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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: EVM मॉक पोल में नहीं बदलेगी सिंबल लोडिंग यूनिट

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सुप्रीम कोर्ट ने EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की जांच से जुड़ी प्रक्रिया को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने स्पष्ट किया है कि, किसी भी उम्मीदवार को EVM की Symbol Loading Unit को बदलने की अनुमति नहीं होगी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की जांच के लिए नए नियम बनाए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई उम्मीदवार ईवीएम की जांच के लिए मॉक पोल (पूर्व मतदान परीक्षण) करना चाहता है, तो वह सिंबल लोडिंग यूनिट को नहीं बदल सकेगा। यह फैसला चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।

ईवीएम जांच के लिए नए नियम  

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता शामिल थे, ने कहा कि अगर कोई उम्मीदवार या पार्टी ईवीएम की जांच के लिए मॉक पोल करना चाहता है, तो उसे लिखित में इसकी अनुमति मांगनी होगी। मॉक पोल के बाद वोटों की गिनती दिखाई जाएगी, लेकिन ध्यान रखा जाएगा कि सिंबल लोडिंग यूनिट वही रहेगी, जो असल मतदान के दौरान इस्तेमाल की गई थी। इसका मतलब यह है कि उम्मीदवारों को अब मॉक पोल के दौरान उस यूनिट को बदलने का अधिकार नहीं होगा, जो पहले से ही वोटिंग में इस्तेमाल हुई थी।

कोर्ट ने चुनाव आयोग के SOP को मंजूरी दी

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को भी मंजूरी दी है। इन SOP के तहत, ईवीएम की जांच को लेकर पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। सीनियर वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के SOP के बारे में जानकारी दी थी, जिसे कोर्ट ने संतुष्ट होकर स्वीकार कर लिया।

इसके अंतर्गत, चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि ईवीएम में कोई भी तकनीकी गड़बड़ी या सॉफ़्टवेयर की छेड़छाड़ नहीं की गई है। जब एक ईवीएम दूसरी ईवीएम से जुड़ी होगी, तो दोनों एक-दूसरे को पहचानने में सक्षम होंगी। इसके अलावा, भारत इलेक्ट्रिकल लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इंजीनियर ईवीएम की जांच करेंगे और यह प्रमाणित करेंगे कि मशीन के सॉफ़्टवेयर और मेमोरी में कोई भी छेड़छाड़ नहीं हुई है।

सिंबल लोडिंग यूनिट का महत्व

सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU), जिसे एक प्रकार का पेन ड्राइव कहा जा सकता है, ईवीएम में डाली जाती है। इस यूनिट में उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिन्ह होते हैं। यह यूनिट ईवीएम में डाली जाती है ताकि चुनाव के दौरान मतदान प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो सके। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मॉक पोल के दौरान इस यूनिट को नहीं बदला जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या छेड़छाड़ नहीं हो रही है।

पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ईवीएम के बारे में अक्सर सवाल उठाए जाते रहे हैं, और इससे पहले भी कई बार चुनावी मशीनों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए गए हैं। कोर्ट ने इस निर्णय से यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि चुनावों में किसी भी प्रकार की धांधली न हो और सभी उम्मीदवारों को समान और निष्पक्ष अवसर मिले।

ईवीएम की विश्वसनीयता बढ़ी

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ईवीएम की विश्वसनीयता को और बढ़ाएगा। जब तक उम्मीदवार मॉक पोल के दौरान सिंबल लोडिंग यूनिट को नहीं बदल सकते, तब तक यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि चुनाव के दौरान कोई भी गलतफहमी या संदेह न हो। इससे न केवल उम्मीदवारों और राजनीतिक पार्टियों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि आम जनता का भी विश्वास बढ़ेगा कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी हो रहे हैं।

यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश की चुनावी प्रक्रियाओं को और बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। अब सभी पक्षों के लिए यह सुनिश्चित करना आसान होगा कि कोई भी उम्मीदवार या पार्टी चुनावों में अपनी जीत को प्रभावित करने के लिए ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं कर सकता है। इसके साथ ही, यह चुनाव आयोग को भी अधिक जिम्मेदारी देता है, जिससे वह सुनिश्चित कर सके कि मतदान प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष हो।

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