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Bihar Election: किशनगंज में ओवैसी और पीके की एंट्री से बढ़ी हलचल, चुनावों को लेकर बना सस्पेंस

सीमांचल में ओवैसी और प्रशांत किशोर के सक्रिय दौरे से चुनावी हलचल तेज हो गई है। किशनगंज में ओवैसी की बढ़ती लोकप्रियता महागठबंधन के लिए चुनौती बनती दिख रही है।

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अभी कुछ माह का समय शेष है, लेकिन सीमांचल क्षेत्र विशेष रूप से किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जैसे जिलों में चुनावी हलचल पहले से ही महसूस की जा रही है। इन इलाकों में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर की बढ़ती सक्रियता ने सियासी समीकरणों को जटिल बना दिया है।

ओवैसी की रैलियों में बढ़ती भीड़

हाल ही में बहादुरगंज, किशनगंज में ओवैसी द्वारा आयोजित जनसभा में भारी भीड़ उमड़ी। यह संकेत दे रहा है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में पारंपरिक दलों की पकड़ कमजोर पड़ सकती है। ओवैसी द्वारा वक्फ कानून पर दिए गए बयानों और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले पर उनकी प्रतिक्रिया को स्थानीय अल्पसंख्यक समुदाय ने सकारात्मक रूप से लिया है।

AIMIM का चुनावी दावा

AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार सीमांचल की 24 से अधिक विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का दावा किया है। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि पिछले चुनाव में जीते AIMIM के चार विधायकों को आरजेडी में शामिल किए जाने से पार्टी के भीतर असंतोष है और इस बार पार्टी अधिक तैयारी और आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतरेगी।

संभावित सीटों पर रणनीति

AIMIM जिन जिलों और सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है, उनमें किशनगंज जिले की बहादुरगंज, ठाकुरगंज, कोचाधामन, अररिया की जोकीहाट, नरपतगंज, फारबिसगंज, पूर्णिया की अमौर, बायसी, धमदाहा, कटिहार की कदवा, मनिहारी, कोढ़ा और पूर्वी चंपारण की ढाका सीटें प्रमुख हैं। पार्टी का प्रयास है कि मुस्लिम बाहुल्य इन क्षेत्रों में संगठनात्मक आधार को मजबूत किया जाए।

प्रशांत किशोर की जनसुराज यात्रा का प्रभाव

प्रशांत किशोर भी सीमांचल के गांवों और कस्बों में जनसंपर्क यात्रा के माध्यम से राजनीतिक जनाधार तैयार करने में जुटे हैं। वे जनता से संवाद कर जनभावनाओं को समझ रहे हैं और क्षेत्रीय मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं। उनकी यात्रा युवा वर्ग और नए मतदाताओं में विशेष रूप से प्रभावशाली हो रही है।

महागठबंधन के सामने नई चुनौती

AIMIM और जनसुराज की सक्रियता ने महागठबंधन के सामने स्पष्ट चुनौती पेश कर दी है। कांग्रेस और आरजेडी को यह अंदेशा है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लग सकती है। यही कारण है कि कांग्रेस ने पूर्व विधायक तौसीफ आलम (किशनगंज) और ढाका से राणा रणजीत सिंह को संभावित उम्मीदवार घोषित कर तैयारियों में तेजी लाई है।

मास्टर मुजाहिद आलम का अगला कदम अहम

जेडीयू से इस्तीफा दे चुके पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने अब तक अपनी अगली राजनीतिक दिशा स्पष्ट नहीं की है। यदि वे AIMIM से जुड़ते हैं, तो पार्टी को सीमांचल में अतिरिक्त मजबूती मिल सकती है। उनका निर्णय इस क्षेत्र की राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

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