बांग्लादेश सेना ने म्यांमार कॉरिडोर को लेकर सरकार को सख्त संदेश दिया- राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा। सीमा पर बढ़ते खतरे को सेना ने गंभीर बताया।
Bangladesh: बांग्लादेश में म्यांमार के राखिन प्रांत तक प्रस्तावित मानवीय गलियारे (Humanitarian Corridor) को लेकर देश की सेना ने अपना सख्त रुख साफ कर दिया है। बांग्लादेश आर्मी ने दो टूक कहा है कि देश की सुरक्षा, संप्रभुता और सीमा की सुरक्षा से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। ढाका में सेना मुख्यालय पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में आर्मी के वरिष्ठ अधिकारी कर्नल शफीकुल इस्लाम और ब्रिगेडियर जनरल नाजिम-उद-दौला ने स्पष्ट कर दिया कि सेना ऐसी किसी भी योजना का समर्थन नहीं करेगी, जिससे देश की सीमाओं पर खतरा पैदा हो।
सेना का सख्त संदेश: जब तक शक्ति है, सीमा सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्रिगेडियर जनरल नाजिम-उद-दौला ने कहा, "हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सेना किसी भी परिस्थिति में बांग्लादेश की स्वतंत्रता, सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़े मुद्दों पर समझौता नहीं करेगी। जब तक हमारे अंदर शक्ति का एक बिंदु भी शेष है, तब तक हम अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि म्यांमार के साथ मानवीय गलियारे की योजना को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं, लेकिन सेना और सरकार के बीच किसी तरह का टकराव नहीं है। नाजिम-उद-दौला ने कहा, "सरकार और सेना एक टीम की तरह काम कर रहे हैं। किसी भी तरह का मतभेद या संघर्ष नहीं है। हां, अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई विभाजन है।"
म्यांमार कॉरिडोर को लेकर क्यों बढ़ा विवाद?
दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने राखिन प्रांत तक मानवीय गलियारा बनाने का प्रस्ताव दिया था। इस गलियारे के जरिए म्यांमार में फंसे लाखों लोगों को खाद्य सामग्री और दवाएं पहुंचाने की योजना थी। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका का भी दबाव था कि बांग्लादेश इस कॉरिडोर के जरिए म्यांमार के राखिन में फंसे लोगों की मदद करे। लेकिन सेना ने इस योजना का सख्त विरोध किया है।
सेना के अनुसार, म्यांमार में जारी संघर्ष का सीधा असर बांग्लादेश की सीमाओं पर पड़ सकता है। अराकान आर्मी और म्यांमार की सेना के बीच चल रही लड़ाई पहले ही बांग्लादेश की सीमा के पास पहुंच गई है। कुछ हालिया घटनाओं में अराकान आर्मी ने टेक्नाफ जैसे क्षेत्रों में बांग्लादेश की सीमा के करीब कब्जा कर लिया है। इसके अलावा, सेना को आशंका है कि अगर कॉरिडोर खोल दिया गया तो म्यांमार से रोहिंग्या शरणार्थियों का नया सैलाब बांग्लादेश में आ सकता है, जिससे देश पर और बोझ बढ़ेगा। फिलहाल भी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में करीब 13 लाख रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं, और नए शरणार्थियों का आना देश की आंतरिक स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है।
सेना और सरकार के बीच मतभेद की खबरों पर सेना की सफाई
सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाजिम-उद-दौला ने यह भी स्पष्ट किया कि मीडिया में जिस तरह से सेना और सरकार के बीच मतभेद की खबरें आ रही हैं, वह पूरी तरह से गलत हैं। उन्होंने कहा, "कभी-कभी परिवारों में भी गलतफहमियां हो सकती हैं। सरकार और सेना के बीच कोई संघर्ष नहीं है। हम सभी मिलकर देश के हित में काम कर रहे हैं।" उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार और सेना दोनों का उद्देश्य देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना है और इसमें कोई मतभेद नहीं है।
म्यांमार कॉरिडोर?
सेना के सख्त रुख के बाद यह लगभग तय है कि फिलहाल म्यांमार कॉरिडोर पर आगे बढ़ना मुश्किल है। सेना ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा। ऐसे में यूनुस सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। क्या सरकार सेना की बात मानेगी और इस प्रोजेक्ट को रोक देगी, या फिर कोई नया समाधान निकालेगी?
फिलहाल, सेना का संदेश साफ है कि देश की स्वतंत्रता, सुरक्षा और संप्रभुता सर्वोपरि है और इस पर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं होगा। चाहे कितनी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव की परिस्थितियां हों, सेना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों में आखिरी फैसला वही लेगी।
म्यांमार कॉरिडोर पर बांग्लादेश का रुख कड़ा
सेना ने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक बयानों को ही आधार मानें। बांग्लादेश सेना ने देश के लोगों को भरोसा दिलाया कि देश की सीमाएं सुरक्षित हैं और भविष्य में भी सेना पूरी जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभाएगी।