ललितपुर के गांव बिगारी में अवैध मिट्टी खनन के दौरान दो मजदूर मिट्टी में दबकर मारे गए। ग्रामीणों ने खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई और मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है।
ललितपुर: रविवार की रात ललितपुर जिले के तालबेहट क्षेत्र में एक बहुत ही दुखद और हैरान कर देने वाला हादसा हुआ। यहां गांव बिगारी में मिट्टी खनन के दौरान दो मजदूरों की मिट्टी में दबकर मौत हो गई। इस हादसे ने पूरे इलाके में शोक की लहर फैला दी है और एक बार फिर अवैध खनन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसा कैसे हुआ?
यह दुखद घटना उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के तालबेहट क्षेत्र के बिगारी गांव में हुई। यहां रात के समय कुछ मजदूर मिट्टी खोदने का काम कर रहे थे। अमर सिंह (20 साल) और नरेश (23 साल), जो गनेशपुरा खांदी गांव के रहने वाले थे, अपने साथियों के साथ मिट्टी निकाल रहे थे। तभी अचानक ऊपर से भारी मात्रा में मिट्टी नीचे गिर गई। दोनों मजदूर उसी मिट्टी के नीचे दब गए। आसपास मौजूद लोगों और पुलिस ने मिलकर उन्हें बाहर निकाला, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। यह हादसा इतना अचानक हुआ कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला।
पुलिस और ग्रामीणों ने निकाले शव
जब यह हादसा हुआ, तो आसपास के लोगों ने तुरंत शोर मचाया और मदद के लिए बुलाया। थोड़ी ही देर में पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। ग्रामीणों और पुलिस ने मिलकर मिट्टी हटानी शुरू की ताकि जो लोग नीचे दबे थे, उन्हें निकाला जा सके। काफी मेहनत और समय के बाद दोनों मजदूरों के शवों को बाहर निकाला गया। यह पूरा दृश्य बहुत दुखद था। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि हादसा इतनी तेजी से हुआ कि किसी को कुछ समझने या बचने का मौका ही नहीं मिला। शवों को तुरंत पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया ताकि आगे की जांच की जा सके।
गांव वालों का आरोप – अवैध खनन हो रहा था
हादसे के बाद गांव के लोगों में ग़ुस्सा साफ दिखा। उनका कहना है कि जिस जगह यह हादसा हुआ, वहां पर कई दिनों से अवैध तरीके से मिट्टी का खनन चल रहा था। खनन माफिया बिना किसी अनुमति के ट्रैक्टर और मजदूरों की मदद से रात में मिट्टी खोदते थे। लोगों का आरोप है कि ये माफिया इतने बेखौफ हैं कि उन्हें न तो प्रशासन का डर है और न ही कानून की परवाह।
जब यह हादसा हुआ और दो मजदूर मिट्टी में दबकर मर गए, तो खनन माफिया मौके से अपना ट्रैक्टर छोड़कर भाग गए। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पहले ही प्रशासन ने इन पर कार्रवाई की होती, तो शायद आज ये दो जानें बच जातीं। अब गांव वालों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि इन माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और किसी गरीब परिवार का चिराग इस तरह न बुझ जाए।
मुआवजा दिलाने और पीड़ित परिवारों की सहायता की उठी मांग
इस हादसे के बाद गांव का माहौल बहुत ही दुखद हो गया है। जिन दो मजदूरों की जान गई, वे अपने परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य थे। अमर सिंह और नरेश की मौत से उनके घरों में मातम पसरा हुआ है। अमर के पिता गोविंद सिंह और नरेश के पिता प्रागी अपने बेटों को खोने के बाद पूरी तरह टूट चुके हैं।
गांव वालों ने प्रशासन से मांग की है कि इन गरीब परिवारों को जल्द से जल्द मुआवजा दिया जाए, ताकि उन्हें थोड़ी राहत मिल सके। ग्रामीणों का कहना है कि ये मजदूर रोज़ कमाने-खाने वाले थे। अब उनके जाने के बाद उनके घर की जिम्मेदारी कौन उठाएगा? ऐसे में सरकार और प्रशासन को आगे आकर इन परिवारों की आर्थिक मदद करनी चाहिए, जिससे वे अपना जीवन आगे बढ़ा सकें।
प्रशासन ने तुरंत की कार्रवाई, जांच और बचाव जारी
जैसे ही हादसे की खबर प्रशासन तक पहुंची, एसडीएम भूपेंद्र सिंह ने फौरन जरूरी कदम उठाए। उन्होंने घटना की पूरी जांच के लिए प्रभारी तहसीलदार रवींद्र कुमार को मौके पर भेजा। प्रशासन को यह भी आशंका है कि मिट्टी के नीचे और लोग दबे हो सकते हैं, इसलिए राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए सीओ अभय नारायण राय और प्रभारी निरीक्षक अनुराग अवस्थी भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायज़ा लिया। हालांकि, रात होने के कारण बचाव कार्य में काफी मुश्किलें आईं। ऊपर से घटनास्थल के पास घना जंगल था, जिससे शवों को निकालने में काफी समय और मेहनत लगी।