गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या पांच वर्षों में 674 से बढ़कर 891 हो गई है। गिर राष्ट्रीय उद्यान के बाहर भी शेरों का विस्तार देखा गया है। यह वन्यजीव संरक्षण की बड़ी सफलता है।
New Delhi: गुजरात से खुशखबरी आई है जहां एशियाई शेरों की आबादी पिछले पांच वर्षों में करीब 32 प्रतिशत बढ़ी है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के तहत हुई ताजा गणना के अनुसार, 2020 में जहां कुल 674 शेर थे, वहीं 2025 में यह संख्या बढ़कर 891 हो गई है। यह आंकड़ा न सिर्फ शेरों की बढ़ती संख्या का प्रमाण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि शेर अब गिर राष्ट्रीय उद्यान के बाहर भी अपने रहवास का विस्तार कर रहे हैं।
गिर राष्ट्रीय उद्यान के बाहर भी फैला है शेरों का क्षेत्र
रिपोर्ट में बताया गया है कि गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के अंदर 384 शेर पाए गए, जबकि उद्यान के बाहर 507 शेर मौजूद थे। इसका मतलब है कि शेरों की आबादी बढ़ने के साथ उनकी सीमा का विस्तार हुआ है और वे अब सौराष्ट्र क्षेत्र के अन्य जिलों में भी देखे जा रहे हैं। इस विस्तार से यह साफ होता है कि शेर अपनी नई जगहों पर रहना शुरू कर रहे हैं, जो उनके संरक्षण के लिए अच्छी खबर है।
गणना में कुल शेरों की संरचना भी बताई गई है जिसमें 196 नर, 330 मादा, 140 उप-वयस्क और 225 शावक शामिल हैं। यह संतुलित जनसंख्या इस बात का संकेत है कि शेरों का प्रजनन ठीक से हो रहा है और उनकी आबादी स्वस्थ है।
सौराष्ट्र के 11 जिलों में फैला शेरों का कब्जा
पहले शेर ज्यादातर जूनागढ़ और अमरेली जिलों के गिर राष्ट्रीय उद्यान तक सीमित थे, लेकिन अब उनकी मौजूदगी सौराष्ट्र के 11 जिलों तक फैल गई है। यह विस्तार वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है और स्थानीय इकोसिस्टम के लिए भी लाभकारी माना जा रहा है।
गणना दो चरणों में 10 से 13 मई तक आयोजित की गई, जिसमें 58 तालुकों और 35,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके को शामिल किया गया। इसमें दुनिया की उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया ताकि शेरों की सही संख्या और उनकी स्थिति का पता लगाया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी गणना को मंजूरी
गणना से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गिर अभयारण्य में हुई राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इस महत्वपूर्ण कार्य को मंजूरी दी थी। उन्होंने मई महीने में इसे पूरा करने का समय भी निर्धारित किया था। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में मौजूद थे।
पिछले 10 वर्षों में 70 प्रतिशत से ज्यादा हुई वृद्धि
देश में एशियाई शेरों की संख्या में पिछले दस वर्षों में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2015 में जहां कुल 523 शेर थे, वहीं 2025 की ताजा गणना में यह संख्या 891 पहुंच गई है। यह वृद्धि वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों और वन क्षेत्रों के बेहतर संरक्षण का नतीजा है।
तकनीक के दम पर सिर्फ 4 दिनों में पूरी हुई गणना
शेरों की गणना अत्याधुनिक तकनीकों के सहारे सिर्फ चार दिनों (10 से 13 मई) में पूरी कर ली गई। इसके बाद सात दिनों में प्राप्त डेटा और तस्वीरों की जांच करके अंतिम रिपोर्ट तैयार की गई। गुजरात वन विभाग की टीम ने कहा है कि यह रिपोर्ट त्रुटिरहित है और विश्वसनीय आंकड़े प्रदान करती है।
शेरों की संख्या के साथ बढ़ रहा उनका क्षेत्र भी
गुजरात में शेरों की आबादी जितनी बढ़ी है, उतना ही उनका क्षेत्र भी फैल रहा है। 1990 में जहां शेरों की संख्या 284 थी और उनका क्षेत्रफल 6600 वर्ग किलोमीटर था, वहीं अब यह संख्या 891 और क्षेत्रफल 35,000 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच चुका है।
यह बढ़ोतरी न केवल शेरों के संरक्षण का संकेत है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक बड़ी सफलता है। शेर भारत के वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजाति है, और उनकी बढ़ती आबादी से पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित रहता है।