Chicago

गैंगरेप के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत: साझा मंशा पर अहम टिप्पणी, जानें पूरा मामला

🎧 Listen in Audio
0:00

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि यदि गैंगरेप में अपराध करने की साझा मंशा होती है, तो अपराध में शामिल सभी दोषी होंगे, भले ही एक आरोपी ने स्वयं कोई सेक्सुअल एक्ट न किया हो। 

Penetrative Act: सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप के मामलों में एक अहम और ऐतिहासिक टिप्पणी की है, जिसमें उसने यह कहा है कि यदि किसी गैंगरेप में आरोपी साझी मंशा से अपराध में शामिल होते हैं, तो एक आरोपी द्वारा किए गए यौन अपराध (penetrative act) के लिए सभी आरोपियों को दोषी ठहराया जा सकता है, चाहे उन्होंने खुद उस अपराध में भाग लिया हो या नहीं। यह निर्णय गैंगरेप के दोषियों के खिलाफ दी गई सजा को बरकरार रखते हुए आया है और न्याय की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ प्रस्तुत करता है।

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपियों की याचिका को खारिज करते हुए गैंगरेप के दोषियों की सजा को बरकरार रखा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि कोई अपराध एक साझा मंशा (common intention) के तहत किया जाता है, तो इसमें शामिल सभी आरोपी दोषी होंगे, भले ही किसी एक आरोपी ने ही यौन हमला किया हो। कोर्ट का कहना था कि अभियोजन पक्ष को यह साबित करने की आवश्यकता नहीं है कि प्रत्येक आरोपी ने व्यक्तिगत रूप से यौन हमले में भाग लिया था।

कोर्ट ने यह निर्णय भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(g) का हवाला देते हुए दिया, जिसमें कहा गया है कि यदि गैंगरेप का मामला है तो एक आरोपी के द्वारा किए गए कृत्य के आधार पर सभी आरोपियों को दोषी ठहराया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर आरोपियों ने सामूहिक रूप से इस अपराध को अंजाम दिया और उनके बीच एक साझा मंशा थी, तो उन्हें सभी को समान रूप से दोषी माना जाएगा।

मध्यप्रदेश के कटनी का मामला: 2004 की घटना

यह मामला मध्यप्रदेश के कटनी जिले से जुड़ा हुआ है, जो 26 अप्रैल 2004 को घटित हुआ था। पीड़िता एक शादी में गई थी, जहां से उसे अगवा कर लिया गया और उसे बंधक बनाकर गैंगरेप किया गया। पीड़िता का आरोप था कि आरोपियों ने उसे जबरदस्ती अपहरण किया और उसे कैद कर उसके साथ यौन हमले किए। इस मामले में दो आरोपी गिरफ्तार किए गए थे।

सेशन कोर्ट ने 25 मई 2005 को इन दोनों आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप और अन्य गंभीर धाराओं में आरोप तय किए थे। बाद में, उच्च न्यायालय ने उनकी सजा को पुष्टि की। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां कोर्ट ने अपने फैसले में आरोपियों की याचिका को खारिज कर दिया और उनकी सजा को बरकरार रखा।

गैंगरेप में 'कॉमन इन्टेंशन' का महत्व

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में सबसे अहम पहलू है 'कॉमन इन्टेंशन' (साझी मंशा) का महत्व। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी अपराध को साझा मंशा से अंजाम दिया गया है, तो उस मामले में सभी आरोपियों को एक जैसे ही दोषी ठहराया जा सकता है। इस तरह के फैसले से यह स्पष्ट होता है कि गैंगरेप के मामलों में किसी एक आरोपी द्वारा किए गए यौन हमले के लिए सभी आरोपी समान रूप से जिम्मेदार होंगे।

कोर्ट ने इस मामले में अभियोजन पक्ष की दलील को स्वीकार किया कि आरोपियों का आपस में संगठित होकर इस अपराध को अंजाम देना उनके साझा इरादे और मंशा को दर्शाता है, और इसलिए सभी आरोपियों को दोषी ठहराया जाएगा।

अदालत ने खारिज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपियों की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मामले की गवाही और घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि पीड़िता का अपहरण किया गया, उसे गलत तरीके से बंधक बनाया गया और उसके साथ यौन हमला किया गया। यह सभी तथ्य भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(g) के तत्वों को पूरा करते हैं।

कोर्ट ने कहा कि केवल यह साबित करना कि आरोपी ने सेक्सुअल एक्ट किया, आवश्यक नहीं है, बल्कि यह देखना जरूरी है कि अपराध को अंजाम देते वक्त क्या आरोपी ने साझी मंशा से अपराध किया था। इस फैसले से यह सिद्ध हो गया कि गैंगरेप में सभी आरोपी एक ही दोषी होते हैं, भले ही उनमें से एक ने ही अपराध को अंजाम दिया हो।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल न्यायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में बढ़ते हुए गैंगरेप और बलात्कार जैसे अपराधों के खिलाफ एक सशक्त संदेश भी है। साझा मंशा के सिद्धांत को इस तरह से लागू करना अपराधियों को उनके कृत्य के लिए अधिक जिम्मेदार ठहराता है, और यह सुनिश्चित करता है कि अपराधियों को उनके अपराधों के लिए समान रूप से सजा मिले।

यह फैसला उन मामलों के लिए भी एक मार्गदर्शन है जहां अपराधी अपनी भूमिका को कम करके दिखाने की कोशिश करते हैं और दावा करते हैं कि उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से अपराध में भाग नहीं लिया। ऐसे में, कोर्ट का यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि सभी आरोपियों को समान रूप से सजा दी जाएगी यदि उन्होंने आपस में मिलकर अपराध किया हो।

Leave a comment