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Punjab Election: कांग्रेस में चल रही खींचतान, राजा वड़िंग और चन्नी के बीच बढ़ा विरोध

Punjab Election: कांग्रेस में चल रही खींचतान, राजा वड़िंग और चन्नी के बीच बढ़ा विरोध

पंजाब कांग्रेस उपचुनाव से पहले दो गुटों में बंट गई है। राजा वड़िंग और चरणजीत चन्नी के बीच टकराव बढ़ा है। भाजपा से आए नेताओं को शामिल करने को लेकर पार्टी में फूट साफ नजर आ रही है।

Punjab Election: पंजाब कांग्रेस में लुधियाना वेस्ट उपचुनाव को लेकर सियासी घमासान बढ़ता जा रहा है। पार्टी के भीतर दो बड़े गुट बन गए हैं, जिनमें एक गुट की अगुवाई पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और भारत भूषण आशु कर रहे हैं, जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और प्रदेश महासचिव कैप्टन संदीप संधू कर रहे हैं। इस बीच भाजपा से आए कंवलप्रीत कड़वल और करण वड़िंग को कांग्रेस में शामिल कराने को लेकर पार्टी में मतभेद गहराए हैं। 

लुधियाना वेस्ट उपचुनाव ने कांग्रेस को दो हिस्सों में बांटा

लुधियाना वेस्ट विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस दो खेमों में बंट चुकी है। भारत भूषण आशु, चरणजीत चन्नी और राणा गुरजीत सिंह ने भाजपा से आए कंवलप्रीत कड़वल और करण वड़िंग को कांग्रेस में शामिल कराया। इसके जवाब में प्रदेश कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और महासचिव कैप्टन संदीप संधू ने निलंबित विधायक चौधरी विक्रमजीत सिंह को पार्टी में वापस लाने का कदम उठाया। यह घटनाक्रम कांग्रेस के भीतर गुटबाजी को और बढ़ावा दे रहा है।

पुरानी दुश्मनी और नई फूट का राज

कड़वल और करण वड़िंग ने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजा वड़िंग का विरोध किया था और बाद में भाजपा का रुख किया था। वहीं, चौधरी विक्रमजीत ने जालंधर में चरणजीत चन्नी का विरोध किया था, जिसके कारण पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था। पार्टी में गुटबाजी की शुरुआत आशु और राजा के बीच हुई दरार से मानी जाती है, जो बैंस ब्रदर्स की पार्टी में एंट्री को लेकर गहरा गई। आशु को लगता था कि राजा वड़िंग बैंस बंधुओं को पार्टी में इसलिए ला रहे हैं ताकि उनका राजनीतिक कद कम हो। इस बीच राजा वड़िंग चाहते थे कि वे अकेले आशु पर निर्भर न रहें।

बैंस परिवार का प्रवेश और उसके असर

सिमरजीत बैंस आत्मनगर से कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ते हैं। बैंस परिवार के कांग्रेस में आने के बाद कंवलप्रीत कड़वल बिट्टू के साथ भाजपा चले गए। करण वड़िंग भी दाखा से टिकट के दावेदार थे, लेकिन प्रदेश महासचिव कैप्टन संदीप संधू के समर्थन के कारण उन्हें पार्टी में जगह नहीं मिली। इसके चलते करण वड़िंग भी भाजपा में चले गए। उपचुनाव के दौरान आशु और चन्नी ने बिना पार्टी प्रधान की अनुमति के कड़वल और करण वड़िंग को कांग्रेस में शामिल करवा दिया।

राजा वड़िंग का पलटवार

कांग्रेस के इस कदम के बाद राजा वड़िंग और कैप्टन संदीप संधू ने निलंबित विधायक चौधरी विक्रमजीत सिंह को पार्टी में वापस लाकर साफ संदेश दिया कि पार्टी में एकता नहीं टूटेगी। हालांकि, वीरवार को आशु के नामांकन के दौरान राजा वड़िंग ने एकता का संदेश दिया, लेकिन रविवार को पार्टी की अंदरूनी खींचतान फिर सामने आ गई।

प्रदेश प्रभारी भूपेश बघेल की नाराजगी

पार्टी सूत्रों के अनुसार, कंवलप्रीत कड़वल और करण वड़िंग को पार्टी में शामिल कराने को लेकर प्रदेश प्रभारी भूपेश बघेल भी नाराज हैं। उन्हें राजा वड़िंग की अनुमति के बिना इन दोनों को कांग्रेस में शामिल करने में आपत्ति थी। इससे साफ होता है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच भी इस मसले पर सहमति नहीं बनी है।

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