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सुरक्षा में कटौती पर हनुमान बेनीवाल का सवाल, 'अगर मुझ पर हमला हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा?"'

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लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपनी सुरक्षा में तैनात कमांडो को हटाए जाने पर सरकार से सवाल किया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बिना आधुनिक हथियारों वाले गार्ड्स दिए गए। नागौर एसपी ने कहा कि बेनीवाल के खिलाफ एक मामले में एफआर नहीं लगी है।

जयपुर: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर सुरक्षा को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नागौर से लोकसभा सांसद और आरएलपी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने अपनी सुरक्षा में भारी लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उनकी सुरक्षा में तैनात कमांडो को हटा दिया और अब जो गार्ड दिए गए हैं, उनके पास कोई आधुनिक हथियार तक नहीं है। ऐसे में अगर उन पर हमला होता है, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?

सुरक्षा में कटौती पर हनुमान बेनीवाल का सवाल

हनुमान बेनीवाल ने कहा कि उनके पास पिछले 11 साल से कोई भी हथियार नहीं है। साल 2014 में उनके खिलाफ एक केस दर्ज हुआ था, जिसके चलते उन्होंने अपनी लाइसेंस वाली पिस्तौल और बंदूक पुलिस थाने में जमा कर दी थी। उन्होंने बताया कि 2017 में उस केस में फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लग चुकी है, यानी मामला खत्म हो गया है, लेकिन अब तक उन्हें उनके हथियार वापस नहीं दिए गए।

उन्होंने यह भी कहा कि इंटेलिजेंस एजेंसियों ने कई बार बताया है कि उनकी जान को खतरा है और उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए। लेकिन जबसे राज्य में भजनलाल शर्मा की सरकार आई है, उनकी सुरक्षा कम कर दी गई है।

नागौर पुलिस का जवाब: जांच अभी चल रही है, हथियार वापस नहीं दिए गए

नागौर के एसपी नारायण टोगस ने हनुमान बेनीवाल के आरोपों पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि जिस केस में बेनीवाल ने अपने हथियार थाने में जमा कराए थे, उस मामले में अभी फाइनल रिपोर्ट (एफआर) नहीं लगी है, यानी केस पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। इसलिए उनके हथियार अभी वापस नहीं किए गए हैं 
 इसके अलावा टोगस ने बताया कि जब बेनीवाल ने हथियार का लाइसेंस दोबारा बनवाने (रिन्यू करवाने) के लिए आवेदन दिया था, तब उन्होंने जयपुर में दर्ज एक और केस की जानकारी छुपा ली थी। इस वजह से लाइसेंस की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है।

टोगस ने यह भी कहा कि हनुमान बेनीवाल को सुरक्षा सिर्फ नागौर जिले की सीमा में दी गई है, पूरे राज्य या देश में नहीं। उन्होंने साफ किया कि सुरक्षा देना सरकार का फैसला होता है, पुलिस सिर्फ आदेशों का पालन करती है।

क्या हनुमान बेनीवाल की सुरक्षा में कटौती के पीछे कोई राजनीतिक कारण है?

हनुमान बेनीवाल ने हाल ही में एक बड़ा सवाल उठाया है – 'अगर मुझ पर हमला हुआ, तो जिम्मेदार कौन होगा?' यह सवाल उन्होंने तब पूछा जब उनकी सुरक्षा में लगे कमांडो को हटा दिया गया और उनकी जगह बिना आधुनिक हथियारों वाले गार्ड तैनात किए गए।

यह मामला सिर्फ सुरक्षा का नहीं है, बल्कि इसका संबंध राजनीतिक माहौल से भी जुड़ता नजर आ रहा है, क्योंकि इस समय राजस्थान और देशभर में लोकसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है। बेनीवाल का कहना है कि पहले भी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने उनकी जान को खतरा बताया था, और उसी आधार पर उन्हें सुरक्षा मिली थी। लेकिन अब सरकार बदलने के बाद, उनकी सुरक्षा में कटौती कर दी गई है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर उन्हें कमजोर करना चाहती है, ताकि वे चुनाव में प्रभावी तरीके से हिस्सा न ले सकें। उन्होंने साफ पूछा –
'मेरी सुरक्षा क्यों घटाई गई? क्या यह राजनीतिक साजिश है?' यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि वे आरएलपी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) के राष्ट्रीय संयोजक हैं और राज्य की राजनीति में उनकी भूमिका बढ़ती जा रही है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सुरक्षा में कटौती जैसे कदम नेताओं पर दबाव बनाने का तरीका हो सकते हैं। खासकर जब चुनाव नजदीक हों, तब ऐसे फैसले का असर जनमानस पर भी पड़ता है।

11 साल से थाने में पड़े हैं हनुमान बेनीवाल के हथियार – अब तक नहीं मिली वापसी

हनुमान बेनीवाल ने हाल ही में खुलासा किया है कि उनके पास पिछले 11 साल से कोई भी निजी हथियार नहीं है, क्योंकि उनके लाइसेंसशुदा हथियार पुलिस थाने में जमा हैं। उन्होंने बताया कि साल 2014 में एक केस दर्ज होने के बाद उन्होंने अपनी पिस्तौल और बंदूक पुलिस के पास जमा करवा दी थी। बाद में, साल 2017 में उस केस में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) भी लग चुकी थी, यानी पुलिस जांच पूरी हो गई थी। 

इसके बावजूद, बेनीवाल को उनके हथियार अब तक वापस नहीं दिए गए हैं। उन्होंने कई बार प्रशासन से अपने हथियार लौटाने की मांग की, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। अब स्थिति यह है कि न तो उनके पास कोई हथियार है, और न ही सरकारी गार्ड्स के पास आधुनिक हथियार हैं। ऐसे में उनकी चिंता और भी बढ़ गई है। उनका कहना है कि जब बार-बार उनकी जान को खतरा बताया गया है, तो बिना हथियारों के सुरक्षा कैसे संभव है

हनुमान बेनीवाल का सवाल – जिम्मेदार कौन होगा?

हनुमान बेनीवाल ने सरकार से एक अहम सवाल पूछा है, अगर मेरी जान को कोई खतरा होता है, तो जिम्मेदार कौन होगा? उनका कहना है कि यह सिर्फ उनका व्यक्तिगत सवाल नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था से जुड़ा हुआ है। अगर एक जनप्रतिनिधि की सुरक्षा में लापरवाही होती है, तो आम जनता की सुरक्षा का क्या होगा?

बेनीवाल ने यह भी कहा कि जब इंटेलिजेंस एजेंसियों ने उनकी जान को खतरा बताया था, तो सरकार को उनकी सुरक्षा बढ़ानी चाहिए थी, लेकिन अब उनकी सुरक्षा में कटौती कर दी गई है। उनका सवाल यह है कि अगर किसी नेता की सुरक्षा में खामी रहती है, तो सामान्य लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है?

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