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राम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा: रामनगरी अयोध्या में जुड़ने जा रहा है एक और स्वर्णिम अध्याय

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अयोध्या, जिसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मभूमि माना जाता है, एक बार फिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है। 22 जनवरी 2024 को रामलला की भव्य प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब श्रीराम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा की भव्य तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं। यह आयोजन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि करोड़ों रामभक्तों की आस्था का केंद्र बनने जा रहा है।

अयोध्या में तैयार हो रहा है दिव्य राम दरबार

श्रीरामजन्मभूमि परिसर में तीव्र गति से राम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। इसका प्रथम तल अब तैयार हो चुका है, जहां भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण जी और भक्त हनुमान जी के दिव्य स्वरूप की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। यह राम दरबार न केवल वास्तुकला की दृष्टि से अद्वितीय होगा, बल्कि श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत भी होगा।

ट्रस्ट के अनुसार, यह आयोजन 3 जून से प्रारंभ होकर 5 जून 2025 तक चलेगा। यह संपूर्ण अनुष्ठान वैदिक परंपराओं के अनुसार किया जाएगा, जिसमें 101 वेदपाठी आचार्य और 14 यजमान भाग लेंगे। यह आयोजन पूरी तरह धार्मिक और आध्यात्मिक होगा, जिसमें किसी भी प्रकार के राजनीतिक या VIP हस्तक्षेप से बचा जाएगा।

क्यों महत्वपूर्ण है राम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा?

राम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा इसलिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह भगवान श्रीराम को एक आदर्श राजा के रूप में स्थापित करने की परंपरा है। इस प्रतिष्ठा के जरिए भगवान राम को न्यायप्रिय, धर्म का पालन करने वाले और मर्यादा में रहने वाले शासक के रूप में सम्मानित किया जाता है। यह केवल मूर्ति स्थापना नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिससे राम राज्य की भावना को जीवंत किया जाता है। जब भक्त राम दरबार के दर्शन करेंगे, तो वे सिर्फ भगवान के रूप नहीं, बल्कि एक ऐसे आदर्श शासन की झलक देखेंगे जिसमें सबका कल्याण निहित है। यह आयोजन राष्ट्र और समाज दोनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

कौन होंगे इस अनुष्ठान के भागीदार?

प्राण-प्रतिष्ठा के इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेने के लिए देशभर से वैदिक आचार्यों को आमंत्रित किया गया है। सभी धार्मिक क्रियाएं शास्त्र सम्मत विधियों के अनुसार होंगी। इन 101 आचार्यों के साथ 14 यजमान भी होंगे, जो इस आयोजन को पूर्णता प्रदान करेंगे। इसमें मुख्य रूप से अयोध्या, काशी, प्रयाग, हरिद्वार और दक्षिण भारत के विद्वान शामिल होंगे।

ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि यह आयोजन केवल धार्मिक रहेगा, किसी भी तरह के VIP को आमंत्रण नहीं दिया जाएगा। इसका उद्देश्य आयोजन को पूर्णतः आध्यात्मिक बनाना है, जिससे श्रद्धालु रामभक्ति में पूरी तरह लीन हो सकें।

दर्शन की व्यवस्था: 

राम मंदिर में भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ट्रस्ट ने दर्शन की व्यवस्था को बेहतर और सुविधाजनक बनाने के लिए “पहले आओ, पहले पाओ” नियम के तहत पास देने की योजना बनाई है। इसका मतलब है कि जो पहले आवेदन करेगा, उसे पहले दर्शन का अवसर मिलेगा। इससे मंदिर में अनावश्यक भीड़ नहीं होगी और दर्शन प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सकेगी।

हर दिन दर्शन के लिए सीमित संख्या में पास उपलब्ध रहेंगे। ये पास ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से प्राप्त किए जा सकेंगे, जिससे हर तरह के भक्तों को सुविधा मिल सके। खासकर जो लोग दूर-दराज से अयोध्या आकर भगवान श्रीराम के दर्शन करना चाहते हैं, उनके लिए यह व्यवस्था काफी सहायक साबित होगी।

राम मंदिर निर्माण की वर्तमान स्थिति

राम मंदिर का प्रमुख निर्माण कार्य तेजी से पूर्णता की ओर बढ़ रहा है। मंदिर का भूतल, जहां पहले से ही रामलला की मूर्ति स्थापित है, अब भक्तों के दर्शन के लिए खुला है। मंदिर का प्रथम तल, जहां राम दरबार की स्थापना होनी है, भी लगभग तैयार हो चुका है।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, दिसंबर 2025 तक पूरा मंदिर परिसर, जिसमें संग्रहालय, यज्ञशाला, तीर्थ यात्री निवास, गोशाला और प्रशासनिक भवन शामिल हैं, पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा। इसके बाद अयोध्या में धार्मिक पर्यटन का एक नया युग प्रारंभ होगा।

अयोध्या का नया धार्मिक युग

अयोध्या में राम मंदिर और राम दरबार की स्थापना केवल एक भव्य धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत के नए धार्मिक युग की शुरुआत का संकेत भी है। यह मंदिर न सिर्फ करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि भारत की प्राचीन संस्कृति, परंपरा और सनातन धर्म के गौरव का प्रतीक भी होगा। आने वाले वर्षों में अयोध्या एक वैश्विक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा, जहां देश-विदेश से लोग भगवान श्रीराम के दर्शन करने आएंगे। इस स्थान पर लोगों को न केवल आध्यात्मिक शांति मिलेगी, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति और धार्मिक इतिहास से जुड़ने का सुनहरा अवसर भी प्राप्त होगा।

3 से 5 जून 2025 तक अयोध्या में होने वाली राम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा एक अत्यंत विशेष और ऐतिहासिक आयोजन है। यह न केवल करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज होगा।

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