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'भारत की राष्ट्र भाषा हमारी विविधता है': स्पेन में कनिमोझी के जवाब ने जीता दिल, तालियों से गूंजा सभागार

'भारत की राष्ट्र भाषा हमारी विविधता है': स्पेन में कनिमोझी के जवाब ने जीता दिल, तालियों से गूंजा सभागार

डीएमके सांसद कनिमोझी ने अपने हालिया विदेश दौरे के दौरान एक कार्यक्रम में भारत की राष्ट्र भाषा को लेकर पूछे गए सवाल का बेहद प्रभावशाली और स्पष्ट जवाब दिया, जिसने वहां मौजूद भारतीय समुदाय को काफी प्रभावित किया।

नई दिल्ली: भारत की राष्ट्र भाषा को लेकर वर्षों से विवाद और विमर्श चलते रहे हैं। मगर स्पेन में एक भारतीय सांसद ने इस पर ऐसा जवाब दिया कि न सिर्फ कार्यक्रम का माहौल गौरवपूर्ण हो गया, बल्कि यह बयान अब भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता का प्रतीक बनता जा रहा है। मौका था स्पेन की राजधानी मैड्रिड में भारतीय समुदाय के लिए आयोजित एक संवाद कार्यक्रम का, जहां डीएमके सांसद कनिमोझी से एक अप्रत्याशित प्रश्न पूछ लिया गया - 'भारत की राष्ट्र भाषा कौन सी है?'

इस प्रश्न पर अक्सर राजनीतिक गलियारों में बहस होती रही है। मगर कनिमोझी ने इस उलझाने वाले सवाल को बड़े सहज, लेकिन प्रभावशाली तरीके से न केवल सुलझाया बल्कि भारत के मूल विचार को भी वैश्विक मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने मुस्कराते हुए जवाब दिया - 'भारत की राष्ट्र भाषा विविधता में एकता है।' यह सुनते ही हॉल देर तक तालियों की गूंज से भर गया।

भारत की पहचान उसकी भाषाई विविधता

कनिमोझी ने आगे कहा, हमारी पहचान किसी एक भाषा से नहीं, बल्कि उन अनेक भाषाओं से मिलकर बनती है, जो भारत की आत्मा हैं। यही वह संदेश है जिसे हम आज पूरी दुनिया तक पहुंचा रहे हैं। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और खासतौर पर तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के कई हिस्सों में इसे डीएमके की वैचारिक स्थिरता और भाषायी अधिकारों की मुखर अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है।

कनिमोझी की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय दौरा

यह पूरा घटनाक्रम उस समय घटित हुआ जब कनिमोझी एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के विषय में जानकारी साझा करने के लिए 33 देशों की यात्रा पर निकला है। इस प्रतिनिधिमंडल में सभी प्रमुख दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जैसे —

  • राजीव राय (समाजवादी पार्टी)
  • मियां अल्ताफ अहमद (नेशनल कॉन्फ्रेंस)
  • बृजेश चौटा (बीजेपी)
  • प्रेम चंद गुप्ता (राजद)
  • अशोक कुमार मित्तल (आप)
  • साथ ही दो वरिष्ठ पूर्व राजनयिक मंजीव सिंह पुरी और जावेद अशरफ भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं।

इस दौरे का उद्देश्य भारत की वैश्विक स्थिति को मज़बूती देना और आतंकवाद पर भारत का पक्ष स्पष्ट रूप से रखना है।

तीन-भाषा नीति पर डीएमके का विरोध

डीएमके सांसद कनिमोझी लंबे समय से केंद्र सरकार की तीन-भाषा नीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की आलोचक रही हैं। पार्टी का तर्क है कि यह नीति हिंदी को गैर-हिंदी राज्यों पर थोपने का प्रयास है और यह संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है। कनिमोझी संसद और सार्वजनिक मंचों पर बार-बार दोहराती रही हैं कि तमिलनाडु तमिल और अंग्रेज़ी की दो-भाषीय प्रणाली पर दृढ़ है और इसे बदलने का कोई सवाल नहीं उठता।

पार्टी का यह भी आरोप है कि केंद्र सरकार, NEP और भाषा नीति को लेकर राज्य को मिलने वाले फंड में कटौती कर रही है, जिससे बच्चों के भविष्य पर सीधा असर पड़ रहा है।

कूटनीति और संस्कृति का अनूठा समन्वय

स्पेन के कार्यक्रम में कनिमोझी का यह जवाब सिर्फ एक भाषाई उत्तर नहीं था, यह भारत की संविधानिक बहुलता, लोकतांत्रिक भावना और संस्कृति की जड़ों का प्रतिनिधित्व था। यह वह संदेश है जिसे भारत वैश्विक मंचों पर मजबूती से रखना चाहता है — कि हम एक राष्ट्र हैं, लेकिन हमारी एकता, हमारी विविधता में निहित है।

यह जवाब इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विदेशों में भारतीय समुदाय के सामने जब ‘राष्ट्र भाषा’ जैसे प्रश्न उठते हैं, तो राजनीतिक विवादों के चलते अक्सर स्पष्ट और गरिमामय उत्तर की कमी होती है।

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