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CBI Director 2025: चयन बैठक रही बेनतीजा, प्रवीण सूद को मिल सकता है कार्यकाल विस्तार

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सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के बीच हुई अहम बैठक में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है। 

New CBI Chief: देश की सबसे प्रतिष्ठित और प्रभावशाली जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के नए निदेशक की नियुक्ति को लेकर स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई उच्च स्तरीय समिति की बैठक में नए निदेशक के चयन को लेकर आम सहमति नहीं बन सकी। इस चयन समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल थे। 

तीनों शीर्ष पदों पर आसीन व्यक्तियों के बीच हुई इस अहम बैठक में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नामों पर विचार हुआ, मगर कोई एक नाम तय नहीं हो सका।

चयन प्रक्रिया: कैसे होता है सीबीआई निदेशक का चुनाव?

सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक विशेष उच्चस्तरीय चयन समिति की सिफारिश पर होती है। यह समिति तीन सदस्यों की होती है—प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश। इन तीनों की सहमति से ही किसी एक अधिकारी को निदेशक पद के लिए चुना जाता है। समिति को गृह मंत्रालय और कार्मिक विभाग की ओर से वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारियों की एक सूची सौंपी जाती है, जिसमें उनके सेवा रिकॉर्ड, अनुभव और प्रदर्शन का विस्तृत विवरण होता है। इसी सूची से समिति किसी एक अधिकारी के नाम पर अंतिम मुहर लगाती है।

रेस में कौन-कौन?

इस बार सीबीआई निदेशक की दौड़ में कई नामी आईपीएस अधिकारी हैं। सबसे आगे चल रहे हैं 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय अरोड़ा, जो वर्तमान में दिल्ली पुलिस के कमिश्नर हैं। इनके अलावा रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के प्रमुख मनोज यादव और मध्य प्रदेश पुलिस प्रमुख कैलाश मकवाना भी प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं।

सूत्रों के अनुसार, चयन समिति को सौंपे गए विस्तृत पैनल में DG SSB अमृत मोहन प्रसाद, DG BSF दलजीत चौधरी, DG CISF आरएस भट्टी और DG CRPF जीपी सिंह जैसे नाम भी शामिल हैं। हालांकि, इतने बड़े पैनल के बावजूद एकमत नहीं बन पाना इस बार की नियुक्ति प्रक्रिया को पेचीदा बना रहा है।

कार्यकाल और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

सीबीआई निदेशक का कार्यकाल अधिकतम पांच वर्षों तक हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी अधिकारी को निदेशक तभी बनाया जा सकता है, जब उसके कार्यकाल में कम से कम छह महीने शेष हों। साथ ही, दो साल का न्यूनतम कार्यकाल सुनिश्चित करना अनिवार्य है, जिससे कि एजेंसी की स्वतंत्रता और स्थायित्व प्रभावित न हो।

यदि चयन समिति किसी एक नाम पर सहमति नहीं बना पाती है, तो वर्तमान निदेशक का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। यही स्थिति फिलहाल नजर आ रही है। मौजूदा सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद का कार्यकाल 25 मई 2025 को समाप्त हो रहा है। अगर जल्द ही नए नाम पर सहमति नहीं बनी, तो संभावना है कि उन्हें एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया जाए।

प्रवीण सूद कर्नाटक कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और मई 2023 में उन्होंने सीबीआई प्रमुख का पदभार संभाला था। इससे पहले वे कर्नाटक के डीजीपी थे। उनकी कार्यशैली को लेकर सरकार संतुष्ट रही है, ऐसे में कार्यकाल विस्तार की राह आसान मानी जा रही है।

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