27 मई 2025 का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भौमवती अमावस्या, शनि जयंती और तीसरा बड़ा मंगल भी विशेष प्रभाव छोड़ रहे हैं। साथ ही, पंचांग के अनुसार इस दिन कई शुभ योग, नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति भी अनुकूल मानी गई है, जो धार्मिक कर्मकांड और नई शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। आइए विस्तार से जानते हैं 27 मई 2025 के पंचांग, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, ग्रह गोचर और शनि जयंती के खास महत्व के बारे में।
27 मई 2025 का पंचांग
- तिथि: अमावस्या (दिन के 12:11 बजे तक), इसके बाद प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी।
- वार: मंगलवार
- नक्षत्र: कृत्तिका और रोहिणी
- योग: सुकर्मा योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग
- सूर्योदय: सुबह 5:25 बजे
- सूर्यास्त: शाम 7:12 बजे
- चंद्र राशि: वृषभ
- चंद्रमा अस्त: शाम 7:42 बजे
- चंद्र उदय: नहीं होगा (अमावस्या के कारण)
राहुकाल और अन्य अशुभ काल
- राहुकाल: सुबह 8:52 से 10:35 बजे तक – इस समय किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
- यमगंड काल: सुबह 10:35 से दोपहर 12:18 बजे तक
- गुलिक काल: दोपहर 12:18 से 2:02 बजे तक
- आडल योग: सुबह 5:25 से 5:32 बजे तक
ग्रहों की स्थिति
- सूर्य: वृषभ राशि में
- चंद्रमा: वृषभ राशि में
- मंगल: कर्क राशि में (तीसरा बड़ा मंगल प्रभाव)
- बुध: वृषभ राशि में
- गुरु (बृहस्पति): मिथुन राशि में
- शुक्र: मीन राशि में
- शनि: मीन राशि में (शनि जयंती का कारण)
- राहु: कुंभ राशि में
- केतु: सिंह राशि में
शनि जयंती का महत्व और शुभ मुहूर्त
27 मई 2025 को शनि जयंती का विशेष पर्व भी मनाया जाएगा, जो शनि देव के आराधना और उनकी कृपा प्राप्ति का दिन है। इस दिन शनि देव की पूजा-अर्चना विशेष विधि-विधान से करनी चाहिए। शनि देव की कृपा से जीवन के कष्ट कम होते हैं और व्यक्ति पर शुभ प्रभाव पड़ता है। अमावस्या की तिथि होने के कारण यह दिन शनि दोष के निवारण और जीवन में समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
- शनि जयंती का शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:11 बजे से अगले दिन सुबह 8:31 बजे तक
- स्नान-दान महायोग: इस दिन सुबह पानी में काले तिल डालकर स्नान करें और हनुमान जी को तेल अर्पित करें। शाम को शनि देव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
शनि जयंती पर क्या करें और क्या न करें?
क्या करें
- काले तिल, शमी पत्र और तेल से शनि देव की पूजा करें।
- जरुरतमंदों को काले तिल, उड़द, तेल, अन्न और धन का दान करें।
- मंदिरों में पीपल के पौधे लगाएं।
- श्रमिकों के लिए पानी पीने की व्यवस्था करें।
- इस दिन दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
क्या न करें
- मजदूरों का अपमान या अनादर न करें।
- शनि देव को जूठा, पुराना या खराब तेल न चढ़ाएं।
- इस दिन कोई भी अशुभ या नकारात्मक कार्य करने से बचें।
इस दिन के खास ज्योतिषीय प्रभाव
27 मई का दिन मंगलवार होने के कारण स्वयं मंगल ग्रह की उर्जा भी सक्रिय है। मंगल की स्थिति कर्क राशि में है, जो आत्मविश्वास और साहस को बढ़ावा देती है। साथ ही, सूर्य और चंद्रमा दोनों वृषभ राशि में हैं, जो स्थिरता, समृद्धि और समर्पण का प्रतीक है। यह योग विशेष रूप से धन और व्यापार में सफलता के लिए अनुकूल है।
सर्वार्थ सिद्धि और सुकर्मा योग की उपस्थिति से यह दिन हर प्रकार के शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना गया है। विवाह, नए व्यापार की शुरुआत, वाहन खरीदना, मकान बनवाना, और अन्य महत्वपूर्ण कार्य इस दिन विशेष फलदायक होंगे।
शनि देव की कृपा के लिए विशेष उपाय
- शनि जयंती के दिन विशेष रूप से सरसों के तेल का अभिषेक शनि मंदिर में करें।
- शनि ग्रह की शांति के लिए शनिवार के दिन काले तिल, काली चूड़ियां और काला वस्त्र दान करना शुभ है।
- हनुमान चालीसा का पाठ करें, क्योंकि हनुमान जी शनि के कष्टों को कम करने वाले माने जाते हैं।
- पीपल का वृक्ष लगाना और उसकी पूजा करना भी अत्यंत फलदायक रहता है।
27 मई 2025 का दिन पंचांग के अनुसार बेहद शुभ और महत्वपूर्ण है। अमावस्या, शनि जयंती और तीसरे बड़े मंगल के साथ अनेक शुभ योग बन रहे हैं। राहुकाल जैसे अशुभ समयों से बचते हुए इस दिन के शुभ मुहूर्त में धार्मिक कार्य और नई शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी होगा। शनि देव की पूजा-अर्चना से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन विशेष स्नान-दान, तेलाभिषेक और दान-पुण्य का विधान रखना चाहिए ताकि ग्रहों की अशुभ प्रभावों से बचा जा सके।