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रवि प्रदोष व्रत 2025: शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त करने का शुभ अवसर — व्रत की महत्ता, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है, जिसे प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। खास बात यह है कि 2025 में आने वाला ज्येष्ठ मास का अंतिम प्रदोष व्रत रविवार को पड़ रहा है, जिसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है क्योंकि इस दिन शिव योग और शिववास योग जैसे दिव्य संयोग भी बन रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि यह व्रत क्यों खास है, इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता।

प्रदोष व्रत: एक आध्यात्मिक  शुभ अवसर

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित वह तिथि है, जब देवों के देव की विशेष कृपा पाने का अवसर मिलता है। 'प्रदोष' का अर्थ है ‘संध्या काल’, अर्थात दिन के उस समय में जब दिन और रात का संगम होता है। यह समय साधना और उपासना के लिए अत्यंत शुभ होता है।

शिव पुराण में वर्णित है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मानसिक संतुलन बना रहता है। साथ ही, जो व्यक्ति इस दिन भगवान शिव की आराधना करता है, उसे पुण्य, सौभाग्य, आरोग्यता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

रवि प्रदोष व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

रवि प्रदोष व्रत 2025 में 8 जून, रविवार को रखा जाएगा। इस दिन त्रयोदशी तिथि सुबह 7:17 बजे शुरू होगी और 9 जून को सुबह 9:35 बजे तक रहेगी। भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ समय 8 जून को शाम 7:18 बजे से रात 9:19 बजे तक का रहेगा। इस खास संध्या समय को 'प्रदोष काल' कहा जाता है, जो शिव पूजा के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। इस मुहूर्त में श्रद्धा से पूजा करने पर शिवजी की विशेष कृपा मिलती है और भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

शिवयोग और शिववास योग का दिव्य संयोग

इस बार प्रदोष व्रत पर दो शुभ संयोग बन रहे हैं:

शिव योग: इस योग में शिव की आराधना करने से सभी कार्य सफल होते हैं। जीवन में चल रही रुकावटें दूर होती हैं और मन को शांति मिलती है।

शिववास योग: मान्यता है कि इस योग में भगवान शिव पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने भक्तों की पुकार को सीधे सुनते हैं। जो भी भक्त इस दिन सच्चे मन से शिव पूजन करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

प्रदोष व्रत की धार्मिक मान्यता

प्रदोष व्रत की मान्यता शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में बहुत पवित्र और फलदायी मानी गई है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव संध्या काल में अपने भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं। इसलिए प्रदोष व्रत को बहुत शुभ माना जाता है।

इस व्रत को करने से जीवन के सभी दोष दूर होते हैं और नकारात्मकता समाप्त होती है। जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से प्रदोष व्रत करता है, उसके जीवन में रोग, शोक और दरिद्रता नहीं टिकती। यह व्रत आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है।

रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि

स्नान एवं संकल्प: व्रती को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

निर्जल व्रत: प्रदोष व्रत को निर्जल रखा जाता है, लेकिन अस्वस्थ या वृद्ध लोग फलाहार कर सकते हैं।

शिव पूजन: शाम के समय, प्रदोष काल में भगवान शिव, माता पार्वती, नंदी और भगवान गणेश की पूजा करें। शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें – दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान कराएं।

धूप-दीप और पुष्प अर्पण: दीप जलाएं, बेलपत्र, सफेद पुष्प, भस्म, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें।

मंत्र जाप: 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। इसके अतिरिक्त 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे'  महामृत्युंजय मंत्र का जप भी शुभ फल देता है।

शिव कथा एवं आरती: शिव कथा सुनें या पढ़ें। फिर शिव आरती करें और अंत में व्रत कथा का पारायण करें।

रवि प्रदोष व्रत के लाभ

रवि प्रदोष व्रत से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करता है, उसे कई आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं:

  • आरोग्यता: रोगों से मुक्ति मिलती है और शरीर में नव ऊर्जा का संचार होता है।
  • सौभाग्य वृद्धि: विवाहित जीवन में सुख-सं harmony बढ़ती है और अन्नपूर्णा माता की कृपा से धन-धान्य की कमी नहीं होती।
  • कार्य सिद्धि: रुके हुए कार्य बनने लगते हैं, और जीवन में तरक्की के नए मार्ग खुलते हैं।
  • मोक्ष प्राप्ति: यह व्रत शिव के परम लोक में स्थान दिलाने वाला भी माना गया है।

दिन का पंचांग (08 जून 2025)

सूर्योदय: सुबह 05:23 बजे

सूर्यास्त: शाम 07:18 बजे

चंद्रोदय: शाम 04:50 बजे

चंद्रास्त: 09 जून को सुबह 03:31 बजे

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:02 से 04:42 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:39 से 03:35 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:17 से 07:37 बजे तक

निशिता मुहूर्त: रात 12:00 से 12:40 बजे तक

प्रदोष व्रत के दिन दान का महत्व

प्रदोष व्रत के दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन किया गया दान कई गुना पुण्य दिलाता है। खासकर इस दिन वस्त्र, अनाज, तांबे के बर्तन, घी, गुड़ और धार्मिक ग्रंथों का दान करना अत्यंत फलदायी होता है। ऐसा दान करने से न केवल भगवान शिव की कृपा मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी बढ़ती है। प्रदोष व्रत पर दिया गया दान व्यक्ति के कर्मों को शुद्ध करता है और उसके कष्टों को कम करता है, इसलिए इस दिन दान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

रवि प्रदोष व्रत की कथा

बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में एक निर्धन ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसका जीवन बहुत कठिनाई से बीत रहा था। वह हर दिन भगवान शिव की पूजा करता और प्रदोष व्रत रखता। एक बार उसने रवि प्रदोष व्रत का विशेष संकल्प लिया और पूरे विधि-विधान से व्रत किया। उसकी श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि शीघ्र ही उसके जीवन में खुशहाली आएगी। कुछ ही समय बाद उसे एक अच्छा कार्य मिला और उसकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी।

एक अन्य कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच जब समुद्र मंथन हुआ, तब हलाहल विष निकला। उस विष को जब कोई संभाल नहीं पाया, तब भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। इससे उनका गला नीला हो गया और वे 'नीलकंठ' कहलाए। यह घटना त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में हुई थी। इसलिए यह समय भगवान शिव की विशेष पूजा के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। जब यह तिथि रविवार को आती है, तो इसे रवि प्रदोष कहते हैं।

ऐसी मान्यता है कि रवि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को आरोग्यता, दीर्घायु और सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सौभाग्य बढ़ता है। भक्त यदि पूरे मन और श्रद्धा से इस दिन व्रत रखे और भगवान शिव की पूजा करे, तो उसे हर कार्य में सफलता मिलती है और उसकी सभी परेशानियां दूर होती हैं।

रवि प्रदोष व्रत न केवल भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का अवसर है, बल्कि यह जीवन के तमाम दुखों से मुक्ति पाने का आध्यात्मिक मार्ग भी है। इस दिन शिवभक्त श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करें, तो निश्चित ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होगा।

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