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वाराणसी से पकड़ा गया आईएसआई का एजेंट, हनीट्रैप में फंसकर देश की सुरक्षा से कर रहा था खिलवाड़

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वाराणसी में पकड़ा गया तुफैल, पाकिस्तान की नफीसा के हनीट्रैप में फंसकर संवेदनशील जगहों की जानकारी भेज रहा था।  ATS की जांच में बड़ा खुलासा, 800 पाकिस्तानी नंबरों से था कनेक्शन। 

UP: देश की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। उत्तर प्रदेश एटीएस ने वाराणसी से पकड़े गए आईएसआई एजेंट तुफैल से पूछताछ की, जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। तुफैल ने खुद को "गजवा-ए-हिंद" के लिए लड़ने वाला सिपाही बताया और उसने कबूल किया कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के हनीट्रैप में फंस चुका था। यह मामला न केवल सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क करने वाला है, बल्कि देश की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

'नफीसा' के जाल में फंसा तुफैल

तुफैल का नाम सामने आने के बाद उसके पाकिस्तान कनेक्शन की परतें खुलने लगी हैं। बताया जा रहा है कि वह पाकिस्तान के फैसलाबाद में रहने वाली एक महिला, 'नफीसा', के संपर्क में था। नफीसा, जो आईएसआई के लिए काम कर रही थी, तुफैल को अपने मोहपाश में फंसा चुकी थी। नफीसा ने तुफैल को कभी अपनी असली पहचान तक नहीं बताई, लेकिन उससे कहा करती थी कि वह जहां भी जाए, वहां से फोटो भेजे। नफीसा का तुफैल से कहना था, "तुम्हारी फोटो देखे बिना मेरा दिन पूरा नहीं होता।"

यही नहीं, नफीसा के कहने पर तुफैल ने अपने फोन की जीपीएस लोकेशन भी ऑन कर रखी थी, ताकि उसके द्वारा भेजी गई हर तस्वीर के साथ लोकेशन की सटीक जानकारी भी पाकिस्तान पहुंच सके। तुफैल ने वाराणसी, दिल्ली और देश के कई संवेदनशील इलाकों की फोटो और वीडियो नफीसा को भेजे थे।

कट्टरपंथ की राह पर तुफैल की कहानी

तुफैल की कहानी सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती। पांच साल पहले एक मजलिस के दौरान तुफैल का संपर्क पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठन 'तहरीक-ए-लब्बैक' के मौलाना शाह रिजवी से हुआ था। इसके बाद से तुफैल ने यूपी के कन्नौज, हैदराबाद और पंजाब में मजलिस और दूसरे धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया और धीरे-धीरे कट्टरपंथ की ओर झुकता चला गया।

जांच में सामने आया कि तुफैल 19 व्हाट्सएप ग्रुप चला रहा था, जिनमें से ज्यादातर सदस्य वाराणसी और आजमगढ़ के थे। इन ग्रुप्स में वह बाबरी विध्वंस और भारत के खिलाफ नफरत फैलाने वाले वीडियो शेयर करता था। तुफैल ने युवाओं को 'गजवा-ए-हिंद' की सोच से जोड़ने की पूरी कोशिश की। उसके मोबाइल से पाकिस्तान के 800 से ज्यादा मोबाइल नंबर मिले हैं। एटीएस ने कई डिलीट की गई चैट्स को भी रिकवर किया है और उनकी जांच कर रही है।

हारून का खुलासा: पाकिस्तानी उच्चायोग तक पहुंचता था पैसा

इस मामले में दिल्ली से पकड़े गए हारून का भी बड़ा खुलासा हुआ है। हारून, पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात अफसर मुजम्मिल हुसैन के लिए फर्जी बैंक अकाउंट्स बनवाता था। मुजम्मिल इन खातों के जरिए वीजा बनवाने के नाम पर पैसा मंगवाता और फिर इस पैसे को हारून के जरिए अलग-अलग लोगों तक पहुंचवाता था। जांच में शक है कि ये पैसे भारत में आईएसआई नेटवर्क को फंडिंग करने के लिए भेजे जाते थे।

अब एटीएस हारून के मोबाइल डेटा, बैंक ट्रांजेक्शन और पिछले तीन साल के रिकॉर्ड्स की गहनता से जांच कर रही है। एटीएस को शक है कि ये फंड भारत में जासूसी नेटवर्क को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।

देश की सुरक्षा पर बड़ा खतरा

ये पूरा मामला देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा अलार्म है। तुफैल जैसे लोग सोशल मीडिया और हनीट्रैप के जरिए देश की सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान की आईएसआई एजेंसी भारतीय युवाओं को हनीट्रैप में फंसाकर अपने मकसद पूरे करवा रही है। इसलिए देश के युवाओं को सतर्क रहने की जरूरत है। सोशल मीडिया पर किसी भी अनजान शख्स से बातचीत करते समय सतर्कता बरतें। किसी भी संदिग्ध लिंक, कॉल या मैसेज पर प्रतिक्रिया देने से पहले दो बार सोचें, क्योंकि आपकी एक गलती देश की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है।

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