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America: लश्कर और अल-कायदा से लिंक वाला बना ट्रंप प्रशासन का सलाहकार, व्हाइट हाउस में मचा बवाल

America: लश्कर और अल-कायदा से लिंक वाला बना ट्रंप प्रशासन का सलाहकार, व्हाइट हाउस में मचा बवाल
अंतिम अपडेट: 18-05-2025

ट्रंप प्रशासन ने दो पूर्व जिहादियों को धार्मिक स्वतंत्रता सलाहकार बनाया, जिनमें एक आतंकवाद के आरोप में 13 साल जेल में रह चुका है। अमेरिका में विवाद बढ़ा।

America: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने दो ऐसे व्यक्तियों को व्हाइट हाउस के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (Advisory Board of Religious Freedom) के सलाहकार बोर्ड में शामिल किया है, जिन पर गंभीर आतंकवादी संबंधों के आरोप लगे हैं। इनमें इस्माइल रॉयर और शेख हमजा यूसुफ का नाम प्रमुख है। दोनों की नियुक्ति को लेकर अमेरिका सहित दुनियाभर में आलोचना हो रही है।

इस्माइल रॉयर: लश्कर और अल-कायदा से कनेक्शन

इस्माइल रॉयर, जिनका असली नाम रान्डेल टॉड रॉयर है, एक समय आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त रहने के आरोप में जेल की सजा काट चुके हैं। उन्होंने 1992 में इस्लाम धर्म अपना लिया था और बोस्नियाई शरणार्थियों के साथ काम करते हुए कट्टरपंथ की ओर झुकाव दिखाया। कुछ समय तक वह अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (CAIR) संस्था से भी जुड़े रहे।

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, रॉयर पर 2003 में लश्कर-ए-तैयबा और अल-कायदा को सहायता पहुंचाने और अमेरिका के खिलाफ युद्ध की साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। 2004 में उन्होंने हथियारों और विस्फोटकों के उपयोग में सहयोग करने की बात स्वीकार की थी, जिसके लिए उन्हें 20 साल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, 13 साल जेल में बिताने के बाद वह 2017 में रिहा हुए।

व्हाइट हाउस की दलील

व्हाइट हाउस ने इस्माइल रॉयर की नियुक्ति को उचित ठहराते हुए कहा कि उन्होंने पारंपरिक इस्लामी विद्वानों से धार्मिक शिक्षा प्राप्त की है और पिछले एक दशक से अधिक समय तक विभिन्न इस्लामी गैर-लाभकारी संगठनों में काम किया है।

रॉयर ने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया कि उन्होंने लश्कर से संबंध बनाए और अमेरिकी मुसलमानों को उनके साथ ट्रेनिंग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यह एक तरह का प्रमोशनल कैंप था जहां बंदूक चलाना सिखाया जाता था और पहाड़ों में घूमने जैसी गतिविधियां होती थीं।

शेख हमजा यूसुफ: हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड से लिंक?

दूसरे विवादित नाम शेख हमजा यूसुफ हैं, जो कैलिफोर्निया स्थित जैतुना कॉलेज के सह-संस्थापक हैं। पत्रकार लॉरा लूमर के अनुसार, हमजा यूसुफ का संबंध हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे संगठनों से रहा है।

9/11 हमलों से दो दिन पहले, उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति के लिए फंडरेज़र इवेंट में भाषण दिया था जिस पर अमेरिकी पुलिस अधिकारी की हत्या का मुकदमा चल रहा था। उन्होंने अमेरिका को नस्लवादी बताते हुए कहा था कि आरोपी को फंसाया गया है। इसके अलावा उन्होंने 1990 के दशक में न्यूयॉर्क में हुए बम धमाकों के आरोपी शेख उमर अब्देल रहमान के खिलाफ चलाए गए मुकदमे को भी अन्यायपूर्ण बताया था।

9/11 हमलों के बाद एफबीआई ने शेख हमजा से पूछताछ की थी। उन्होंने ब्रिटेन सरकार द्वारा इज़रायल को हथियार बेचने का विरोध भी किया था।

प्रशासन की आलोचना और वैश्विक चिंता

इन दोनों नामों की नियुक्ति पर न केवल अमेरिका में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर ऐसे लोगों को बोर्ड में शामिल करना सुरक्षा और नैतिकता दोनों के लिहाज से गंभीर सवाल खड़े करता है। यह निर्णय अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

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