Chicago

ग्रीन हाइड्रोजन: भारत की ऊर्जा क्रांति की ओर एक कदम

ग्रीन हाइड्रोजन: भारत की ऊर्जा क्रांति की ओर एक कदम
अंतिम अपडेट: 16-05-2025

आज की दुनिया तेजी से renewable energy की ओर बढ़ रही है और भारत भी इस बदलाव का प्रमुख हिस्सा बनता जा रहा है। कोयला और तेल जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की सीमाएं अब साफ दिखने लगी हैं न केवल ये सीमित हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) एक क्रांतिकारी समाधान के रूप में सामने आ रहा है।

ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन होता है जिसे पानी (H2O) से electrolysis प्रक्रिया के ज़रिए प्राप्त किया जाता है, और इस प्रक्रिया में उपयोग होने वाली बिजली renewable sources जैसे सोलर या विंड एनर्जी से आती है। यानी यह एक पूरी तरह से स्वच्छ और zero-emission fuel है।

भारत में ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में National Hydrogen Mission की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का global hub बनाना है। 2023 में सरकार ने Green Hydrogen Policy भी जारी की, जिसमें कंपनियों को इंसेंटिव्स, सब्सिडी, और जरूरी regulatory support देने की बात कही गई। इसका लक्ष्य 2030 तक सालाना 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।

प्रमुख निवेश और परियोजनाएँ

  • अडानी ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे कॉर्पोरेट्स बड़े पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन पर निवेश कर रहे हैं।
  • इंडियन ऑयल, NTPC और GAIL जैसी सरकारी कंपनियाँ भी कई pilot projects पर काम कर रही हैं।
  • राजस्थान, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य सोलर और विंड एनर्जी से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए आकर्षण केंद्र बन रहे हैं।

पर्यावरण और आर्थिक लाभ

ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल से carbon emissions लगभग शून्य हो सकते हैं, जो कि climate change से लड़ने में एक बड़ी जीत होगी। इसके अलावा:
पेट्रोल-डीजल की जगह हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन zero-emission होंगे। स्टील और फर्टिलाइज़र इंडस्ट्री में भारी मात्रा में हाइड्रोजन की आवश्यकता होती है। अगर ये ग्रीन हो जाए, तो pollution में भारी गिरावट आएगी। Import कम होंगे क्योंकि भारत अपने ग्रीन हाइड्रोजन संसाधन खुद तैयार करेगा।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

हालांकि ग्रीन हाइड्रोजन के रास्ते में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:

  • Electrolyzer जैसी टेक्नोलॉजी अभी महंगी है।
  • Large scale पर renewable बिजली की आवश्यकता होती है।
  • स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट के लिए Infrastructure का अभाव है।

पर भारत सरकार और प्राइवेट कंपनियाँ मिलकर इन चुनौतियों का समाधान ढूंढ रही हैं। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी में सुधार होगा और उत्पादन लागत घटेगी, ग्रीन हाइड्रोजन mass adoption की दिशा में बढ़ेगा। ग्रीन हाइड्रोजन न केवल पर्यावरण के लिए वरदान है, बल्कि यह भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और ग्लोबली प्रतिस्पर्धी बना सकता है। 

आने वाले 5–10 सालों में यह technology हमारे जीवन का हिस्सा बन सकती है – गाड़ियों में, फैक्ट्रियों में और यहां तक कि घरों में भी। भारत ने इस दिशा में पहल कर दी है।

Leave a comment