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आईटीआर फाइल करना है जरूरी या नहीं? जानिए क्या कहता है नया इनकम टैक्स नियम

जैसे-जैसे 31 जुलाई 2025 की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने को लेकर जागरूकता और चिंता दोनों ही बढ़ रही है। हर साल की तरह इस बार भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स के लिए समय सीमा तय कर दी है। लेकिन क्या हर नागरिक को आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है? नहीं। भारत सरकार ने कुछ स्थितियों और शर्तों के आधार पर यह स्पष्ट कर रखा है कि किन्हें आईटीआर फाइल करना जरूरी है और किन्हें नहीं।

इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि आईटीआर फाइलिंग से संबंधित मौजूदा नियम क्या हैं, किन्हें इसे जरूर फाइल करना चाहिए, और किन परिस्थितियों में आय कम होने के बावजूद आईटीआर भरना अनिवार्य हो जाता है।

ITR फाइलिंग: क्यों है यह जरूरी?

आईटीआर फाइल करना न केवल आपकी नागरिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह आपकी वित्तीय प्रोफाइल को मजबूत भी करता है। बैंक लोन, वीज़ा अप्लिकेशन, सरकारी योजनाओं में पात्रता, और यहां तक कि क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने में भी आईटीआर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में काम आता है।

किन्हें आईटीआर फाइल करना जरूरी नहीं है?

भारत सरकार ने इनकम टैक्स रूल्स के अंतर्गत कुछ नागरिकों को रिटर्न फाइल करने से छूट दी है। यदि आपकी कुल आय टैक्स छूट सीमा से कम है, तो आईटीआर फाइल करना अनिवार्य नहीं है। इसके अंतर्गत मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Regime): यदि आपकी कुल सालाना आय ₹2.5 लाख या उससे कम है।
  • नई टैक्स व्यवस्था (New Regime): इस व्यवस्था में छूट सीमा ₹3 लाख रुपये रखी गई है।
  • सीनियर सिटीजन (60 वर्ष से 80 वर्ष की उम्र): इनकी आय ₹3 लाख से कम हो तो रिटर्न फाइल करना जरूरी नहीं।
  • सुपर सीनियर सिटीजन (80 वर्ष या उससे अधिक): इनकी आय ₹5 लाख से कम है तो भी आईटीआर फाइल करना जरूरी नहीं।

किन्हें अनिवार्य रूप से ITR फाइल करना चाहिए?

यदि आपकी आय ऊपर बताई गई सीमा से अधिक है, तो ITR फाइल करना अनिवार्य है। लेकिन कुछ परिस्थितियों में आय कम होने के बावजूद भी ITR फाइल करना जरूरी हो जाता है:

बैंकिंग लेन-देन और खर्चों से जुड़े मामलों में

  • चालू खाता (Current Account) में ₹1 करोड़ या उससे अधिक का लेन-देन।
  • सेविंग अकाउंट में ₹50 लाख या उससे अधिक की जमा।
  • अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर ₹2 लाख या उससे अधिक खर्च।
  • किसी भी वर्ष में ₹1 लाख रुपये से अधिक का बिजली बिल।

बिजनेस/प्रोफेशन संबंधी शर्तें

  • सालाना व्यापारिक टर्नओवर ₹60 लाख से अधिक।
  • पेशेवर आय ₹10 लाख से अधिक।

TDS/TCS की कटौती

  • यदि पूरे वित्त वर्ष में किसी व्यक्ति का TDS या TCS ₹25,000 से अधिक हो गया हो।
  • सीनियर सिटीजन के मामले में यह सीमा ₹50,000 रखी गई है।
  • टीडीएस कटा है? तो रिफंड के लिए जरूरी है ITR

यदि आपकी कुल आय भले ही टैक्स फ्री सीमा के भीतर हो लेकिन आपकी इनकम पर टीडीएस कट चुका है, तो उस टीडीएस को वापस पाने यानी रिफंड क्लेम करने के लिए आपको आईटीआर भरना अनिवार्य है। बिना ITR दाखिल किए आप रिफंड का दावा नहीं कर सकते।

आईटीआर न भरने के नुकसान

  • पेनल्टी: नियत तिथि तक ITR न भरने पर ₹1,000 से लेकर ₹5,000 तक की पेनल्टी लग सकती है।
  • रिफंड नहीं मिलेगा: TDS कटा होने पर रिफंड पाने के लिए ITR जरूरी है।
  • वित्तीय लेन-देन में दिक्कतें: लोन, क्रेडिट कार्ड या वीज़ा एप्लिकेशन के दौरान ITR की जरूरत पड़ती है।
  • टैक्स नोटिस की आशंका: यदि आपने तय शर्तों के तहत ITR नहीं भरा तो IT विभाग नोटिस भेज सकता है।

यदि आपकी आय टैक्स छूट सीमा के भीतर भी है, तो ITR फाइल करना आपकी वित्तीय सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए बेहद जरूरी कदम हो सकता है।

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