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RCB विजय जुलूस भगदड़: दिल्ली तलब हुए कर्नाटक के सीएम और डिप्टी सीएम, राहुल गांधी करेंगे स्थिति का मूल्यांकन

RCB विजय जुलूस भगदड़: दिल्ली तलब हुए कर्नाटक के सीएम और डिप्टी सीएम, राहुल गांधी करेंगे स्थिति का मूल्यांकन

कर्नाटक में हाल ही में हुई भगदड़ की दर्दनाक घटना, जिसमें 11 आरसीबी (रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर) प्रशंसकों की मौत हो गई, उसके बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को दिल्ली तलब किया गया है।

नई दिल्ली: बेंगलुरु में आरसीबी की आईपीएल जीत के बाद हुए जश्न के दौरान मची भगदड़ ने कर्नाटक की राजनीति में नया भूचाल ला दिया है। इस हादसे में 11 लोगों की मौत और दर्जनों के घायल होने के बाद राज्य सरकार पर लगातार विपक्षी हमले तेज हो गए हैं। इसी बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली तलब किया है।

11 जून को सुबह 11 बजे राहुल गांधी से होगी अहम बैठक

कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी मंगलवार को दिल्ली में दोनों नेताओं से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में भगदड़ की पूरी पृष्ठभूमि, प्रशासनिक तैयारियों में संभावित चूक और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस अहम बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक मामलों के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मौजूद रहेंगे।

भगदड़ की पृष्ठभूमि: उत्सव में तब्दील हुआ मातम

आईपीएल 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की ऐतिहासिक जीत के बाद शहर में एक विजय जुलूस का आयोजन किया गया था। यह आयोजन टीम और फैंस के लिए एक गौरवपूर्ण अवसर माना जा रहा था, लेकिन भीड़ नियंत्रण में प्रशासन की चूक के कारण यह खुशी का पल मातम में बदल गया। भीषण गर्मी और हजारों की संख्या में जुटी भीड़ के बीच सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी साबित हुई। अव्यवस्था और अफवाहों के चलते भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए।

इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने कांग्रेस सरकार पर कड़ी आलोचना की और आरोप लगाया कि प्रशासन ने पर्याप्त सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के उपाय नहीं किए। विपक्ष ने इस हादसे को राज्य सरकार की नाकामी करार देते हुए मुख्यमंत्री से जवाबदेही की मांग की है। भाजपा और जेडीएस जैसी पार्टियों ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है ताकि इस गंभीर मामले पर चर्चा हो सके। विपक्ष यह सवाल भी उठा रहा है कि सरकार ने केवल पुलिस अधिकारियों को बलि का बकरा बनाकर अपने राजनीतिक चेहरे को बचाने की कोशिश की है।

सत्ता के भीतर भी उठ रही हैं आवाजें

कर्नाटक में कांग्रेस संगठन तीन बड़े गुटों में बंटा नजर आ रहा है –

  • सिद्धारमैया गुट
  • डीके शिवकुमार गुट
  • गृह मंत्री जी. परमेश्वर का गुट

इन गुटों के बीच पहले से चल रही खींचतान के बीच इस भगदड़ कांड ने सामूहिक जवाबदेही की मांग को और तीव्र कर दिया है। पार्टी हाईकमान को डर है कि यदि यह मुद्दा जल्दी शांत नहीं किया गया, तो यह 2026 विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

प्रशासनिक कार्रवाई और सवाल

घटना के बाद बेंगलुरु के पूर्व पुलिस आयुक्त बी. दयानंद समेत पांच वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। सरकार ने दावा किया कि यह कार्रवाई पूरी निष्पक्षता के साथ की गई है। हालांकि, सिद्धारमैया ने साफ कहा है कि “राज्य सरकार ने कोई लापरवाही नहीं की, प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने की भरपूर कोशिश की। भगदड़ एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी, लेकिन इसे राजनीतिक रंग देना गलत है।”

राहुल गांधी की बैठक से क्या निकल सकता है?

कांग्रेस नेतृत्व इस पूरे प्रकरण को सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से गंभीर संकट मान रहा है। राहुल गांधी की इस बैठक का उद्देश्य है:

  • घटना की पूरी समीक्षा
  • ज़िम्मेदार व्यक्तियों की पहचान
  • भविष्य की कार्ययोजना
  • पार्टी छवि को नियंत्रित करना

सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी इस मुद्दे पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया देने से पहले सभी पक्षों की राय लेना चाहते हैं, ताकि कोई जल्दबाजी में बयानबाज़ी न हो।

कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती

एक ओर पार्टी को विपक्ष का प्रहार झेलना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अपने आंतरिक कलह और प्रबंधन की कमजोरियों को भी सुधारना जरूरी है। पार्टी की यह कोशिश है कि वह इस घटना को केवल प्रशासनिक चूक के रूप में पेश कर राजनीतिक नुकसान से बच सके। राहुल गांधी की यह बैठक पार्टी के लिए संकट प्रबंधन का महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहां यह तय होगा कि सरकार की तरफ से आगे क्या बयान दिया जाएगा और कौन-कौन से ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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