जवाहर तापीय परियोजना में एक बार फिर से वेतन विवाद को लेकर कामकाज प्रभावित हुआ है। इस बार मैनपावर कंपनी के कर्मचारियों और श्रमिकों ने चार महीने से वेतन न मिलने के कारण काम रोक दिया।
Power Plant: उत्तर प्रदेश के एटा जिले स्थित जवाहर तापीय परियोजना (JTPP) एक बार फिर श्रमिक असंतोष और वेतन विवाद के चलते चर्चा में आ गई है। सोमवार को परियोजना स्थल पर काम कर रहे मैन पावर कंपनी के दर्जनों श्रमिकों ने कार्य बहिष्कार करते हुए साफ कह दिया कि जब तक चार माह से रुका हुआ वेतन नहीं दिया जाएगा, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।
वेतन नहीं, काम नहीं: श्रमिकों का सीधा संदेश
श्रमिकों का आरोप है कि उन्हें पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिला है। ये सभी श्रमिक मैन पावर कंपनी एनएस के माध्यम से यहां तैनात हैं और दक्षिण कोरियाई फर्म दुसान के अधीन कार्य कर रहे हैं। दुसान कंपनी जवाहर तापीय परियोजना के निर्माण का मुख्य ठेका लेकर काम कर रही है और उसने कई मैन पावर एजेंसियों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम सौंपा है।
इससे पहले करीब डेढ़ महीने पहले भी श्रमिकों ने वेतन भुगतान में देरी को लेकर हड़ताल की थी। उस वक्त प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद अस्थायी समाधान हुआ और कुछ राशि का भुगतान किया गया। लेकिन अब फिर वही परिस्थिति बन गई है और दूसरी मैन पावर कंपनी के श्रमिकों ने काम ठप कर दिया।सोमवार को करीब दो घंटे तक काम पूरी तरह रुका रहा, जिससे प्लांट में तनाव का माहौल बन गया। हालांकि, प्रबंधन और मैन पावर कंपनी के अधिकारी मौके पर पहुंचे और श्रमिकों को समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी।
बकाया वेतन और अनिश्चित भविष्य से श्रमिक नाराज़
हड़ताल पर बैठे श्रमिकों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कंपनी लगातार भ्रामक आश्वासन दे रही है कि “जल्द वेतन मिलेगा”, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि कई श्रमिक तो प्लांट छोड़कर चले भी गए, और उनका भी भुगतान नहीं हुआ। एक श्रमिक ने कहा, “हम सिर्फ अपने पसीने की कीमत मांग रहे हैं। चार महीने से वेतन नहीं मिला, अब और बर्दाश्त नहीं होगा। कंपनी अब छंटनी का डर दिखाकर हमसे काम कराना चाहती है।”
हड़ताल को मिल सकता है बड़ा समर्थन
सोमवार को आंदोलन की चिंगारी भले एक मैन पावर कंपनी तक सीमित रही, लेकिन अन्य श्रमिक यूनियनों और कंपनियों के श्रमिकों से बातचीत के बाद आशंका जताई जा रही है कि मंगलवार से यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है। श्रमिकों का कहना है कि यदि उनकी मांगें न मानी गईं, तो वे मंगलवार से पूर्ण हड़ताल पर चले जाएंगे।
इस बार भी असंतोष की मूल वजह वही पुरानी है — दुसान और मैन पावर कंपनियों के बीच भुगतान को लेकर टकराव। मैन पावर कंपनियों का कहना है कि दुसान ने उनका भुगतान रोक रखा है, जिससे वे श्रमिकों को वेतन नहीं दे पा रही हैं। दूसरी ओर दुसान का दावा है कि उसने सभी भुगतानों का समय पर निपटान किया है। इस 'ब्लेम गेम' का खामियाजा भुगत रहे हैं श्रमिक, जिनकी रोज़ी-रोटी इस लड़ाई में उलझ गई है।
प्रशासन की भूमिका अभी भी सीमित
इस मुद्दे पर जवाहर तापीय परियोजना के महाप्रबंधक अजय कटियार ने कहा, यह मामला मैन पावर कंपनियों और श्रमिकों के बीच है। थर्मल प्लांट प्रबंधन इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता, लेकिन हम स्थिति पर निगरानी बनाए हुए हैं। हालांकि श्रमिकों का कहना है कि जब कंपनी और श्रमिकों के बीच संवाद टूट जाए, तो प्रबंधन की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह हस्तक्षेप करे।