मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर हिमाचल प्रदेश के वित्तीय हितों पर गंभीर चर्चा की। उन्होंने राज्य की ऋण सीमा को पूर्ववत रखने, जीएसटी मुआवजा जारी करने और आपदा राहत कोष की मांग की।
नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से महत्वपूर्ण मुलाकात की, जिसमें राज्य के वित्तीय हितों को लेकर कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश की ऋण सीमा को पूर्ववत रखने, बंद हुए जीएसटी मुआवजे को पुनः जारी करने, आपदा राहत कोष की मांग और राज्य के विकास के लिए पर्याप्त बजट आवंटन पर जोर दिया।
दिल्ली दौरे के पहले दिन मुख्यमंत्री सुक्खू ने नई दिल्ली में केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों से मुलाकात कर हिमाचल प्रदेश के विकास और आर्थिक स्थिरता के मुद्दे पर अपनी बात रखी। खासतौर पर केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में उन्होंने राज्य के लिए जरूरी वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता को लेकर अपनी चिंताएं साझा कीं।
ऋण सीमा को पूर्ववत रखने की मांग
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री के समक्ष हिमाचल प्रदेश की ऋण सीमा को पूर्व की तरह बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान प्रदेश की वार्षिक ऋण सीमा 10,000 करोड़ रुपये तय की गई थी, जिसे अब घटाकर कम कर दिया गया है। इससे राज्य की विकास योजनाओं और बड़ी परियोजनाओं पर प्रभाव पड़ रहा है। सुक्खू ने कहा कि ऋण सीमा बढ़ाना हिमाचल प्रदेश की समृद्धि के लिए आवश्यक है ताकि राज्य नई परियोजनाओं को गति दे सके।
जीएसटी मुआवजा और प्राकृतिक आपदा राहत की चर्चा
बैठक में जीएसटी मुआवजा बंद होने के कारण हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर पड़े नकारात्मक प्रभाव को भी प्रमुखता से उठाया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 में बंद हुए जीएसटी मुआवजा की राशि राज्य के बजट के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी, और इसके बंद होने से कई विकास कार्य प्रभावित हुए हैं। साथ ही, उन्होंने आपदा राहत कोष की मांग भी की, जो पिछले प्राकृतिक आपदाओं में हुए नुकसान की भरपाई के लिए जरूरी है। उन्होंने अलकन आपदा के बाद 9,200 करोड़ रुपये की धनराशि जल्द जारी करने की अपील की, जिससे राज्य के पुनर्निर्माण कार्यों को गति मिल सके।
बजट आवंटन पर जोर
मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्रीय वित्त मंत्री को हिमाचल प्रदेश के लिए बजट आवंटन बढ़ाने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राजस्व घाटा अनुदान की धनराशि घटकर मात्र 3,257 करोड़ रुपये रह गई है, जो विकास के लिए पर्याप्त नहीं है। इस कमी से प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र से अधिक सहयोग और वित्तीय सहायता मिलने से हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी और राज्य की जनता को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।
इस बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार राम सुभग सिंह भी उपस्थित थे, जिन्होंने वित्तीय मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री का समर्थन किया। दोनों ने मिलकर केंद्र सरकार से राज्य हितों के लिए बेहतर फैसले लेने का आग्रह किया।