Chicago

Ekdant Sankashti Chaturthi 2025: बप्पा को प्रसन्न करने के उपाय और सफलता के अचूक मंत्र

🎧 Listen in Audio
0:00

हर महीने आने वाली संकष्टी चतुर्थी भगवान श्रीगणेश की विशेष पूजा का पर्व होती है। यह तिथि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है और इस दिन व्रत रखने तथा पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं। खासकर जब यह दिन ‘एकदंत संकष्टी चतुर्थी’ के रूप में आता है, तो इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन बप्पा की विशेष पूजा करके उनके आशीर्वाद से जीवन की सभी बाधाएं समाप्त होती हैं और हर काम में सफलता मिलने लगती है।

Ekdant Sankashti Chaturthi 2025 की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व 16 मई 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा।

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 16 मई, सुबह 4:02 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 17 मई, सुबह 5:13 बजे
  • चंद्रोदय का समय: 16 मई की रात 10:39 बजे

एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा कैसे करें?     

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता यानी हर बाधा को दूर करने वाला कहा गया है। अगर आप अपने जीवन से रुकावटें दूर करना चाहते हैं और सुख-शांति की कामना रखते हैं, तो एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा करना बेहद फलदायक होता है।

  • पूजा की तैयारी: एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र पहनकर होती है। इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थान की अच्छे से सफाई की जाती है ताकि वातावरण शुद्ध और पवित्र हो। फिर एक साफ चौकी पर भगवान गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है। पूजा की शुरुआत करने से पहले तीन बार आचमन करना आवश्यक होता है, जिसमें जल लेकर 'ॐ केशवाय नमः', 'ॐ नारायणाय नमः' जैसे मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यह प्रक्रिया तन और मन की शुद्धि के लिए की जाती है
  • गणेश जी को स्नान और वस्त्र अर्पण करें: गणेश जी को पहले पंचामृत से स्नान कराएं जिसमें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर हो। इसके बाद उन्हें साफ जल से धोकर हरे रंग का वस्त्र अर्पित करें, जिससे वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
  • पूजा सामग्री चढ़ाएं: अब गणेश जी को जनेऊ, चंदन, अक्षत, सुपारी, दूर्वा, पीले फूल, फल, धूप और दीपक अर्पित करें। दूर्वा चढ़ाते समय 'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि' मंत्र बोलें और फिर बप्पा को मोदक व लड्डू का भोग लगाएं।
  • मंत्र और आरती करें: पूजा के अंत में गणेश जी का मंत्र 'ॐ गं गणपतये नमः' श्रद्धा से जपें। इसके बाद बप्पा की आरती करें और सभी घरवालों को प्रसाद बांटें। यह शुभ कर्म आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है।

इन मंत्रों का जप करें

  • कदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
  •   यह मंत्र भगवान गणेश के एकदंत रूप की पूजा के लिए है। इसका जाप करके हमें जीवन में शुभता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
  •   इस मंत्र का जाप करने से सभी कार्य सफल होते हैं और गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।
  • ॐ गंग गणपतये नमो नमः
  •   इस मंत्र से भगवान गणेश की उपासना होती है, जो हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
  • वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
  •   यह मंत्र भगवान गणेश से हर कार्य में विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करता है।
  • एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः। प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
  •   इस मंत्र का जाप भगवान गणेश की शुद्धता और उनकी कृपा के लिए किया जाता है। यह मानसिक शांति और मुसीबतों से मुक्ति दिलाता है।
  • ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
  •   यह मंत्र विशेष रूप से सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति के लिए है।
  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
  •   इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश से हर मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना की जाती है, और जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

चंद्रमा दर्शन के बाद व्रत  खोले 

संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखना बहुत पुण्यदायी माना जाता है, लेकिन इसे सही तरीके से पूर्ण करना भी जरूरी होता है। इस व्रत का पारण यानी व्रत खोलना तभी करना चाहिए जब रात में चंद्रमा के दर्शन हो जाएं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंद्रदर्शन के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात 10 बजकर 39 मिनट पर होगा। इसलिए आपको व्रत खोलने से पहले चंद्रमा को देखना चाहिए और उन्हें अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद ही फलाहार या भोजन करें। चंद्रदर्शन और अर्घ्य देने से भगवान गणेश और चंद्र देव दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि का मार्ग खुलता है।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी का आध्यात्मिक महत्व

एकदंत संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान गणेश की पूजा का दिन है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश के 'एकदंत' रूप की पूजा की जाती है, जो अपने एक दांत के कारण प्रसिद्ध हैं। इस दिन का व्रत और पूजा बहुत लाभकारी मानी जाती है।

मान्यता है कि जो लोग इस दिन व्रत और पूजा करते हैं, उनके जीवन में आने वाली सभी रुकावटें दूर होती हैं। इसके साथ ही कर्ज से मुक्ति मिलती है और जीवन में आर्थिक समृद्धि का वास होता है। व्यापार, करियर और शिक्षा में भी सफलता प्राप्त होती है। यह दिन घर में शांति और सौभाग्य लाता है, जिससे पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

भगवान गणेश की कृपा से इस दिन संकटों का निवारण होता है और जीवन में शुभ फल मिलते हैं। गणेश जी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे जीवन में उत्थान और सुख-समृद्धि आती है। इसलिए, यह दिन हर किसी के लिए शुभ और लाभकारी माना जाता है।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी की कथा

एकदंत संकष्टी चतुर्थी की कथा भगवान गणेश से जुड़ी हुई है। यह दिन भगवान गणेश के एकदंत रूप की पूजा के लिए बहुत विशेष होता है। कथा के अनुसार, एक बार जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था, भगवान गणेश ने अपनी वीरता और साहस से असुरों से मुकाबला किया। इस युद्ध में असुरों ने भगवान गणेश के दो दांतों में से एक दांत को तोड़ दिया। इससे भगवान गणेश को बहुत कष्ट हुआ, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें सांत्वना दी और उन्हें आशीर्वाद दिया कि वह अब एकदंत कहलाएंगे, क्योंकि उनका एक ही दांत बचा था।

इसके बाद, भगवान गणेश को 'एकदंत' के नाम से जाना जाने लगा। इस दिन भगवान गणेश के इस रूप की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और भक्तों को भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी विघ्न दूर होते हैं और वह सुख-समृद्धि, सफलता और शांति प्राप्त करता है। यह दिन भगवान गणेश की कृपा पाने का अवसर होता है और भक्त अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं।

क्या करें इस दिन

एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले आपको पूरे दिन सात्विक रहकर व्रत रखना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से चंद्रोदय के बाद ही भोजन करना चाहिए। पूजा में श्रद्धा और भक्ति बनाए रखें, क्योंकि भगवान गणेश के प्रति पूर्ण समर्पण से ही उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इसके अलावा, इस दिन जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान भी करना चाहिए। इससे पुण्य मिलता है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। यह दिन आत्मिक शांति और सुख-समृद्धि पाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे सही तरीके से मनाएं।

किन बातों से बचें

एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इस दिन क्रोध, झूठ बोलने और तामसिक भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि ये मानसिक शांति को बिगाड़ सकते हैं। पूजा में लापरवाही नहीं करनी चाहिए, बल्कि पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ पूजा करनी चाहिए।

इसके अलावा, अपवित्र वस्त्रों में पूजा करना भी गलत है। पूजा के समय स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनने चाहिए, ताकि भगवान गणेश की पूजा सही तरीके से हो सके। इन बातों का ध्यान रखकर इस दिन को सफल और शुभ बनाएं।

इस Ekdant Sankashti Chaturthi पर बप्पा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा से व्रत और पूजा करें। भगवान गणेश की कृपा से आपके जीवन की सारी बाधाएं दूर होंगी और सफलता आपके कदम चूमेगी। अपने परिवार और दोस्तों को भी इस शुभ दिन की महत्ता बताएं और उन्हें भी लाभान्वित करें।

Leave a comment