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झारखंड में विकास कार्यों में रुकावट, सियासत ने बढ़ाया विवाद

झारखंड में विकास कार्यों में रुकावट, सियासत ने बढ़ाया विवाद

झारखंड में राजनीतिक विवाद विकास को रोक रहे हैं। अस्पताल, फ्लाईओवर निर्माण और सरकारी नियुक्तियों में देरी से जनता नाराज है। हेमंत सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

Jharkhand: झारखंड प्राकृतिक संसाधनों और विकास की अपार संभावनाओं वाला राज्य है। लेकिन पिछले कुछ समय से यहां विकास की गति धीमी पड़ गई है। इसका मुख्य कारण राजनीतिक खींचतान और सियासी विवाद हैं, जो अस्पतालों, फ्लाईओवर, सरकारी नियुक्तियों समेत कई अहम विकास कार्यों को बाधित कर रहे हैं। इससे आम जनता का सरकार पर से विश्वास कम होता जा रहा है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि झारखंड में विकास क्यों पिछड़ रहा है और इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।

राजनीतिक विवादों ने विकास की रफ्तार रोकी

झारखंड में राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और टकराव ने राज्य के विकास कार्यों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। अस्पताल, फ्लाईओवर, सड़क निर्माण और सरकारी नौकरी की नियुक्तियां जैसे मुद्दे राजनीतिक लड़ाई का हिस्सा बन गए हैं। इसके कारण योजनाएं अधर में लटक जाती हैं और जनता को वह सुविधाएं नहीं मिल पातीं, जो उन्हें मिलनी चाहिए।

राजनीतिक विवादों के चलते योजनाओं में देरी होती है और सरकारी कामकाज प्रभावित होता है। इससे न केवल विकास रुकता है, बल्कि आम जनता का शासन प्रणाली पर से विश्वास भी कम होता जाता है। खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में जहां विकास की सबसे ज्यादा जरूरत है, वहां की स्थिति और भी चिंताजनक है।

अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खराब

स्वास्थ्य क्षेत्र में झारखंड की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के 2023 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में प्रति 10,000 लोगों पर केवल 4.5 अस्पताल बेड उपलब्ध हैं, जो राष्ट्रीय औसत 5.5 से काफी कम है। रांची, जमशेदपुर जैसे बड़े शहरों में मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल बनने के प्रोजेक्ट भी राजनीतिक झगड़ों की वजह से वर्षों से रुके हुए हैं।

रांची के रिम्स अस्पताल पर मरीजों का भारी दबाव है और नए अस्पताल, जैसे रिम्स-दो की योजना अभी प्रारंभिक चरण में है। इसके अलावा जमीन विवाद और सियासी आरोप-प्रत्यारोप ने इस योजना को भी अटका दिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा भाजपा पर भ्रष्टाचार और परियोजनाओं को रोकने का आरोप लगाता है, वहीं भाजपा सरकार पर अकर्मण्यता और कुप्रबंधन के आरोप लगाती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी खराब हालत में हैं। इस कारण लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिससे ग्रामीण जनता खासतौर पर प्रभावित हो रही है।

फ्लाईओवर निर्माण में राजनीतिक अड़चनें

झारखंड के प्रमुख शहरों में बढ़ते ट्रैफिक जाम की समस्या से निपटने के लिए फ्लाईओवर का निर्माण जरूरी हो गया है। रांची का कांटाटोली फ्लाईओवर इस दिशा में एक सफल प्रयास रहा है जिसने ट्रैफिक की समस्या को काफी हद तक कम किया है।

लेकिन सिरमटोली-मेकान फ्लाईओवर परियोजना राजनीतिक विवादों की वजह से अटकी हुई है। यह फ्लाईओवर लगभग तैयार है, लेकिन सियासत के चलते इसका संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है। यातायात की जाम की समस्या बनी हुई है, जिससे रोजाना हजारों लोग परेशान हो रहे हैं।

राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं और विकास कार्यों को अपने हितों के लिए रोक देते हैं। इसके कारण शहरों में यातायात समस्या गंभीर होती जा रही है।

सरकारी नियुक्तियों में देरी से युवाओं में बढ़ रही नाराजगी

झारखंड में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 2023 में राज्य की बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत रही, जबकि देश का औसत 7.2 प्रतिशत है। युवाओं को सरकारी नौकरी की उम्मीद रहती है, लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया में देरी से उनकी निराशा बढ़ रही है।

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने 2022 में 10,000 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था, लेकिन अब तक भर्ती पूरी नहीं हुई है। इसके पीछे नियुक्ति नियमों, आरक्षण नीतियों और राजनीतिक असहमति को मुख्य कारण माना जा रहा है।

भाजपा सरकार पर स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता न देने का आरोप लगाती है, जबकि सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा इसे केंद्र सरकार की नीतियों का परिणाम बताता है। इस स्थिति में युवा सड़क प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी मांगें सरकार तक पहुंचा रहे हैं।

सियासी आरोप-प्रत्यारोप ने विकास की राह में लगाए बाधाएं

राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप आम बात हैं, लेकिन जब ये आरोप विकास कार्यों को रोकने लगें तो जनता का नुकसान होता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा भाजपा पर भ्रष्टाचार और विकास परियोजनाओं को रोकने का आरोप लगाता है, जबकि भाजपा सरकार पर अक्षमता और भ्रष्टाचार के आरोप लगाती है।

2024 के विधानसभा चुनाव से पहले यह राजनीतिक टकराव और भी बढ़ गया है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने झामुमो-कांग्रेस गठबंधन को 'स्पीड ब्रेकर' तक करार दिया है। वहीं झामुमो ने इसका कड़ा विरोध किया है।

ऐसे में राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे संकीर्ण राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर राज्य के विकास के लिए मिलकर काम करें। बिना सहमति और समन्वय के राज्य के अस्पताल, सड़क, फ्लाईओवर और नौकरी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे आगे नहीं बढ़ पाएंगे।

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