हिंदू पंचांग के अनुसार 17 जून 2025 का दिन आषाढ़ कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के साथ कई ज्योतिषीय संयोग लेकर आया है। इस दिन मंगलवार है और इसके साथ ही पंचक, पृथ्वी लोक की भद्रा, प्रीति योग और शतभिषा नक्षत्र जैसे योग भी प्रभावी हैं। ज्योतिषाचार्य आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष कार्यों में सावधानी बरतनी होगी, वहीं कुछ खास मुहूर्त का लाभ उठाकर दिन को शुभ बनाया जा सकता है।
अगर आप 17 जून को कोई नया कार्य शुरू करने, यात्रा, खरीदारी, नामकरण या मांगलिक कार्य जैसे शुभ काम करने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि कौन सा समय आपके लिए अनुकूल रहेगा और किन योगों से बचाव आवश्यक है।
17 जून 2025: पंचांग की मुख्य जानकारी
- तिथि: आषाढ़ कृष्ण पक्ष षष्ठी
- वार: मंगलवार
- नक्षत्र: शतभिषा (देर रात 1:02 बजे तक)
- योग: प्रीति (18 जून सुबह 7:40 बजे तक)
- करण: तैतिल, गर
- सूर्य नक्षत्र: मृगशिरा
- चंद्र राशि: कुंभ
- सूर्य राशि: मिथुन
- पंचक आरंभ: जारी है
- भद्रा: पृथ्वी लोक में प्रभावी
- सूर्योदय और सूर्यास्त का समय (17 जून 2025)
- सूर्योदय: सुबह 05:23 बजे
- सूर्यास्त: शाम 07:21 बजे
सूर्य की गति के अनुसार दिन लगभग 14 घंटे का होगा, जिससे यह दिन कर्मों के लिए पर्याप्त समय देने वाला है, लेकिन सही समय चुनना आवश्यक है।
अभिजीत मुहूर्त: सफलता का अमोघ काल
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:54 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक, यह मुहूर्त सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। यदि आप किसी महत्वपूर्ण निर्णय या यात्रा की शुरुआत इसी मुहूर्त में करते हैं, तो सफलता की संभावना अधिक होती है।
राहुकाल का समय: इस दौरान रहें सतर्क
राहुकाल को अशुभ समय माना जाता है, इसमें कोई भी नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। शहरवार राहुकाल इस प्रकार है:
- दिल्ली: 03:51 PM - 05:36 PM
- मुंबई: 03:58 PM - 05:38 PM
- चंडीगढ़: 03:55 PM - 05:41 PM
- लखनऊ: 03:34 PM - 05:18 PM
- भोपाल: 03:44 PM - 05:26 PM
- कोलकाता: 03:00 PM - 04:41 PM
- अहमदाबाद: 04:03 PM - 05:45 PM
- चेन्नई: 03:53 PM - 04:59 PM
विशेष योग: पंचक और भद्रा का प्रभाव
17 जून को पंचक का प्रभाव बना हुआ है। पंचक उस अवधि को कहा जाता है जब चंद्रमा कुंभ से मीन राशि में भ्रमण करता है। पंचक में विशेष सावधानी रखने की जरूरत होती है क्योंकि यह काल कुछ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। पंचक में वर्जित कार्य:
- लकड़ी से संबंधित कार्य
- नया पलंग या छत बनवाना
- दक्षिण दिशा की यात्रा
- शवदाह या अंत्येष्टि (विशेष मंत्र से निवारण आवश्यक)
- भद्रा – पृथ्वी लोक में प्रवेश
भद्रा काल का पृथ्वी लोक में प्रभाव अधिक गंभीर होता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, व्यवसाय आरंभ आदि नहीं किए जाते। भद्रा का समय: भद्रा 17 जून को दिन में प्रभावी है और मध्य रात्रि के बाद समाप्त होगी।
प्रीति योग और शतभिषा नक्षत्र – क्या कहते हैं सितारे?
- प्रीति योग: प्रीति योग, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है प्रेम और सौहार्द, सामान्यतः सकारात्मक प्रभाव देने वाला योग है। यह योग 18 जून की सुबह 7:40 बजे तक रहेगा। यह समय मानसिक शांति, रिश्तों में मधुरता, और रचनात्मक कार्यों के लिए उपयुक्त है।
- शतभिषा नक्षत्र: शतभिषा नक्षत्र को रहस्यमय और चिकित्सीय गुणों से युक्त माना जाता है। यह नक्षत्र वैद्यक, रिसर्च, तंत्र-मंत्र, और गूढ़ विषयों के अध्ययन के लिए उपयुक्त होता है। इस दिन ध्यान, साधना और अध्यात्म में प्रवृत्ति वालों को विशेष लाभ मिल सकता है।
व्रत-त्योहार और धार्मिक मान्यताएं
हालांकि 17 जून को कोई मुख्य व्रत या बड़ा पर्व नहीं है, लेकिन मंगलवार होने के कारण हनुमान जी की पूजा, हनुमान चालीसा पाठ, और मंगलदोष शांति पूजा का विशेष महत्व रहेगा।
क्या करें
- अभिजीत मुहूर्त में महत्वपूर्ण निर्णय लें
- हनुमान जी की उपासना करें
- मानसिक शांति के लिए ध्यान या मेडिटेशन करें
- शोध, अध्यात्म या चिकित्सा से जुड़े विषयों पर कार्य करें
क्या न करें
- पंचक काल में घर के निर्माण संबंधी कार्य
- भद्रा काल में शुभ कार्यों की शुरुआत
- राहुकाल में यात्रा या नया कार्य
- दक्षिण दिशा की यात्रा टालें
17 जून 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से सावधानीपूर्वक चयन का दिन है। पंचक, भद्रा और राहुकाल जैसे योग जहां सावधान करते हैं, वहीं प्रीति योग, अभिजीत मुहूर्त और शतभिषा नक्षत्र जैसे संयोग दिन को संतुलित भी करते हैं। आपके दिन की योजना यदि पंचांग के अनुसार बनाई जाए, तो न सिर्फ कार्यों में सफलता मिलेगी, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होगी।