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ITR-5 फॉर्म में TDS से लेकर डिजिटल फाइलिंग तक, जानें 5 नए बदलाव

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CBDT ने ITR-5 फॉर्म में 2025-26 के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। TDS, शेयर बायबैक नुकसान, पूंजीगत लाभ, और डिजिटल फाइलिंग से जुड़े नए नियमों का ऐलान किया गया है।

Explained: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 1 मई 2025 को मूल्यांकन वर्ष 2025-26 के लिए अपडेटेड ITR-5 फॉर्म जारी किया है, जिसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। यह फॉर्म खासकर फर्मों, सीमित दायित्व भागीदारी (LLP) और कुछ अन्य संस्थाओं के लिए है। इन बदलावों का उद्देश्य टैक्स रिपोर्टिंग को सरल, पारदर्शी और अधिक सटीक बनाना है। आईए जानते हैं ITR-5 फॉर्म में आए ये 5 बड़े अपडेट:

1. पूंजीगत लाभ की रिपोर्टिंग में बदलाव

नए ITR-5 फॉर्म में पूंजीगत लाभ की रिपोर्टिंग के लिए एक बड़ा बदलाव किया गया है। अब टैक्सपेयर्स को अपनी कमाई को दो अलग-अलग समय सीमाओं में दिखाना होगा:

23 जुलाई 2024 से पहले: इस तारीख से पहले हुए लेन-देन के लिए पूंजीगत लाभ को अलग से दर्ज करना होगा।

23 जुलाई 2024 के बाद: इस तारीख के बाद के लेन-देन को दूसरी श्रेणी में दिखाना होगा।

यह बदलाव वित्त अधिनियम 2024 के तहत किए गए टैक्स नियमों को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य टैक्स अधिकारियों को टैक्स की गणना करने और ऑडिट करने में आसानी प्रदान करना है। इससे टैक्सपेयर्स को भी यह स्पष्टता मिलेगी कि उनके लाभ पर कौन से नियम लागू होंगे।

2. शेयर बायबैक नुकसान के लिए नया नियम

अगर आपने किसी कंपनी के शेयर बायबैक में हिस्सा लिया और आपको नुकसान हुआ, तो अब इसे क्लेम करने का तरीका बदल गया है। 1 अक्टूबर 2024 से लागू होने वाला यह नियम कहता है:

  • बायबैक से मिलने वाली राशि को "अन्य स्रोतों से आय" के रूप में दिखाना अनिवार्य है।
  • यह राशि अब डिविडेंड (लाभांश) की तरह मानी जाएगी और उसी हिसाब से टैक्स लगेगा।
  • बायबैक में आपके शेयर की लागत (cost of acquisition) को पूंजीगत नुकसान माना जाएगा। इस नुकसान को आप मौजूदा साल में अन्य पूंजीगत लाभ के खिलाफ समायोजित (set off) कर सकते हैं।
  • यदि पूरी राशि समायोजित नहीं की जा सकती, तो इसे अगले 8 साल तक आगे ले जाया (carry forward) जा सकता है।

यह नियम टैक्स चोरी को रोकने और केवल वास्तविक नुकसान को क्लेम करने के लिए लाया गया है।

3. TDS सेक्शन कोड की अनिवार्यता

नए ITR-5 फॉर्म में अब आपको यह स्पष्ट करना होगा कि TDS किस सेक्शन के तहत काटा गया है। उदाहरण:

  • ब्याज से आय पर TDS के लिए सेक्शन 194A
  • ठेके से आय पर TDS के लिए सेक्शन 194C

यह जानकारी आयकर विभाग को TDS क्लेम को सही तरीके से वेरिफाई करने में मदद करेगी और रिफंड में देरी या गलतियों की संभावना को कम करेगी। यह कदम टैक्स प्रक्रिया को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने की दिशा में उठाया गया है।

4. डिजिटल फाइलिंग और AI का इस्तेमाल

ITR-5 फॉर्म अब पूरी तरह से ऑनलाइन फाइलिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है, और इसे आयकर विभाग के AI-सहायता प्राप्त स्क्रूटनी सिस्टम से जोड़ा गया है। इसका मतलब है:

  • अब फॉर्म में गलतियां होने की संभावना कम होगी।
  • लेकिन इसके साथ ही, टैक्स अधिकारियों की नजर आपकी रिटर्न पर और तेज़ होगी, जिससे फाइलिंग प्रक्रिया तेजी से संपन्न होगी।

यह डिजिटल सिस्टम टैक्सपेयर्स के लिए प्रक्रिया को सरल बनाएगा, लेकिन सही और पूरी जानकारी देना पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।

5. अन्य छोटे बदलाव

ITR-5 फॉर्म में कुछ अन्य छोटे-बड़े बदलाव भी किए गए हैं, जो टैक्स रिपोर्टिंग को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाएंगे:

  • क्रूज बिजनेस से आय के लिए अब नया सेक्शन 44BBC जोड़ा गया है।
  • संपत्ति और देनदारी की सीमा बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी गई है, पहले यह सीमा 50 लाख रुपये थी।

डिडक्शन रिपोर्टिंग में विस्तार किया गया है, जिससे अब आपको सेक्शन 80C, 10(13A) जैसी डिडक्शन के लिए अधिक विस्तार से जानकारी देनी होगी।

इन बदलावों का उद्देश्य टैक्स सिस्टम को और पारदर्शी बनाना है, ताकि टैक्सपेयर्स को अपने आय और खर्चों की सही जानकारी देनी पड़े और आयकर विभाग को उनका ऑडिट सही से करने में मदद मिले।

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