भारत की बेटी गीता सामोता ने वो कर दिखाया जो अब तक सिर्फ़ सपना लगता था। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की सब-इंस्पेक्टर गीता सामोता ने 8,849 मीटर ऊंची माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहराकर इतिहास रच दिया है।
स्पोर्ट्स न्यूज़: देश के सुरक्षा बलों के इतिहास में एक नया और गौरवशाली अध्याय जुड़ गया है, जब केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की सब-इंस्पेक्टर गीता सामोता ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी, माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) पर विजय प्राप्त कर इतिहास रच दिया। यह CISF के 56 वर्षों के गौरवशाली इतिहास में पहली बार हुआ है जब बल की किसी महिला कर्मी ने एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराया है। इस अद्वितीय उपलब्धि की जानकारी CISF के प्रवक्ता ने मंगलवार को दी और बताया कि गीता ने सोमवार को यह कठिन चढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी की।
एवरेस्ट पर CISF की पहली महिला अधिकारी
गीता सामोता CISF की पहली महिला कर्मी हैं जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई की है। यह चढ़ाई उन्होंने 20 मई की सुबह पूरी की और भारत का तिरंगा एवरेस्ट के शिखर पर फहराया। जैसे ही यह खबर CISF मुख्यालय पहुंची, पूरे बल में उत्साह और गर्व की लहर दौड़ गई। CISF के प्रवक्ता ने कहा कि गीता की यह उपलब्धि सिर्फ़ उनके लिए नहीं, बल्कि देश के हर सुरक्षाकर्मी, हर महिला और हर भारतीय के लिए प्रेरणा है।
राजस्थान के सीकर जिले के चाक नामक गांव की रहने वाली गीता सामोता का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। 35 वर्षीय गीता का शुरूआती जीवन खेलों में बीता, खासतौर पर हॉकी में उन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन एक चोट के कारण उनका खेल करियर रुक गया। हार मानने के बजाय, उन्होंने 2011 में CISF में शामिल होकर देश सेवा का रास्ता चुना। वर्तमान में वे उदयपुर एयरपोर्ट पर तैनात हैं।
एवरेस्ट फतह: साहस, समर्पण और संकल्प की मिसाल
जब गीता ने पर्वतारोहण की ओर रुख किया, तब CISF के पास इस क्षेत्र के लिए कोई विशेष टीम या प्रशिक्षण ढांचा नहीं था। बावजूद इसके, उन्होंने खुद से प्रशिक्षण लिया, कठिनाइयों का सामना किया और पहले माउंट सतोपंथ (7075 मीटर) और फिर नेपाल के माउंट लोबुचे (6119 मीटर) की चढ़ाई कर ली। ये दोनों ही मिशन 2019 में सफलतापूर्वक पूरे हुए और गीता पहली CAPF महिला कर्मी बनीं जिन्होंने यह कारनामा किया।
माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई किसी भी पर्वतारोही के लिए सबसे कठिन मिशनों में से एक मानी जाती है। बर्फीले तूफानों, ऑक्सीजन की कमी, माइनस डिग्री तापमान और खतरनाक चट्टानों के बीच गीता ने जो साहस दिखाया, वह काबिल-ए-तारीफ है। यह चढ़ाई सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक दृढ़ता का भी सबसे बड़ा इम्तिहान होती है। और गीता इस इम्तिहान में पूरी तरह खरी उतरीं।
महिलाओं के लिए प्रेरणा
गीता सामोता की यह सफलता सिर्फ़ एक पर्वतारोहण की उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह लाखों भारतीय महिलाओं के लिए एक संदेश है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। CISF जैसे बल में सेवा देने के साथ-साथ उन्होंने जो साहसिक कारनामा किया, वह महिला सशक्तिकरण की सबसे मजबूत मिसाल बन गया है।
CISF के महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने गीता की इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है। बल की ओर से कहा गया है कि गीता की इस जीत ने न केवल बल का नाम रोशन किया है, बल्कि देशभर के सुरक्षाबलों में एक नया आत्मविश्वास पैदा किया है। भविष्य में CISF महिलाओं को पर्वतारोहण और अन्य साहसिक अभियानों में भाग लेने के लिए और अधिक अवसर प्रदान करेगा।