भारत ने ट्रंप प्रशासन के दावे को खारिज किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि संघर्षविराम पर टैरिफ की कोई चर्चा नहीं हुई थी, आतंकवाद पर भारत का रुख सख्त है।
America: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्षविराम पर अमेरिका की ओर से अजीबोगरीब दावा किया गया है। ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कोर्ट में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम के लिए अमेरिका के टैरिफ की धमकी ने अहम भूमिका निभाई। हालांकि, भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है और साफ कर दिया है कि अमेरिका के साथ बातचीत में टैरिफ का कोई जिक्र ही नहीं हुआ था।
टैरिफ पर ट्रंप सरकार के दावे का भारत ने किया खंडन
ट्रंप प्रशासन की ओर से अमेरिका की एक संघीय अदालत में यह दावा किया गया कि अमेरिका के टैरिफ की धमकी के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम हुआ। लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस दावे को पूरी तरह से नकार दिया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ-साफ कहा कि भारत और अमेरिका के बीच 7 मई से 10 मई 2025 के दौरान हुई बातचीत में टैरिफ का कोई जिक्र ही नहीं हुआ।
जायसवाल ने कहा, "हम इस मामले में अपनी स्थिति पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम पूरी तरह भारत की पहल और रणनीति का हिस्सा था। अमेरिका का इसमें कोई रोल नहीं था, और टैरिफ तो चर्चा का हिस्सा भी नहीं था।"
आखिर क्या कहा था ट्रंप प्रशासन ने?
दरअसल, न्यूयॉर्क की संघीय अदालत में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ एक मामला चल रहा है जिसमें अमेरिका द्वारा कई देशों पर लगाए गए टैरिफ को चुनौती दी गई है। इस दौरान ट्रंप के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक ने कोर्ट में कहा कि टैरिफ की धमकी ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम कराने में मदद की। उन्होंने दावा किया कि ट्रंप ने दोनों देशों को ट्रेड का ऑफर दिया, जिससे यह युद्धविराम संभव हुआ।
हालांकि, भारत ने इस बयान को पूरी तरह से झूठा बताया और स्पष्ट किया कि टैरिफ का इस प्रक्रिया में कोई योगदान नहीं था।
भारत ने अमेरिका के दावे पर क्यों किया विरोध?
भारत का कहना है कि 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से लेकर 10 मई को संघर्षविराम तक भारत और अमेरिका के बीच नियमित बातचीत तो जरूर हुई, लेकिन उसमें टैरिफ का मुद्दा कभी उठा ही नहीं। भारत ने पाकिस्तान पर हमला इसलिए किया था क्योंकि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय नागरिकों की मौत हुई थी, जिसमें पाकिस्तान का हाथ साफ था।
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति के तहत 7 मई को पाकिस्तान और पीओके (PoK) के आतंकी ठिकानों पर निशाना साधा था, और यह पूरी तरह भारत का एकतरफा फैसला था। अमेरिका ने इसमें कोई भूमिका नहीं निभाई थी, और न ही कोई दबाव बनाया था।
विदेश मंत्रालय ने दी पाकिस्तान को सख्त चेतावनी
प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान से किसी भी तरह की बातचीत केवल PoK (पाक अधिकृत कश्मीर) को लेकर होगी – कि पाकिस्तान PoK भारत को कब लौटाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है – आतंकवाद और बातचीत एक साथ संभव नहीं हैं। पाकिस्तान को उन आतंकियों को भारत को सौंपना चाहिए, जिनकी लिस्ट भारत ने पहले ही उन्हें दी थी।
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष की वजह क्या थी?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर की बैसरन घाटी में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 भारतीय पर्यटकों की जान गई थी। इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था, जिसके चलते भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। इसके तहत पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया। इसके बाद तीन दिनों तक दोनों देशों के बीच तनाव रहा और आखिरकार 10 मई को संघर्षविराम पर सहमति बनी।
अमेरिका की अदालत में क्या हुआ?
अमेरिका की संघीय अदालत में ट्रंप प्रशासन के दौर में लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) पर सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने ट्रंप के लिबरेशन डे टैरिफ को अवैध बताते हुए उस पर रोक लगा दी है। इस सुनवाई के दौरान ट्रंप प्रशासन के अधिकारी हॉवर्ड लटनिक ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम की सफलता अमेरिका के टैरिफ दबाव की वजह से हुई थी।