ मिलेगा और 784 गांवों की कनेक्टिविटी मजबूत होगी।
किसानों और देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा फायदा
सरकार का यह कदम किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ देश के विकास को गति देने वाला है। MSP में बढ़ोतरी से किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलेगा। वहीं, नए हाइवे और रेलवे प्रोजेक्ट्स से व्यापार, परिवहन और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। सरकार की कोशिश है कि किसानों की आय दोगुनी हो और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की रफ्तार तेज हो।
16 घंटा पहलेपाकिस्तान बॉर्डर पर अलर्ट: सीमावर्ती इलाकों में फिर से मॉक ड्रिल, आतंक के खिलाफ एक और बड़ी तैयारी
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भारत ने 6-7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। 30 मई को गुजरात, पंजाब, राजस्थान और कश्मीर बॉर्डर पर मॉक ड्रिल होगी। सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं।
Mock Drill: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद, एक बार फिर बॉर्डर पर अलर्ट बढ़ा दिया गया है। भारत सरकार ने 30 मई की शाम को गुजरात, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में बड़ी मॉक ड्रिल (Mock Drill) का आयोजन करने का फैसला लिया है। इस दौरान लोगों को सतर्क रहने की अपील की गई है और सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक
भारत ने हाल ही में 6-7 मई की रात को "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पीओके (PoK) में मौजूद 9 बड़े आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए अंजाम दिया गया था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकवादी संगठनों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के टारगेट: कहां-कहां मारे गए आतंकी?
भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके के बहावलपुर, मुरीदके, गुलपुर, भिंबर, चाक अमरू, बाग, कोटली, सियालकोट और मुजफ्फराबाद जैसे इलाकों में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर और मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय भी ऑपरेशन में ध्वस्त किया गया।
क्यों बढ़ा है पाकिस्तान में खौफ?
भारत के इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान में दहशत का माहौल है। पाकिस्तान की सेना को डर है कि भारत अब उनके बाकी 12 आतंकी ठिकानों को भी टारगेट कर सकता है। यही वजह है कि पाकिस्तान की सेना बॉर्डर पर फायरिंग कर रही है और ड्रोन हमले करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई ड्रोन हमलों को नाकाम कर दिया है।
सीमावर्ती इलाकों में हाई अलर्ट, कंट्रोल सेंटर तैयार
भारत ने पाकिस्तान की बौखलाहट को देखते हुए सीमावर्ती इलाकों में अपनी सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत कर दी है। कश्मीर के 10 जिलों में कंट्रोल सेंटर बनाए गए हैं और एयर डिफेंस सिस्टम को हाई अलर्ट पर रखा गया है। गुजरात, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने क्यों मांगा सीजफायर?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमला करने की कोशिश की थी। उन्होंने भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर ड्रोन अटैक करने की योजना बनाई थी, लेकिन भारतीय सेना ने इसे पूरी तरह नाकाम कर दिया। 7 से 10 मई तक दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव बना रहा, जिसके बाद पाकिस्तान ने 10 मई को सीजफायर की अपील की और युद्धविराम लागू किया गया।
16 घंटा पहलेविजय शाह केस में SIT की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा, जांच के लिए मांगा और वक्त
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विजय शाह के खिलाफ कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी मामले में SIT ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी। जांच शुरुआती दौर में, और वक्त मांगा। 7 गवाहों के बयान दर्ज, FSL जांच अधूरी।
Vijay Shah: मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के खिलाफ सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में गठित विशेष जांच टीम (SIT) ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट पेश कर दी है। SIT ने कोर्ट को बताया कि जांच अभी शुरुआती दौर में है और उन्होंने जांच पूरी करने के लिए और समय मांगा है।
क्या कहा SIT ने अपनी रिपोर्ट में?
SIT ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अब तक इस मामले से जुड़े 7 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। इन गवाहों के बयान वीडियो रिकॉर्डिंग के तौर पर भोपाल स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) को भेजे गए थे। लेकिन लैब में संसाधनों की कमी के चलते ये वीडियो बिना किसी जांच के वापस आ गए। SIT ने बताया कि इस मामले से जुड़े एक पत्रकार का मोबाइल फोन भी जांच के लिए सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) को भेजा गया है।
SIT ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस केस की जांच में समय लगेगा, इसलिए अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और वक्त दिया जाए।
SIT ने वीडियो और मीडिया रिपोर्ट्स का भी अध्ययन
SIT ने मामले से जुड़े वीडियो और सोशल मीडिया पर वायरल हुई रिपोर्ट्स का भी अध्ययन किया है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने SIT की इस स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई की। पिछली सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले को सुना था।
क्या है पूरा विवाद?
यह विवाद उस समय सामने आया जब विजय शाह ने एक पब्लिक कार्यक्रम में भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के लिए कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। उनका भाषण वायरल हुआ और सोशल मीडिया पर इसको लेकर जमकर आलोचना हुई। देशभर में इस बयान की निंदा हुई और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई।
18 घंटा पहलेचेन्नई अदालत ने अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न आरोपी को ठहराया दोषी, 2 जून को आएगा बड़ा फैसला
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चेन्नई की महिला अदालत ने अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी ज्ञानशेखरन को दोषी करार दिया। 2 जून को कोर्ट इस मामले में अंतिम फैसला सुनाएगी।
Anna University Case: चेन्नई की महिला अदालत ने अन्ना यूनिवर्सिटी की एक छात्रा के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी ज्ञानशेखरन को दोषी ठहराया है। इस मामले में अदालत ने 2 जून को अंतिम फैसला सुनाने की तारीख भी तय कर दी है। यह घटना पिछले साल दिसंबर की है, जिसने पूरे क्षेत्र में खलबली मचा दी थी।
घटना का विवरण
23 दिसंबर 2024 को अन्ना यूनिवर्सिटी की एक 19 वर्षीय छात्रा अपने दोस्त से मिलने गई थी। इसी दौरान आरोपी ज्ञानशेखरन, जो यूनिवर्सिटी कैंपस में बिरयानी बेचता था, वहां पहुंच गया। उसने छात्रा के दोस्त के साथ मारपीट की और फिर छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न किया। घटना के बाद पीड़िता ने तुरंत कोट्टूरपुरम पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और दोनों पीड़ितों का इलाज निजी अस्पताल में कराया गया।
पुलिस की जांच और कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। आरोपी को गिरफ्तार कर उसकी कड़ी जांच की गई। पुलिस ने पूरे मामले की छानबीन कर आरोप साबित करने के लिए सबूत जुटाए। यह मामला पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बन गया था, खासकर तब जब क्रिसमस समारोह के दौरान सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा हो रही थी।
अदालत का निर्णय
चेन्नई की महिला अदालत की जज राजलक्ष्मी ने आरोपी ज्ञानशेखरन को दोषी करार दिया है। अब 2 जून को इस मामले में सजा का ऐलान किया जाएगा। यह फैसला न केवल पीड़िता के लिए न्याय होगा, बल्कि समाज में यौन अपराधों के खिलाफ एक सशक्त संदेश भी माना जाएगा।
छात्राओं का विरोध और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद अन्ना यूनिवर्सिटी के छात्र और छात्राओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। साथ ही, सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर व्यापक चर्चा हुई, जिससे पूरे शहर में जागरूकता बढ़ी।
पुलिस प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना ने पुलिस प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। खासकर तब जब पुलिस ने क्रिसमस के दौरान सुरक्षा की बड़ी तैयारी की थी। विपक्षी दलों ने भी इस मामले की कड़ी आलोचना की और पुलिस की लापरवाही पर चिंता जताई।
20 घंटा पहलेजली नकदी कांड: जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग लाने की तैयारी में केंद्र, जानिए पूरा मामला
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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ केंद्र सरकार महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। जली नकदी मामले में सुप्रीम कोर्ट जांच समिति ने वर्मा को दोषी ठहराया है।
Justice Yashwant Verma: जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम इन दिनों चर्चा में है, और वजह है उनके खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से महाभियोग की तैयारी। दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के बाद से यह मामला सुर्खियों में है। अब केंद्र सरकार मानसून सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ रही है।
क्या है पूरा मामला?
जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के आउटहाउस से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस जांच समिति ने उन्हें दोषी ठहराया है। इस रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की।
हालांकि, यह रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन इसके बाद वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से उनके मूल पदस्थापन स्थल इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया।
वर्मा ने इस्तीफा देने से किया इंकार
जांच के बाद तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने वर्मा से इस्तीफा देने को कहा था, लेकिन उन्होंने इससे साफ इंकार कर दिया। वर्मा का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने दावा किया कि उनके आवास से जो नकदी बरामद हुई, उसका उनसे कोई लेना-देना नहीं है। वर्मा का तर्क है कि यह नकदी उनके घर के आउटहाउस में आग लगने के बाद मिली थी, और उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया जा रहा है।
सरकार की तैयारी – महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार जुलाई के दूसरे पखवाड़े से शुरू हो रहे मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की दिशा में काम कर रही है। अगर वर्मा इस्तीफा नहीं देते, तो महाभियोग लाना सरकार की प्राथमिकता होगी।
महाभियोग लाने के लिए संसद में एक तय प्रक्रिया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी न्यायाधीश को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाना जरूरी होता है। इसके लिए लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों का और राज्यसभा में 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है।
अगर प्रस्ताव दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पास हो जाता है, तो संसद लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति से अनुरोध करती है कि वे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कराएं। यह समिति सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश, हाईकोर्ट के किसी मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित कानूनविद (jurist) से मिलकर बनती है।
क्या है केंद्र सरकार की रणनीति?
सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार चाहती है कि इस महाभियोग प्रस्ताव को विपक्षी दलों की सहमति के साथ लाया जाए, ताकि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी रहे। यह मामला राजनीतिक रूप से भी काफी संवेदनशील हो गया है और सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दल इस पर अपनी राय रख रहे हैं।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव के ड्राफ्ट में सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति की रिपोर्ट को शामिल किया जाएगा, जिसमें नकदी बरामदगी के पूरे मामले का जिक्र होगा।
विपक्ष की भूमिका अहम
सरकार विपक्ष को भी भरोसे में लेकर आगे बढ़ना चाहती है, क्योंकि महाभियोग जैसे बड़े कदम के लिए संसद में पर्याप्त समर्थन जरूरी होता है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, "मामला गंभीर है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हम जल्द ही अंतिम निर्णय लेंगे।"
21 घंटा पहलेएलन मस्क की SpaceX को झटका, दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट Starship Flight 9 क्रैश
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SpaceX का Starship Flight 9 टेक्सास से लॉन्च हुआ, लेकिन उड़ान के 30 मिनट बाद क्रैश हो गया। एलन मस्क ने कहा, "हमने महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त किया है।"
SpaceX: दुनिया के सबसे अमीर शख्स और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क की महत्वाकांक्षी परियोजना स्टारशिप एक बार फिर सुर्खियों में है। टेक्सास के बोका चिका से 28 मई की सुबह करीब 5 बजे (भारतीय समय) इस दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट को लॉन्च किया गया। लेकिन लॉन्च के करीब 30 मिनट बाद ही रॉकेट ने अपना कंट्रोल खो दिया और पृथ्वी के वातावरण में दाखिल होते समय यह क्रैश हो गया। हालांकि, इस मिशन से स्पेसएक्स ने कुछ अहम आंकड़े जुटाए, जिससे भविष्य के लॉन्च को और बेहतर बनाया जा सकेगा।
तीसरी बार क्रैश हुआ स्टारशिप
यह तीसरा मौका था जब स्टारशिप लॉन्च के बाद अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सका और क्रैश हो गया। लेकिन इस बार की उड़ान में एक अहम सफलता भी मिली। रॉकेट का बूस्टर अमेरिका की खाड़ी में हार्ड लैंडिंग में सफल रहा, यानी उसे वापस लाने की कोशिश आंशिक रूप से कामयाब हुई। इस दौरान बूस्टर के एक सेंटर इंजन को जानबूझकर बंद कर दिया गया था, ताकि बैकअप इंजन की क्षमता का टेस्ट किया जा सके।
क्या कहा एलन मस्क ने?
एलन मस्क ने इस लॉन्च के बाद एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट किया कि स्टारशिप ने अपने निर्धारित इंजन कटऑफ तक उड़ान पूरी की, जो पिछली उड़ानों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन था। उन्होंने बताया कि री-एंट्री फेज के दौरान टैंक प्रेशर में गिरावट आई, जिससे रॉकेट क्रैश हुआ। मस्क ने उम्मीद जताई कि अब अगली तीन लॉन्च और जल्दी-जल्दी की जाएंगी, लगभग हर 3-4 हफ्ते में एक लॉन्च होगा। इससे स्टारशिप के डिजाइन और टेक्नोलॉजी को और परखा जाएगा।
रॉकेट की खासियतें क्या थीं?
स्पेसएक्स के इस मिशन को 'स्टारशिप फ्लाइट 9' नाम दिया गया था। इसमें सुपर हेवी बूस्टर और 35 शिप का इस्तेमाल किया गया। यह रॉकेट करीब 400 फीट लंबा है और पूरी तरह से रीयूजेबल यानी बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें 33 रैप्टर इंजन लगे होते हैं, जिनमें से 29 इस उड़ान में सफलतापूर्वक शुरू किए गए।
इस मिशन में 'हॉट-स्टेजिंग' नामक एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया को भी सफलतापूर्वक पूरा किया गया। स्टारशिप को उड़ान की मंजूरी अमेरिका की Federal Aviation Administration (FAA) से मिली थी, जिसने उड़ान मार्ग के आसपास 1600 नॉटिकल मील का 'एयरक्राफ्ट हैज़र्ड एरिया' तय किया था।
क्यों अहम है स्टारशिप का मिशन?
एलन मस्क का सपना है कि स्टारशिप को एक बहुउद्देश्यीय रॉकेट बनाया जाए, जो केवल पृथ्वी की कक्षा तक ही सीमित न हो, बल्कि चांद, मंगल और उससे भी आगे के मिशनों के लिए इंसानों और सामान को ले जाने में सक्षम हो। मस्क की योजना है कि स्टारशिप की मदद से भविष्य में मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती बसाई जा सके। इस उड़ान से कंपनी को नए डेटा मिले हैं, जिससे स्टारशिप को और बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जाएगा।
मस्क और ट्रंप के बीच चर्चा में रही साझेदारी
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद एलन मस्क को एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। ट्रंप ने मस्क को DOGE प्रोजेक्ट का प्रमुख बनाया था। हालांकि, मस्क ने फिलहाल राजनीति से दूरी बनाकर अपनी कंपनी स्पेसएक्स और अन्य बिजनेस पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। मस्क फिलहाल स्टारशिप की सफलता पर पूरा फोकस कर रहे हैं।
21 घंटा पहलेट्रंप और पुतिन के बीच तकरार, रूस ने दी तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी
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डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को आग से खेलने की चेतावनी दी। रूस ने जवाब में तीसरे विश्व युद्ध की धमकी दे दी। अमेरिका-रूस में बढ़ा तनाव।
दुनिया के दो बड़े शक्तिशाली देश रूस और अमेरिका एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। इस बार विवाद की वजह बने हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। ट्रंप ने पुतिन को आग से खेलने की चेतावनी दी है, जिसके जवाब में रूस की तरफ से भी तीखा बयान आया है। रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने साफ शब्दों में कहा कि अगर ट्रंप आग से खेलने की बात कर रहे हैं, तो उन्हें तीसरे विश्व युद्ध के खतरों को समझना चाहिए।
ट्रंप का तीखा हमला – पुतिन "क्रेजी" हो गए हैं
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया बयान में व्लादिमीर पुतिन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "मैं पुतिन को बहुत लंबे समय से जानता हूं, हमारे रिश्ते पहले अच्छे थे। लेकिन अब पुतिन कुछ अलग ही कर रहे हैं। वे रॉकेट्स दाग रहे हैं, शहरों पर मिसाइलें बरसा रहे हैं और मासूम लोगों की जान ले रहे हैं। मुझे ये बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा। मुझे समझ नहीं आ रहा कि पुतिन के साथ आखिर क्या हो रहा है।"
ट्रंप ने यहां तक कहा कि पुतिन बिल्कुल क्रेजी हो गए हैं। उनका आरोप है कि पुतिन केवल यूक्रेन के एक हिस्से को ही नहीं, बल्कि पूरा यूक्रेन हड़पना चाहते हैं। ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रूस ने ऐसा किया, तो इसका अंजाम रूस के लिए बेहद खतरनाक होगा।रूस का करारा जवाब
ट्रंप के बयानों पर रूस की प्रतिक्रिया भी उतनी ही सख्त रही। रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने साफ कहा, "अगर ट्रंप सोचते हैं कि पुतिन आग से खेल रहे हैं और रूस के साथ कुछ बुरा हो सकता है, तो उन्हें एक बात समझनी चाहिए – सबसे बुरी चीज तीसरा विश्व युद्ध है।"
मेदवेदेव ने उम्मीद जताई कि ट्रंप इस बात को समझेंगे और गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी से बचेंगे।क्या है विवाद की जड़
इस पूरे विवाद की जड़ यूक्रेन युद्ध और सीजफायर की कोशिशें हैं। ट्रंप चाहते हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच जल्द से जल्द सीजफायर हो, लेकिन पुतिन इसके लिए तैयार नहीं हैं। ट्रंप का कहना है कि अगर वह अमेरिका के राष्ट्रपति होते, तो रूस के साथ अब तक कुछ बहुत बुरा हो चुका होता। उन्होंने दावा किया कि पुतिन उनकी बात नहीं मानकर "आग से खेल" रहे हैं।
ट्रंप के अनुसार, पुतिन यूक्रेन के कई शहरों पर लगातार हमले कर रहे हैं, जिसमें मासूम लोगों की जान जा रही है। ट्रंप का मानना है कि पुतिन के इस रुख के कारण यूक्रेन संकट और ज्यादा भड़क सकता है और यह पूरे यूरोप के लिए खतरा बन सकता है।
अमेरिका-रूस रिश्तों में बढ़ती तल्खी
अमेरिका और रूस के बीच रिश्ते अब पहले जैसे नहीं रहे। ट्रंप ने एक बार फिर अपने बयान में यह जताने की कोशिश की कि अगर वह राष्ट्रपति होते, तो पुतिन को ऐसे कदम उठाने से रोक देते। लेकिन रूस की तरफ से भी यह संदेश साफ है कि वे किसी भी धमकी से डरने वाले नहीं हैं। मेदवेदेव के बयान से यह जाहिर हो गया है कि रूस भी ट्रंप के बयानों को हल्के में नहीं ले रहा।
1 दिन पहलेओवैसी का पाकिस्तान पर तीखा हमला: नकली तस्वीरों से दिखावा, नेताओं को 'बेवकूफ जोकर' कहा
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ओवैसी का पाकिस्तानी सेना प्रमुख और प्रधानमंत्री पर तीखा प्रहार, नकली चीनी सैन्य ड्रिल की तस्वीर को भारत पर ऑपरेशन का झूठा दावा बताया। पाकिस्तानी नेताओं को ‘बेवकूफ जोकर’ की संज्ञा दी।
नई दिल्ली: AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर पर तंज कसते हुए उन्हें 'बेवकूफ जोकर' कहा है। ओवैसी ने कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने एक उच्चस्तरीय कार्यक्रम में भारत के विरुद्ध अपने ऑपरेशन 'बुनियान अल-मरसूस' की एक नकली तस्वीर प्रस्तुत की, जो वास्तव में 2019 की एक चीनी सैन्य ड्रिल की तस्वीर थी। इस घटना ने पाकिस्तान की गंभीरता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पाकिस्तान की फर्जी तस्वीर का पर्दाफाश
हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर ने एक कार्यक्रम में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के प्रत्युत्तर में शुरू किए गए ऑपरेशन 'बुनियान अल-मरसूस' की एक तस्वीर दिखाई। परन्तु यह तस्वीर असत्य थी। वास्तव में यह 2019 की एक चीनी सैन्य ड्रिल की तस्वीर थी, जिसे पाकिस्तान ने भारत पर अपनी जीत के रूप में प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, विदेश मंत्री इशाक डार सहित कई शीर्ष सैन्य और राजनीतिक अधिकारी उपस्थित थे।
ओवैसी ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पाकिस्तान को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। ये लोग सही तस्वीर भी प्रस्तुत नहीं कर सकते। नकल करने के लिए भी बुद्धि की आवश्यकता होती है, और इनमें वह बुद्धि नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि यह सब केवल दिखावा है, जिससे पाकिस्तान अपनी प्रतिष्ठा बचाने का प्रयास कर रहा है।
ओवैसी का पाकिस्तान पर तीखा व्यंग्य
कुवैत में भारतीय समुदाय से बातचीत के दौरान ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान के ये 'बेवकूफ जोकर' भारत का मुकाबला करना चाहते हैं, लेकिन उनका यह प्रयास हास्यास्पद है क्योंकि वे सही तस्वीर भी प्रस्तुत नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, “उन्होंने 2019 की चीनी सैन्य ड्रिल की तस्वीर को भारत पर जीत के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि नकल करने के लिए भी सोच की आवश्यकता होती है।”
ओवैसी के बयान से स्पष्ट है कि वे पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों और राजनीतिक चालबाज़ियों को गंभीरता से नहीं लेते और उन्हें महज़ दिखावा मानते हैं। उनका मानना है कि पाकिस्तान के ये कृत्य स्वयं पाकिस्तान की विश्वसनीयता को क्षति पहुँचाते हैं।
जम्मू-कश्मीर आतंकवादी हमले के बाद पाक नेताओं की आलोचना
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद से ओवैसी ने पाकिस्तानी नेताओं की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने बार-बार कहा है कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देता है और उनमें कोई परिवर्तन नहीं आया है। ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवादियों को समर्थन देना बंद करना चाहिए और अपने देश की सुरक्षा में सुधार पर ध्यान देना चाहिए।
यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध अपनी सैन्य गतिविधियों के बारे में गलत और भ्रामक जानकारी फैलाई हो। मई में पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने भी देश की वायुसेना की प्रशंसा के लिए ब्रिटेन के एक समाचार पत्र के लेख की एक नकली तस्वीर का इस्तेमाल किया था, जिसे बाद में बेनकाब कर दिया गया।