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कर्नल सोफिया विवाद पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, विजय शाह को फटकार

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कर्नल सोफिया पर विवादित बयान देने वाले विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई। कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से इनकार करते हुए जिम्मेदारी से बयान देने की नसीहत दी।

Vijay Shah Controversial: भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी पर मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह की विवादित टिप्पणी का मामला गरमाया हुआ है। विजय शाह ने सेना की महिला अधिकारी को लेकर बयान दिया, जिसे लेकर देशभर में नाराजगी देखी गई। इस बयान के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और स्वत: संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

विजय शाह ने एफआईआर दर्ज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उन्होंने कोर्ट से मांग की कि एफआईआर पर रोक लगाई जाए और उनके बयान को मीडिया द्वारा तोड़-मरोड़ कर पेश किए जाने की बात कही। उनकी ओर से एडवोकेट विभा दत्ता मखीजा ने दलील दी कि याचिकाकर्ता अपनी गलती मान चुके हैं और बयान का गलत मतलब निकाला गया है।

CJI गवई ने फटकारा, कहा- संवैधानिक पद की गरिमा रखिए

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) ने विजय शाह की इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा,"आप मंत्री हैं सिर्फ इसलिए कुछ नहीं होगा, यह सोच गलत है। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जिम्मेदारी से बयान देना चाहिए।"

CJI ने दो टूक कहा कि कोर्ट विजय शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।

हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई थी एफआईआर

इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने चार घंटे के भीतर विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वत: संज्ञान लिया और डीजीपी को कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद बुधवार शाम को विजय शाह पर एफआईआर दर्ज कर दी गई थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

कोर्ट का स्पष्ट संदेश

सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ है कि मंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को अपने शब्दों का चयन सोच-समझ कर करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में आकर जो व्यक्ति संवैधानिक दायित्व निभा रहे हैं, उन्हें अपनी मर्यादा का ध्यान रखना होगा।

मीडिया पर दोष देने से नहीं बचेगा मामला

विजय शाह की दलील थी कि मीडिया ने उनके बयान को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह तर्क भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग एक अलग विषय है, लेकिन किसी संवेदनशील मुद्दे पर दिए गए बयान की जिम्मेदारी नेता की होती है।

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