विनायक चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं। हर शुभ कार्य की शुरुआत उनके नाम से ही की जाती है ताकि सफलता की प्राप्ति हो। इसी भावना के साथ, हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 30 मई 2025 को मनाया जाएगा।
इस पावन दिन की महत्ता और धार्मिक मान्यताओं को समझते हुए इस लेख में हम जानेंगे कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश को कौन-कौन सी वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए, पूजा के दौरान किन-किन विधियों का पालन करना शुभ होता है, और साथ ही भगवान गणेश के कुछ प्रमुख मंत्रों का भी जिक्र करेंगे, जो इस दिन की पूजा को और प्रभावशाली बनाते हैं।
विनायक चतुर्थी का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में भगवान गणेश को शुभ और मांगलिक कार्यों का देवता माना गया है। घर-परिवार, व्यापार, पढ़ाई-लिखाई या कोई नया कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि गणेश जी की कृपा से सभी विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
विनायक चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश को समर्पित होता है। यह दिन गणेश जी की विशेष पूजा और व्रत का दिन माना जाता है। इस दिन पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन की राह आसान हो जाती है।
विनायक चतुर्थी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 29 मई की रात 11 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ होकर 30 मई 2025 को रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। इस शुभ दिन को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाएगा। भक्तजन इस दिन सुबह स्नान करके पूजा-अर्चना में सम्मिलित होते हैं और भगवान गणेश की विशेष पूजा करते हैं।
विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश को अर्पित करें ये पवित्र वस्तुएं
भगवान गणेश की पूजा के दौरान कुछ विशेष वस्तुओं का अर्पण करना शुभ माना जाता है, जो उनकी प्रसन्नता और आशीर्वाद के लिए आवश्यक हैं।
- सिंदूर और चंदन: गणेश जी को सिंदूर और चंदन अर्पित करना अत्यंत शुभ होता है। चंदन भगवान की मूर्ति पर लगाया जाता है जिससे शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सिंदूर उनके सिर पर लगाया जाता है, जो उनके तेज और शक्ति का प्रतीक है।
- दूर्वा घास: दूर्वा को भगवान गणेश का प्रिय माना जाता है। इसे पूजा के समय चढ़ाना और अर्पित करना आवश्यक होता है। दूर्वा से भगवान की कृपा बढ़ती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
- लाल फूल और गुलाब: गणेश जी को लाल रंग के फूल विशेष पसंद हैं। लाल रंग ऊर्जा, उत्साह और शक्ति का प्रतीक है। गुलाब के फूल से भगवान की आराधना का महत्व बढ़ जाता है।
- गुड़ और चना: गणेश जी को गुड़ और भुने हुए चने अर्पित करने की परंपरा है। यह उनकी प्रसन्नता का संकेत है। गुड़ मीठा होने के कारण जीवन में मिठास और सुख-शांति लाता है।
- देसी घी का दीपक: पूजा के दौरान देसी घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह न केवल वातावरण को पवित्र करता है, बल्कि भगवान की उपस्थिति और कृपा का भी प्रतीक होता है।
- हरी वस्त्र: हरे रंग के वस्त्र भगवान गणेश को अर्पित किए जाते हैं क्योंकि हरा रंग जीवन में नई ऊर्जा, शांति और स्वास्थ्य का प्रतीक है।
- अक्षत (चावल): अक्षत को पूजा में चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसे भगवान के चरणों में अर्पित करना उनकी रक्षा और आशीर्वाद की इच्छा व्यक्त करता है।
विनायक चतुर्थी की पूजा विधि
विनायक चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन शुभ भाव से की गई पूजा जीवन के सभी संकटों को दूर करती है और सुख-समृद्धि प्रदान करती है।
स्नान और स्वच्छता से करें शुरुआत: विनायक चतुर्थी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और उसे गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र करें। भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
दीपक और धूप जलाकर करें वातावरण पवित्र: भगवान की प्रतिमा या चित्र के सामने देसी घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही अगरबत्ती और धूप जलाकर वातावरण को सुगंधित व पवित्र बनाएं। यह वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है और ध्यान को केंद्रित करने में मदद करता है।
भोग और पूजन सामग्री अर्पित करें: भगवान गणेश को सिंदूर, चंदन, अक्षत (चावल), दूर्वा (एक प्रकार की हरी घास), लाल फूल, गुड़ और भुना हुआ चना अर्पित करें। विशेष रूप से दूर्वा और मोदक (लड्डू) उन्हें अत्यंत प्रिय होते हैं। साथ ही हरे या पीले रंग के वस्त्र भी अर्पण किए जा सकते हैं।
आरती करें और स्तुति पाठ पढ़ें: गणपति बप्पा की आरती करें और 'जय गणेश जय गणेश देवा' जैसी पारंपरिक आरतियों का गायन करें। इसके साथ ही आप 'गणेश चालीसा' या 'गणपति अथर्वशीर्ष' का पाठ भी कर सकते हैं। इससे मानसिक शांति मिलती है और पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
मंत्र जाप और आशीर्वाद की कामना करें
पूजा के अंत में भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें, जैसे—
'ॐ गं गणपतये नमः' या
'ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।'
परिक्रमा करें और श्रद्धा से पूजा पूर्ण करें: पूजा पूरी होने के बाद भगवान गणेश की मूर्ति या मंदिर के चारों ओर तीन या पांच बार परिक्रमा करें। यह भगवान के प्रति सम्मान और समर्पण का प्रतीक होता है। फिर परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरित करें और अपने जीवन में उनके आशीर्वाद के लिए कृतज्ञ रहें।
दान और पुण्य कार्य
विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के बाद दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। गरीबों को अन्न, धन, वस्त्र या भोजन दान करने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है। यह पुण्य कार्य भगवान गणेश की कृपा पाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
दान करने से न केवल व्यक्ति के पाप कम होते हैं, बल्कि उसकी समस्याएं भी स्वतः दूर हो जाती हैं। इसलिए विनायक चतुर्थी पर दान करना और जरूरतमंदों की सहायता करना अत्यंत आवश्यक है।
भगवान गणेश के प्रमुख मंत्र
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बकः।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्नराजकः।।
धूम्रवर्णो भालचन्द्रो दशमस्तु विनायकः।।
गणपतीयास्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
विनायक चतुर्थी की कथा
बहुत प्राचीन समय की बात है। एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं। उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक बालक की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए। वह बालक उनका सेवक बन गया। जब पार्वती स्नान कर रही थीं, तब उन्होंने उस बालक को दरवाजे पर पहरा देने के लिए कहा और किसी को अंदर न आने देने का आदेश दिया।
उसी समय भगवान शिव वहां पहुंचे। बालक ने उन्हें भी अंदर जाने से रोक दिया। इस पर भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक का सिर काट दिया। जब पार्वती बाहर आईं और यह देखा तो वे बहुत दुखी हुईं। उन्होंने भगवान शिव से अपने पुत्र को जीवित करने की प्रार्थना की। तब भगवान शिव ने बालक को हाथी का सिर लगाकर पुनः जीवित किया और उसे 'गणेश' नाम दिया।
भगवान शिव ने यह भी घोषणा की कि गणेश जी सबसे पहले पूजे जाएंगे और सभी कार्यों की शुरुआत उन्हीं के नाम से होगी। तभी से गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन इसी कारण से विशेष रूप से गणेश जी की पूजा की जाती है और उनकी कृपा पाने के लिए व्रत और उपाय किए जाते हैं।
विनायक चतुर्थी 2025 का यह पर्व न केवल भगवान गणेश की भक्ति और पूजा का अवसर है, बल्कि यह जीवन की बाधाओं को दूर कर नई ऊर्जा और सकारात्मकता लेकर आता है। इस दिन गणेश जी को विशेष वस्तुएं अर्पित करना, विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करना और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ होता है।