आगरा में रेस्टोरेंट मालिक की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर झूठी जानकारी फैलाने के आरोप में मनोज चौधरी सहित तीन लोग गिरफ्तार किए गए हैं। पुलिस मुख्य आरोपी की खोज कर रही है।
कलबुर्गी: चोरी करके ऐशो आराम की जिंदगी जीने के कई मामले सुनने को मिलते हैं, लेकिन कर्नाटक के कलबुर्गी से जो चोर की कहानी सामने आई है, वह कुछ अलग ही है। इस चोर का नाम शिवप्रसाद है और उसकी चोरी करने की एक अजीब वजह थी। वह चोरी के माल से पुण्य कमाना चाहता था। उसका मानना था कि चोरी किए गए पैसे का एक हिस्सा वह दान-पुण्य में लगाएगा, ताकि भगवान की कृपा से वह पुलिस से बच सके। लेकिन पुलिस ने उसे दान करते वक्त ही पकड़ लिया और उसकी यह योजना फेल हो गई।
चोरी के माल से भगवान को चढ़ाए 30 लाख के गहने
पुलिस के अनुसार, शिवप्रसाद के पास से 412 ग्राम सोना बरामद हुआ, जिसकी कीमत लगभग 30 लाख रुपये है। लेकिन यह सोना उसने चोरी से हासिल किया था, न कि बाजार से खरीदा। चोर ने यह सोना मंदिरों में दान कर दिया था, ताकि भगवान को खुश कर सके और खुद को पुण्य का भागी बना सके। उसका मानना था कि इस दान से उसकी चोरी का कोई सुराग नहीं मिलेगा। इस तरह से, एक ओर वह चोरी करता था और दूसरी ओर भगवान के नाम पर पुण्य कमा रहा था।
260 से ज्यादा मामलों में वांछित था शिवप्रसाद
शिवप्रसाद के खिलाफ 260 से ज्यादा मामले दर्ज थे। वह अमीर लोगों के घरों से सोना, चांदी और नकदी चुराता था। फिर इस चोरी किए गए माल का उपयोग पुण्य कमाने के लिए करता था। वह गरीबों को खाना बांटता, मेलों में भंडारा आयोजित करता और मंदिरों में दान देता था। उसका मानना था कि भगवान को खुश करके वह अपनी गलतियों से बच सकता है और पुलिस से पकड़ा नहीं जाएगा।
महाराष्ट्र में भी किया था बड़ा दान
शिवप्रसाद सिर्फ कर्नाटक में ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र में भी अपनी चोरियों को अंजाम दे रहा था। एक बार उसने लातूर जिले में एक भंडारा आयोजित किया, जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद खाया। इस भंडारे का आयोजन इस चोर ने किया था, लेकिन भक्तों को इसका कोई अंदाजा नहीं था। शिवप्रसाद ने इस भंडारे को ऐसे तरीके से आयोजित किया कि उसका नाम सामने नहीं आया और कोई शक भी नहीं हुआ।
वह अपनी चोरियों को छिपाने के लिए इस तरह से दान करता था, ताकि उसे पुण्य का श्रेय मिले और वह किसी भी शक से बच सके। इस तरह की चालाकी के जरिए वह अपनी पहचान छिपाकर अपराध करता था।
फेविकोल से उंगलियों को बचाने की कोशिश
शिवप्रसाद की चालाकी यहीं पर खत्म नहीं हुई। चोरी करने के बाद वह अपनी उंगलियों पर फेविकोल या सुपरग्लू लगाता था, ताकि उसके फिंगरप्रिंट किसी जगह पर न मिल सकें। इस तरीके से वह अपने अपराधों को छिपाने की कोशिश करता था। वह यह सुनिश्चित करता था कि किसी भी सुराग से पुलिस उसे पकड़ न सके।
शिवप्रसाद ने यह तरीका कई बार अपनाया और कुछ समय तक अपने अपराधों को छिपाने में सफल रहा। हालांकि, उसकी यह चालाकी ज्यादा दिन तक काम नहीं आई, और अंत में पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
पाप से मुक्ति पाने का था विश्वास
शिवप्रसाद का मानना था कि अगर वह अपनी चोरी की चीज़ों से दान करेगा, तो उसे भगवान की कृपा मिलेगी और उसके पाप खत्म हो जाएंगे। वह सोचता था कि इस तरह भगवान को खुश कर वह पुलिस से बच सकता है। शिवप्रसाद ने कई बार चोरी किए गए गहने और पैसे मंदिरों में दान किए, भंडारे आयोजित किए, और गरीबों की मदद की।
उसका मानना था कि इस तरह से उसके पाप धुल जाएंगे और उसे कोई सजा नहीं मिलेगी। लेकिन उसका यह विश्वास गलत साबित हुआ, और अंत में पुलिस ने उसे दान करते वक्त ही पकड़ लिया।
पुलिस भी हैरान है इस चोर की कहानी सुनकर
शिवप्रसाद के इस अनोखे तरीके से पुलिस भी चौंक गई है। कलबुर्गी के पुलिस कमिश्नर डॉ. शरणप्पा एस.डी. का कहना था, "यह चोर अमीरों के घरों को टारगेट करता था और चोरी के माल को गरीबों को देता था। वह अस्पतालों में जरूरतमंदों को दवाइयां, फल और राशन भेजता था। इसके अलावा, उसने मंदिरों में दान भी किया था। एक मंदिर में तो उसने अन्नदान के लिए 5 लाख रुपये का दान किया था।"
चोर का अंत
शिवप्रसाद की यह अजीब कहानी यह सिखाती है कि चाहे एक अपराधी कितनी भी चालाकी से काम क्यों न करे, वह अंत में कानून से बच नहीं सकता। उसने अपनी गलतियों को छुपाने और सही साबित करने की कई कोशिशें की, लेकिन उसकी चालाकियाँ ज्यादा देर तक काम नहीं आ सकीं। उसने चोरी की रकम से दान-पुण्य करके अपनी गलतियों को धोने की कोशिश की, लेकिन अंत में वह पकड़ा गया।
यह मामला यह भी दिखाता है कि जब हम गलत रास्ते पर चलते हैं, तो वह किसी न किसी मोड़ पर हमें नुकसान जरूर पहुंचाता है। चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, सच्चाई का सामना हमें करना ही पड़ता है।