पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने के लिए भारत सरकार ने 32 देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजा है। कांग्रेस नेताओं आनंद शर्मा और शशि थरूर ने इस कदम का समर्थन कर राष्ट्रीय एकता की मिसाल पेश की।
नई दिल्ली – आतंकवाद और पाकिस्तान की भूमिका को वैश्विक मंच पर उजागर करने के लिए भारत सरकार ने एक अहम कूटनीतिक पहल की है। सरकार ने ऑल पार्टी डेलिगेशन यानी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल तैयार किया है, जो अलग-अलग देशों का दौरा कर वहां भारत का पक्ष मजबूती से रखेगा। दिलचस्प बात यह है कि इस फैसले को लेकर कांग्रेस पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मोदी सरकार की खुले तौर पर सराहना की है।
32 देशों का दौरा करेगा प्रतिनिधिमंडल
भारत सरकार की इस रणनीति के तहत 7 अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल तैयार किए गए हैं। इन प्रतिनिधिमंडलों में सभी पार्टियों के कुल 51 नेता और 85 वरिष्ठ राजनयिक शामिल हैं। इनकी योजना है कि वे 32 देशों की यात्रा कर दुनिया को पाकिस्तान के आतंकवाद में शामिल होने की सच्चाई से अवगत कराएं।
आनंद शर्मा ने किया सरकार के फैसले का समर्थन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने मोदी सरकार की इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह कदम आतंकवाद के खिलाफ भारत की कूटनीतिक मजबूती को दर्शाता है और इससे पाकिस्तान की सच्चाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामने लाई जा सकेगी। आनंद शर्मा ने यह भी कहा कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा और हित की बात आती है, तो सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होना चाहिए।
शशि थरूर ने भी जताई खुशी
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने भी सरकार के इस फैसले की सराहना की थी। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था, "मैं हाल की घटनाओं पर हमारे देश का दृष्टिकोण रखने के लिए पांच प्रमुख देशों की राजधानियों में एक सर्वदलीय डेलिगेशन का नेतृत्व करने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। जब राष्ट्रीय हित की बात होगी और मेरी सेवाओं की जरूरत होगी, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा।"
शशि थरूर के इस बयान को पूरे देश में सराहा गया, क्योंकि यह राष्ट्रीय एकता और साझा कूटनीतिक प्रयासों की मिसाल पेश करता है।
कांग्रेस ने दिए थे चार नाम, फिर जताई थी आपत्ति
सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने वाले नेताओं के नाम मांगे थे। कांग्रेस ने चार नाम सुझाए थे – आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार।
हालांकि, जब सरकार की ओर से अंतिम सूची जारी हुई, तो कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई। पार्टी का तर्क था कि कुछ नेताओं को सूची से बाहर रखा गया है, जो अस्वीकार्य है। बावजूद इसके, कांग्रेस के भीतर कई वरिष्ठ नेताओं ने डेलिगेशन में शामिल होकर एकजुटता का संदेश दिया है।
कुछ विपक्षी नेताओं ने किया आलोचना, ‘बरात’ कहा
जहां एक ओर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस कदम को सराहा, वहीं शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत जैसे विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस डिप्लोमैटिक मिशन की आलोचना करते हुए इसे ‘बरात’ कहकर तंज कसा। उन्होंने कहा कि विदेश दौरे कर नेता क्या संदेश देंगे, जब देश के भीतर एकता नहीं है। हालांकि सरकार समर्थक और कुछ विपक्षी नेता इसे भारत की कूटनीतिक जीत की तैयारी मान रहे हैं।