भगवान हनुमान जी को संकटमोचन, बजरंगबली और मारुति नंदन जैसे कई नामों से जाना जाता है। वे हिन्दू धर्म के अत्यंत पूजनीय देवता हैं, जो शक्ति, भक्ति, और समर्पण के प्रतीक माने जाते हैं। उनके बारे में जितना अधिक जाना जाता है, उतना ही उनकी महिमा और रहस्यों का प्रकाश फैलता है। आज हम आपको भगवान हनुमान से जुड़ी 10 ऐसी खास और कम जानी-पहचानी बातें बताएंगे, जिनके बारे में जानकर आपकी भक्ति और श्रद्धा और गहरी हो जाएगी।
हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हैं
हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार माने जाते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी को रुद्रावतार भी कहा जाता है, क्योंकि वे भगवान शिव के शक्तिशाली और वीर रूप हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने भगवान राम की सेवा करने के लिए खुद हनुमान जी के रूप में धरती पर अवतार लिया था। इसलिए हनुमान जी में शिव की अनंत ऊर्जा और शक्ति समाई हुई है। यही वजह है कि हनुमान जी को अत्यंत बलशाली, निर्भय और भक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उनकी भक्ति और शक्ति का वर्णन सभी धर्मग्रंथों में मिलता है।
हनुमान जी की पत्नी कौन थीं?
बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान जी की पत्नी भी थीं। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि हनुमान जी का विवाह सूर्य देव की बेटी सुवर्चला देवी से हुआ था। यह शादी बहुत खास और दिव्य थी, क्योंकि सुवर्चला देवी से जुड़ने के बाद हनुमान जी की शक्ति और तेज में और वृद्धि हुई। इस विवाह को भगवान हनुमान की ऊर्जा और भक्ति का एक सुंदर प्रतीक माना जाता है। इसलिए हनुमान जी न केवल एक वीर योद्धा थे, बल्कि उनकी पत्नी के साथ उनका जीवन भी बहुत महत्वपूर्ण था। यह बात उनकी महिमा और दैवीय स्वरूप को और भी अधिक गहरा करती है।
हनुमान जी के पांच भाई कौन थे?
हनुमान जी के पांच भाई थे, जिनके नाम श्रुतिमान, गतिमान, मतिमान, केतुमान और धृतिमान थे। ये सभी भाई हनुमान जी की तरह बहुत बहादुर, तेजस्वी और बुद्धिमान थे। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि ये सभी भगवान हनुमान के परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य थे और उनके जैसे ही गुणों से संपन्न थे। इन भाइयों का जीवन और कार्य भी हनुमान जी की तरह वीरता और धर्म के पालन से भरा हुआ था। इसलिए इन्हें भी हनुमान जी के समान शक्ति और सम्मान दिया जाता है
हनुमान जी के पुत्र का नाम क्या था?
हनुमान जी के पुत्र का नाम मकरध्वज था। एक खास कथा के अनुसार, जब हनुमान जी लंका के युद्ध के समय बहुत मेहनत कर रहे थे, तब उनके पसीने से मकरध्वज का जन्म हुआ था। मकरध्वज भी अपने पिता की तरह बहुत बहादुर और ताकतवर योद्धा थे। वे भी संकटों को दूर करने वाले माने जाते हैं और अपने वीरता से सभी का सम्मान जीतते हैं। मकरध्वज की कहानी हनुमान जी की महानता को और भी बढ़ा देती है।
हनुमान जी की गदा का नाम और उसकी खासियत
हनुमान जी की गदा का नाम ‘कौमोदकी’ था, जिसे धन के देवता कुबेर ने हनुमान जी को दिया था। यह गदा केवल एक हथियार नहीं बल्कि एक खास दिव्य शक्ति का प्रतीक भी है। कौमोदकी गदा में इतनी ताकत होती है कि हनुमान जी इसे अपने विरोधियों पर प्रहार कर बड़े-बड़े दुश्मनों को आसानी से परास्त कर सकते थे। इस गदा की वजह से हनुमान जी ने कई लड़ाइयों में भारी सफलता पाई और अपने भक्तों की रक्षा की। इसलिए यह गदा हनुमान जी की शक्ति और साहस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है।
हनुमान जी ने अपनी अंगुलियों पर गोवर्धन पर्वत उठाया था
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों और गोकुलवासियों को बाढ़ से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने छोटे से हाथ पर उठाया था, उसी समय हनुमान जी ने भी अपनी अंगुलियों पर इस विशाल पर्वत को उठा लिया था। यह घटना हनुमान जी की अपार शक्ति, साहस और सहनशीलता को दर्शाती है। उनकी इस ताकत का कोई मुकाबला नहीं था, और इस तरह के कारनामे उनकी दिव्य महत्ता को और भी बढ़ा देते हैं। हनुमान जी की यह शक्ति हमें यह सिखाती है कि सच्चे विश्वास और भक्ति से असंभव काम भी संभव हो जाते हैं।
हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप के बारे में जानिए
हनुमान जी का पंचमुखी स्वरूप बहुत ही विशेष और शक्तिशाली माना जाता है। इस रूप में उनके पाँच मुख होते हैं, जो अलग-अलग दिशाओं की रक्षा करते हैं और अलग-अलग शक्तियों का प्रतीक हैं। पहला मुख हनुमान का अपना मुख होता है, जो पूर्व दिशा की ओर मुखरित होता है और उनकी बहादुरी और शक्ति को दर्शाता है। दूसरा मुख गरुड़ का होता है, जो पश्चिम दिशा की ओर होता है और वह बुरी शक्तियों से रक्षा करता है। तीसरा मुख वराह का होता है, जो उत्तर दिशा की ओर होता है और समृद्धि व सुरक्षा का प्रतीक है। चौथा मुख नरसिंह का होता है, जो दक्षिण दिशा की ओर होता है और अत्यंत क्रूर शत्रुओं का संहार करता है। पाँचवा मुख हयग्रीव का होता है, जो आकाश की ओर होता है और ज्ञान व बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। यह पंचमुखी स्वरूप हनुमान जी की विविध शक्तियों और उनके दिव्य स्वरूप को दर्शाता है, जो भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय है।
हनुमान जी कलयुग में कहाँ रहते हैं?
हनुमान जी को अमरता का वरदान मिला हुआ है, इसलिए वे आज भी इस पृथ्वी पर जीवित हैं और हमारे बीच मौजूद हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी कलयुग में गंधमादन पर्वत पर रहते हैं, जो कैलाश पर्वत के उत्तर दिशा में स्थित एक पवित्र और रहस्यमय स्थान है। यह पर्वत भगवान हनुमान की शक्ति और आशीर्वाद का केंद्र माना जाता है। यहां से वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। भक्तजन इस स्थान को बहुत ही पवित्र समझते हैं और हनुमान जी से जुड़ी श्रद्धा और भक्ति के कारण उनकी कृपा पाने की कामना करते हैं। इस तरह, हनुमान जी का गंधमादन पर्वत में निवास कलयुग में उनकी उपस्थिति और शक्ति का प्रतीक है।
हनुमान जी की नौ निधियां कौन-कौन सी हैं?
हनुमान जी की नौ निधियां उनकी अपार समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक हैं। इन निधियों के नाम हैं— महापद्म निधि, पद्मा निधि, मुकुंद निधि, नंद निधि, मकर निधि, कच्छप निधि, शंख निधि, कुण्ड निधि और खारवा निधि। हर निधि का अपना विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। ये निधियां भक्तों की रक्षा करती हैं और जीवन में खुशहाली, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं। माना जाता है कि हनुमान जी की इन निधियों के कारण उनके भक्तों को विपत्तियों से मुक्ति मिलती है और वे हर कठिनाई से पार पाते हैं। इसलिए हनुमान जी की पूजा-अर्चना में इन निधियों का भी विशेष स्थान है, जो उनकी दिव्य शक्ति और आशीर्वाद को दर्शाती हैं।
हनुमान जी की आठ सिद्धियां
हनुमान जी को आठ महान सिद्धियां प्राप्त हैं, जो उनकी अद्भुत और दिव्य शक्तियों को दर्शाती हैं। इन आठ सिद्धियों में अणिमा है, जिसका मतलब है किसी भी वस्तु या जीव का सबसे सूक्ष्म या छोटा रूप धारण करना। महिमा का मतलब है अत्यधिक बड़ा या महान होना। गरिमा से हनुमान जी की गंभीरता और प्रभावशाली उपस्थिति को दर्शाया जाता है। लघिमा का अर्थ है कम भारी या हल्का होना, जिससे वे आसानी से उड़ सकते हैं। प्राप्ति सिद्धि के तहत वे अपनी इच्छा से किसी भी वस्तु को प्राप्त कर सकते हैं। प्राकाम्य का मतलब है मन मुताबिक किसी भी काम को पूरा करना। ईशित्व का अर्थ है अपने आप पर पूरा नियंत्रण और स्वामित्व रखना, और वशित्व का मतलब है दूसरों पर नियंत्रण रखना। ये सभी सिद्धियां हनुमान जी की असीम शक्ति और महानता को दर्शाती हैं, जो उन्हें हर मुश्किल से पार पाने में मदद करती हैं।
ज्येष्ठ माह में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व
ज्येष्ठ माह हिंदू धर्म में एक बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। इस महीने का मंगलवार का दिन विशेष रूप से भक्तों के लिए अत्यंत शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से उनके कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, जो जीवन की सभी कठिनाइयों को दूर कर देते हैं। ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को भगवान हनुमान की विशेष पूजा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन उनके और प्रभु श्रीराम के पहले मिलन का दिन माना जाता है। इस कारण से यह दिन भक्तों के लिए बहुत ही खास और शुभ माना जाता है।
इस दिन को ‘बुढ़वा मंगल’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ज्येष्ठ के मंगलवार को हनुमान जी के वृद्ध स्वरूप की पूजा भी की जाती है। इस पूजा के दौरान भक्त हनुमान जी की लंबी आयु, शक्ति और उनके अद्भुत साहस के लिए आभार व्यक्त करते हैं। ‘बुढ़वा मंगल’ की पूजा से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, शक्ति और मानसिक शांति का आगमन होता है। इसलिए ज्येष्ठ माह के इस मंगल दिवस को हनुमान भक्त बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।
भगवान हनुमान न केवल एक महाबली योद्धा हैं, बल्कि वे भक्तों के संकटमोचन और जीवन के हर कष्ट दूर करने वाले देवता भी हैं। उनके अवतार, परिवार, शक्तियां और रहस्यों को जानना हमारे लिए भक्ति का सागर है। उनकी पूजा और आशीर्वाद से जीवन में ऊर्जा, साहस और समृद्धि आती है। इसीलिए ज्येष्ठ के मंगलवार को उनकी विशेष पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।