स्पेसएक्स ने 27 मई 2025 को एक नया इतिहास रचते हुए अपनी नौवीं स्टारशिप परीक्षण उड़ान (Starship Flight 9) को लॉन्च किया। इस मिशन की खास बात यह थी कि इसमें पहली बार सुपर हेवी बूस्टर का दोबारा उपयोग किया गया, जो स्पेसएक्स की पूर्ण पुनः प्रयोगयोग्य अंतरिक्ष यान प्रणाली के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि उड़ान के दौरान दोनों चरणों – बूस्टर और ऊपरी स्टारशिप – को नुकसान पहुंचा और वे मिशन के अंत तक नहीं पहुंच सके, लेकिन फिर भी इसने स्पेसएक्स को महत्वपूर्ण तकनीकी डेटा उपलब्ध कराया।
पहली बार दोबारा इस्तेमाल हुआ सुपर हेवी बूस्टर
स्पेसएक्स ने पहली बार सुपर हेवी बूस्टर को दोबारा उड़ाया। इस बूस्टर ने इससे पहले जनवरी 2025 की एक परीक्षण उड़ान में भाग लिया था। इस बार इसके 33 रैप्टर इंजनों में से केवल 4 को बदला गया, बाकी 29 इंजन मूल रूप में ही उपयोग किए गए। यह परीक्षण इस बात का संकेत है कि कंपनी अपने रॉकेट इंजनों की मजबूती और दीर्घकालिक उपयोगिता को लेकर कितनी आत्मविश्वास से आगे बढ़ रही है।
इस बूस्टर को वायुगतिकीय नियंत्रण प्रणाली की जांच के लिए एक अलग कोण से वायुमंडल में प्रवेश कराया गया। इसका उद्देश्य था – उच्च तापमान, घर्षण और दबाव में इसके प्रदर्शन को समझना, ताकि भविष्य में अंतरिक्ष यानों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जा सके।
स्टारशिप का उद्देश्य और उड़ान का स्वरूप
स्पेसएक्स की स्टारशिप दो हिस्सों से बनी होती है – एक सुपर हेवी बूस्टर जो रॉकेट को पृथ्वी की कक्षा तक पहुंचाने का प्राथमिक काम करता है, और एक ऊपरी चरण जिसे सीधे तौर पर 'शिप' कहा जाता है, जो मुख्य अंतरिक्ष यात्रा और पेलोड ले जाने का काम करता है। इस फ्लाइट में "शिप" को आठ नकली स्टारलिंक उपग्रहों को तैनात करने के लिए भेजा गया था, जो तकनीकी प्रदर्शन की एक अहम कड़ी थी।
जैसे ही दोनों चरण पृथ्वी से अलग हुए, शिप सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचा। लेकिन इसके बाद समस्याएं शुरू हुईं। ईंधन टैंक में लीक के कारण शिप ने संतुलन खो दिया और वह अपनी निर्धारित कक्षा में नहीं पहुंच पाया। इसका इंजन दोबारा प्रज्वलित नहीं हो सका और अंततः यह हिंद महासागर के ऊपर जलकर नष्ट हो गया।
महत्वपूर्ण डेटा: असफलता में भी कामयाबी
हालांकि मिशन पूरी तरह से सफल नहीं था, लेकिन स्पेसएक्स को इससे कई अहम जानकारियां मिलीं:
थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (TPS) की परफॉर्मेंस: शिप की बॉडी पर लगे हीट-शील्ड टाइल्स के प्रदर्शन की बारीकी से जांच हुई, जो कि रीयूजेबल स्पेसफ्लाइट के लिए बेहद अहम हैं।
सक्रिय कूलिंग सिस्टम: रॉकेट के ऊपरी हिस्से में लगे कूलिंग सिस्टम की टेस्टिंग हुई, जिससे यह परखा जा सका कि वातावरण में दोबारा प्रवेश के दौरान वह कितना कारगर रहा।
रिटर्न बर्न और वायुगतिकीय नियंत्रण: बूस्टर को विशेष एंगल पर एंटर कराया गया ताकि उसका नियंत्रण सिस्टम और इंजन की परफॉर्मेंस को बेहतर समझा जा सके।
पिछली उड़ानों से तुलना
फ्लाइट 7 और फ्लाइट 8 की तुलना में, फ्लाइट 9 ने कई नई उपलब्धियां दर्ज कीं। फ्लाइट 7 और 8 में भी सुपर हेवी बूस्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया था और स्टारबेस लॉन्च साइट पर लॉन्च टॉवर की चॉपस्टिक जैसी भुजाओं से सुरक्षित लैंडिंग की थी। लेकिन उन दोनों उड़ानों में स्टारशिप (ऊपरी चरण) केवल 10 मिनट के भीतर ही विस्फोट हो गया था।
उन विस्फोटों से तुर्क एंड कैकोस और बहामास जैसे इलाकों में मलबा गिरा था, जिससे अंतरराष्ट्रीय चिंता भी पैदा हुई थी। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ, जो उड़ान नियंत्रण और पेलोड सुरक्षा के लिहाज से एक सकारात्मक संकेत है।
स्पेसएक्स की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
स्पेसएक्स के इंजीनियरों ने इस परीक्षण को 'सफल विफलता' (successful failure) करार दिया है। कंपनी के सीईओ एलन मस्क का मानना है कि पुनः प्रयोग की दिशा में यह एक अहम उपलब्धि है। मस्क ने ट्वीट कर कहा, "हमने जो सीखा है, वह अगली उड़ानों को और बेहतर बनाएगा। हमारा उद्देश्य 100% पुनः प्रयोग करने योग्य रॉकेट प्रणाली तैयार करना है जो मनुष्यों और भारी पेलोड्स को मंगल और उससे भी आगे तक ले जा सके।"
कंपनी अब फ्लाइट 10 की तैयारी में जुट गई है, जिसमें पिछले परीक्षणों के निष्कर्षों को शामिल कर नई तकनीकों और सुरक्षित उड़ान रणनीतियों को लागू किया जाएगा। माना जा रहा है कि अगली उड़ान में एक नया सुपर हेवी बूस्टर उपयोग किया जाएगा, जबकि पुनः प्रयोज्यता के लिए तैयार स्टारशिप के एक और संस्करण का परीक्षण किया जाएगा।
तकनीकी उपलब्धियों से आगे
स्पेसएक्स का यह कदम केवल अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में नहीं, बल्कि पृथ्वी पर भी लॉन्च लागत को कम करने, सैटेलाइट तैनाती को आसान बनाने और अंतरिक्ष पर्यटन को सुलभ बनाने की दिशा में मील का पत्थर है। प्रत्येक परीक्षण उड़ान, भले ही वह पूरी तरह सफल न हो, भविष्य के लिए सीख और सुधार का आधार बनती है।