हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का अपना एक अलग स्थान है, और उनमें से वृषभ व्रत एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और शुभ व्रत माना जाता है। यह व्रत तब मनाया जाता है जब सूर्य हिंदू कैलेंडर के बैसाख माह में वृषभ राशि में प्रवेश करता है, यानी यह व्रत हर साल शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि को पड़ता है। इस साल वृषभ व्रत 3 जून 2025 को मंगलवार को है। इसके महत्व और पूजन विधि को लेकर भक्तों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
वृषभ व्रत 2025 इस साल कब है वृषभ व्रत
वृषभ व्रत का आयोजन इस साल 3 जून को किया जाएगा। भारतीय कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत खासतौर पर सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश के दौरान मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व न केवल भगवान शिव के भक्तों के लिए, बल्कि भगवान विष्णु के भक्तों के लिए भी है। दक्षिण भारत में इस दिन को श्रद्धा से मनाया जाता है, जहां भगवान शिव के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान आयोजित होते हैं।
वृषभ व्रत के अनुष्ठान
वृषभ व्रत में सबसे पहले भक्त सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र स्नान करते हैं। इसके बाद व्रति बैल (वृषभ) की पूजा करते हैं, क्योंकि यह भगवान शिव का वाहन है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और उनकी पत्नी उमा का ध्यान करना चाहिए। पूजा के दौरान ऋषभरुदर की मूर्ति चांदी या सोने से बनाई जाती है, जिसे पंचामृत से शुद्ध किया जाता है। इसके बाद, भक्त चावल, पायशाम और अन्य विशेष पकवानों को भगवान शिव को अर्पित करते हैं।
पूजा के बाद प्रसाद को अन्य भक्तों में वितरित किया जाता है। व्रत रखने वालों को दिन के अंत में भगवान शिव के मंदिर में जाकर पूजा करनी चाहिए और प्रसाद के रूप में चीनी-चावल, मिठाई और फल ग्रहण करने चाहिए। शाम को भगवान शिव के गुणों और महिमा का वर्णन सुनने में समय बिताना चाहिए।
वृषभ व्रत का विशेष समय
वृषभ व्रत के दिन सूर्योदय, सूर्यास्त और अष्टमी तिथि का समय महत्वपूर्ण होता है। इस साल वृषभ व्रत के समय इस प्रकार रहेगा:
- सूर्योदय: 3 जून 2025, सुबह 5:44 बजे
- सूर्यास्त: 3 जून 2025, शाम 7:05 बजे
- अष्टमी तिथि: 2 जून 2025, रात 8:35 बजे से 3 जून 2025, रात 9:56 बजे तक
इस शुभ समय में पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
वृषभ व्रत के लाभ
वृषभ व्रत को शक्तिशाली व्रत माना जाता है, जिसे श्रद्धा और भक्ति से करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। इस व्रत के जरिए भक्त लंबी उम्र, अच्छा स्वास्थ्य, धन, बुद्धि और आठ महान निधियों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन पितृ तर्पण और दान पुण्य के लिए भी विशेष रूप से शुभ माना जाता है। साथ ही, गौ दान और गरीबों की मदद करने से व्यक्ति को जीवन में खुशहाली और समृद्धि मिलती है। वृषभ व्रत का पालन करने से व्यक्ति को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो उसकी जिंदगी को सुखमय बना देता है।
वृषभ व्रत का ऐतिहासिक महत्व
वृषभ व्रत का प्राचीन काल से पालन किया जा रहा है और आज भी इसका महत्व उतना ही अधिक है। भगवान विष्णु ने इस व्रत को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गरुड़ और अन्य खजाने प्राप्त हुए थे। इसी तरह, इंद्र ने भी इस व्रत को किया और ऐरावत को प्राप्त किया।
इसके अलावा, इस व्रत के फलस्वरूप भगवान सूर्य को सात घोड़ों वाला रथ, भगवान चंद्रमा को उनका विशेष माणिक विमान, जल के देवता को मगरमच्छ, भगवान यमराज को उनका भैंसा और भगवान कुबेर को पुष्कर विमान प्राप्त हुआ था। यह व्रत खासतौर पर राजा-महाराजाओं द्वारा अपने भाग्य को बेहतर बनाने और राज्य का विस्तार करने के लिए किया जाता था। आज भी यह व्रत समृद्धि और सुख की कामना के लिए बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
वृषभ व्रत की तारीखें
वृषभ व्रत हर साल मनाया जाता है, और यह विभिन्न वर्षों में अलग-अलग तारीखों पर पड़ता है। कुछ प्रमुख तारीखें इस प्रकार हैं:
- 2020: शनिवार, 30 मई
- 2021: शुक्रवार, 18 जून
- 2022: बुधवार, 8 जून
- 2023: रविवार, 28 मई
- 2024: शुक्रवार, 14 जून
- 2025: मंगलवार, 3 जून
- 2026: सोमवार, 22 जून
वृषभ व्रत का पालन करके भक्त अपने जीवन में समृद्धि, सुख और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन को लेकर श्रद्धालु पूरी तैयारी के साथ इस व्रत को विधिपूर्वक करने के लिए तैयार हैं।