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NSE की IPO लिस्टिंग फिर अटकी, को-लोकेशन केस और तकनीकी खामियों ने बढ़ाई मुश्किलें

NSE की IPO लिस्टिंग फिर अटकी, को-लोकेशन केस और तकनीकी खामियों ने बढ़ाई मुश्किलें

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का IPO एक बार फिर अनिश्चितता में है। 2016 से लिस्टिंग की योजना पर काम चल रहा है, लेकिन को-लोकेशन विवाद, तकनीकी खामियां और सेबी की गवर्नेंस पर आपत्तियों के चलते यह लगातार टलता रहा है। अब NSE ने लंबित मुद्दों को निपटाने के लिए सेबी से सेटलमेंट प्रक्रिया के तहत समाधान का प्रस्ताव रखा है, लेकिन कानूनी और नियामकीय चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं।

लिस्टिंग में सबसे बड़ी बाधाएं

NSE की लिस्टिंग में सबसे बड़ी अड़चन 2015 में सामने आया को-लोकेशन मामला है। एक व्हिसलब्लोअर की शिकायत के आधार पर SEBI ने जांच की, जिसमें खुलासा हुआ कि कुछ ब्रोकर्स को एक्सचेंज के सेकेंडरी सर्वर तक असमान और प्राथमिक पहुंच दी गई। इससे उन्हें ट्रेडिंग में अनुचित लाभ मिला। इस मामले में 2019 में SEBI ने NSE और उसके पूर्व अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। यह मामला अब भी सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई जांच के अधीन है।

साथ ही, SEBI ने NSE की तकनीकी व्यवस्था और गवर्नेंस पर भी गंभीर आपत्तियां जताई हैं। ट्रेडिंग में बार-बार आने वाली तकनीकी समस्याओं, केएमपी (KMP) वेतन असंतुलन, स्वतंत्र चेयरमैन की अनुपस्थिति और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन की स्वायत्तता जैसे मुद्दे अभी तक पूरी तरह हल नहीं हो सके हैं।

NSE का समाधान प्रस्ताव

NSE ने SEBI को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें उसने सभी लंबित मामलों को सेटलमेंट प्रक्रिया के तहत सुलझाने की बात कही है। NSE इस संबंध में जुर्माना भरने और अपने आंतरिक ढांचे में बदलाव के लिए तैयार है। कंपनी ने तकनीकी सुधार, गवर्नेंस स्ट्रक्चर में पारदर्शिता और सैलरी स्ट्रक्चर को संतुलित करने जैसे कदम उठाने का आश्वासन भी दिया है।

2016 में NSE ने पहली बार सेबी के पास IPO के लिए आवेदन किया था, लेकिन नियामकीय आपत्तियों के चलते यह प्रक्रिया टलती रही। SEBI ने 2019 में स्पष्ट किया था कि जब तक को-लोकेशन मामला सुलझता नहीं, तब तक नया आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।

वर्तमान में NSE के 1 लाख से अधिक शेयरधारक हैं और इसके शेयर अनलिस्टेड मार्केट में सक्रिय रूप से ट्रेड हो रहे हैं। निवेशकों और बड़े शेयरधारकों का दबाव है कि कंपनी शीघ्र लिस्ट हो, जिससे वैल्यूएशन में वृद्धि हो और उन्हें एग्जिट का विकल्प मिल सके।

SEBI नियमों के अनुसार कोई स्टॉक एक्सचेंज अपने ही प्लेटफॉर्म पर लिस्ट नहीं हो सकता, इसलिए NSE को BSE पर सूचीबद्ध होना होगा। दुनिया के कई प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज – जैसे BSE, लंदन स्टॉक एक्सचेंज, डॉएचे बॉर्स (जर्मनी), सिंगापुर एक्सचेंज आदि पहले से ही सूचीबद्ध हैं।

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