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Jammu-Kashmir: 'उमर अब्दुल्ला पर भी बरसीं महबूबा मुफ्ती, कहा- मुख्यमंत्री की कुर्सी सिर्फ तबादलों तक सीमित

Jammu-Kashmir: 'उमर अब्दुल्ला पर भी बरसीं महबूबा मुफ्ती, कहा- मुख्यमंत्री की कुर्सी सिर्फ तबादलों तक सीमित

महबूबा मुफ्ती ने BJP के एजेंडे पर बड़ा बयान दिया। कहा- अगर समर्थन करतीं तो आज भी मुख्यमंत्री होतीं। उमर पर भी निशाना साधा, वक्फ बिल पर नाराजगी जताई।

Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर बड़ा बयान देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को कहा कि अगर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एजेंडे का समर्थन किया होता, तो वह आज भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर होतीं। लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों और पार्टी के एजेंडे से कोई समझौता नहीं किया।

महबूबा ने साफ कहा कि BJP के साथ गठबंधन सरकार में रहते हुए उन्होंने कश्मीर विरोधी नीतियों पर लगाम लगाने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से भाजपा ने PDP को खत्म करने की कोशिश की, और उनके इरादों को तोड़ने के लिए हर संभव साजिश रची।

BJP के साथ गठबंधन की मजबूरी, लेकिन एजेंडे पर समझौता नहीं: महबूबा मुफ्ती

महबूबा ने कहा कि BJP के साथ सत्ता में रहना उनकी मजबूरी थी, लेकिन उन्होंने कभी अपनी विचारधारा से समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा, "अगर मैंने BJP के एजेंडे को समर्थन दिया होता, तो मैं आज भी मुख्यमंत्री होती। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मेरे लिए पार्टी का एजेंडा और जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित सर्वोपरि हैं।"

उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि उन्होंने PDP को कमजोर करने और उनके इरादों को तोड़ने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए। उन्होंने कहा, "हमारे खिलाफ जितना प्रेशर BJP ने बनाया, उतना किसी पार्टी के खिलाफ नहीं बनाया गया। BJP जानती है कि PDP की ताकत क्या है।"

उमर अब्दुल्ला पर भी निशाना

महबूबा मुफ्ती ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी उमर अब्दुल्ला पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर उमर अब्दुल्ला भी बड़े फैसले ले सकते थे और लोगों के साथ खड़े हो सकते थे। लेकिन अब यह पद सिर्फ तबादलों और छोटी-मोटी लड़ाइयों तक सीमित रह गया है।

महबूबा ने कहा, "उमर को अपनी संवैधानिक ताकत पहचाननी चाहिए। मुख्यमंत्री रहते हुए उनके पास भले ही सीमित अधिकार हों, लेकिन जनता के मुद्दों और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए उनकी आवाज बहुत मायने रखती है। जब कोई आवाज नहीं उठाता, तो मुझे बोलना पड़ता है।"

गुपकार घोषणापत्र का जिक्र

महबूबा मुफ्ती ने पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि गुपकार डिक्लेरेशन जम्मू-कश्मीर की विशिष्ट संवैधानिक पहचान की बहाली के लिए बना था।

महबूबा ने कहा, "हमने अपने राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर जम्मू-कश्मीर के हितों को प्राथमिकता दी। 5 अगस्त 2019 के बाद, जब अनुच्छेद 370 खत्म किया गया, हमने एकजुटता दिखाई ताकि जम्मू-कश्मीर की आवाज को देशभर में सुना जा सके।"

वक्फ बिल पर एकता की कमी पर जताई निराशा

महबूबा ने वक्फ बिल के मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर की अन्य पार्टियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होना जरूरी था, लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने निराशाजनक रवैया अपनाया।
उन्होंने आरोप लगाया कि NC ने न सिर्फ विधानसभा में प्रस्ताव को पेश होने से रोका, बल्कि फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने बिल पेश करने वाले मंत्री का स्वागत भी किया। महबूबा ने कहा, "अगर फारूक और मैं एक मंच पर आते, तो भारत के करोड़ों मुसलमानों को ताकत मिलती। लेकिन सत्ता के लालच में वे कमजोर हो गए।"

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर सत्ता पाने के बाद किसी नेता की आवाज कमजोर हो जाए और वह अपने सिद्धांत छोड़ दे, तो ऐसी सत्ता का कोई मतलब नहीं। उन्होंने कहा, "मेरे लिए कुर्सी से ज्यादा मेरे सिद्धांत और जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकार मायने रखते हैं। अगर सत्ता आपको इतना कायर बना दे कि आप लोगों के मुद्दों पर भी चुप रह जाएं, तो ऐसी सत्ता का होना ही बेमानी है।"

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